**सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घटने का कारण**
✍🏻 *— अक़रम ख़ान*
आज हम देख रहे हैं कि अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या लगातार घट रही है। अभिभावक अपने बच्चों को या तो निजी स्कूलों में भेज रहे हैं या फिर शिक्षा से निराश होकर उन्हें घर पर ही बिठाने लगे हैं। इस गिरावट के पीछे एक मुख्य कारण है — शिक्षकों की भारी कमी, विशेष रूप से **कक्षा अनुसार (Class-wise)** और **विषय अनुसार (Subject-wise)** शिक्षकों की अनुपलब्धता।
### मुख्य समस्याएं:
1. **एक शिक्षक, पांच कक्षाएं:**
बहुत से प्राथमिक विद्यालयों में केवल एक ही शिक्षक नियुक्त है, जो पहली से पांचवीं तक की सभी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए मजबूर है। इससे किसी भी कक्षा के बच्चों को न तो पूरा समय मिल पाता है, न गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा।
2. **विषय विशेषज्ञों की कमी:**
गणित, विज्ञान, हिंदी या अंग्रेज़ी जैसे प्रमुख विषयों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं। एक ही शिक्षक सभी विषयों की जिम्मेदारी निभाता है, चाहे वह विषय उसका विशेषज्ञ क्षेत्र हो या नहीं।
3. **बच्चों में रुचि की कमी:**
जब बच्चों को विषय समझ नहीं आते, उन्हें शिक्षक का पर्याप्त मार्गदर्शन नहीं मिल पाता, तो वे धीरे-धीरे पढ़ाई से दूर होते जाते हैं। ऐसे माहौल में शिक्षा उनके लिए बोझ बन जाती है।
4. **अभिभावकों की निराशा:**
माता-पिता देखते हैं कि उनके बच्चों को स्कूल में वो माहौल नहीं मिल रहा जो उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर सके। वे या तो निजी विद्यालय का रुख करते हैं या बच्चों को मज़दूरी में लगा देते हैं।
### समाधान क्या हो सकता है?
* प्रत्येक कक्षा के लिए अलग शिक्षक की नियुक्ति अनिवार्य की जाए।
* विद्यालयों में विषयवार शिक्षक हों ताकि बच्चे बेहतर समझ सकें।
* नियमित निरीक्षण और मूल्यांकन की व्यवस्था हो।
* पंचायत और स्थानीय समुदाय की भागीदारी से शिक्षकों की जवाबदेही तय की जाए।
### निष्कर्ष:
सरकारी स्कूल केवल इमारतों से नहीं चलते, उनमें योग्य और समर्पित शिक्षकों की आवश्यकता है। यदि समय रहते हमने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो सरकारी विद्यालय शिक्षा का केंद्र न रहकर केवल एक औपचारिकता बनकर रह जाएंगे।
**"जहां शिक्षक नहीं, वहां शिक्षा नहीं — और जहां शिक्षा नहीं, वहां भविष्य नहीं।"**
टिप्पणियाँ