इसमें अहीर, कुर्मी, तेली तीनों कथित शूद्र कथावाचकों को मनुस्मृति के नियमानुसार दंड।
मनुस्मृति विधान के नियमानुसार यही कटु सत्य हैं स्वीकार करो और इस व्यवस्था में जो भी हैं वह ख्याल रखे यह मनु महराज का विधान हैं।
ब्राह्मण आयोजक ने कथावाचक यादव के साथ मनुस्मृति विधान का ईमानदारी से सत प्रतिशत पालन किया बल्कि कम पालन किया मानवता दिखाया नहीं तो मनुस्मृति लिखित नियमानुसार शूद्र को मंत्र का उच्चारण करना मतलब जीभ काट दिया जाता, मंत्र सुनने पर कान में शीशा पिघला कर डाल दिया जाता इत्यादि और भी तमाम लिखित नियम है मनुस्मृति एक बार जरूर पढ़े सभी प्रकार के नियम पता रहे ताकि भविष्य में मंत्र और धर्म के प्रति कोई गलती न हो नहीं तो अपमानित होने के साथ साथ जान भी गंवाना पड़ सकता हैं।
तथाकथित शूद्र-अतिशूद्र अपमानित होने, लात खाने, मूत्र शुद्धिकरण कराने, मूढ़ मुड़वाने, जान गंवाने इत्यादि खुद तुम जाते हो और आरोप लगाते हो कि ब्राह्मण बुरा है ब्राह्मण बुरा नहीं है बल्कि वह अपने वैदिक धर्म के अनुसार मनुस्मृति विधान का शत प्रतिशत ईमानदारी से पालन करता हैं निकम्मे नालायक तुम हो जो अपने पुरुखों के बताए हुए मार्ग पर न चलकर दूसरे का तालुवा चाटने में मस्त हो।
बात बुरा भले किसी को लगे लेकिन यह कटु सत्य हैं।
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