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महाबोधि महाविहार की जंग हम जीतेंगे, पोस्ट को पूरा पढ़ें, शेयर करें: भिक्षु महेंद्र महाथेरो

 


*भारत के बौद्धों के लिए संदेश*

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*महाबोधि महाविहार की जंग हम जीतेंगे, पोस्ट को पूरा पढ़ें, शेयर करें: भिक्षु महेंद्र महाथेरो।* 


             महाबोधि महाविहार बुध्दगया प्रबंधन विवाद की सुनवाई सड़क पर नहीं, भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली में 29 जुलाई 2025 को होगी। सुप्रीम कोर्ट में महाबोधि महाविहार बुद्धगया के मामले को बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत में  "महाराष्ट्र राज्य इकाई कानूनी प्रकोष्ठ के मुख्य सलाहकार"  प्रियदर्शी अशोक सम्राट अवार्ड से सम्मानित विद्वान बौद्ध अधिवक्ता शैलेश नारनवरे द्वारा पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलीलों, तर्कों एवं विश्व के बौद्धों की आस्था के आधार पर बौद्ध समुदाय की जीत होगी।

          भारत में चंदा खाऊ संगठनों का धंधा अब मंदा हो गया है, जल्दी ही यह चंदा वसूली का खेल बंद होगा। माननीय सर्वोच्च अदालत में हम जीतेंगे और बुध्दगया महाबोधि महाविहार का प्रबंध भारत के शीलवान, विनय मार्ग पर चलने वाले परंपरागत बौद्धों के हाथों में होगा। नकली, बनावटी, हिंसात्मक, पत्नी और परिवार के साथ जीवन जीने वाले नकली बौद्ध भिक्षुओं को सुधरना होगा। चीवर की मर्यादा को बनाए रखना होगा। भारत में जो व्यक्ति महावीर, शिव ,शंकर, रामलाल, हरि नारायण, नाम के आगे राम और नाम के पीछे राम आदि नामों की पुरानी पहचान, आधार कार्ड में आज भी दर्ज है। बौद्ध भिक्षु एवं बौद्ध अनुयाई होने का दिखावा करते हैं। नामांतरण एवं धर्मांतरण नहीं किया है।किंतु देश में कशया चीवर पहनकर बिना श्रामनेर प्रशिक्षण के भिक्षा, चंदाखोरी, बौद्ध समुदाय को गुमराह करना, वाणी हिंसा, व्याभिचार करना, बनावटी तौर पर महिलाओं को शक्ति देना, विनय मार्ग पर न चलना ऐसे व्यक्तियों, नकली बौद्ध भिक्षुओं को चीवर उतार देना चाहिए। 

          भारत के बौद्धों, उपासक,उपासिकांओं को चाहिए कि ऐसे कुकर्मी नकली बौद्ध भिक्षुओं की पहचान कर बौद्ध समुदाय में गंदगी फैला रहे असामाजिक तत्वों को निकाल बाहर करें।

         1947 से आज तक निजी स्वार्थ,राजसत्ता, लाल बत्ती, राजनीतिक गठजोड़, राजनीतिक नेताओं के आगे -पीछे घूम कर दलाली,धन लालसा , बौद्ध देशों की यात्रा का दिखावा करने वाले कथित बौद्ध संगठनों को अपनी कार्यशैली को बदलना होगा।

        भारत के अल्पसंख्यक वर्गों की मांग पर वर्ष 1992 में भारत सरकार ने "राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग एक्ट- 1992" को लेकर कानून पारित किया। जिसमें मुस्लिमों, पारसियों , जैनियों, सिक्खों, इसाइयों एवं बौद्धों को "अल्पसंख्यक समुदाय" में शामिल किया गया। अल्पसंख्यक वर्गों के उत्थान एवं विकास के लिए भारत सरकार के 11 मंत्रालययों एवं उनसे जुड़े संस्थानों तथा राज्यों की सरकारों द्वारा अनेकों विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। भारत के प्रत्येक जिले में अल्पसंख्यक वर्गों के कल्याण एवं उनके उत्थान की जानकारी देने के लिए "जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी" की नियुक्ति की गई है। इसलिए बौद्ध संगठनों के प्रमुखों का यह प्रयास होना चाहिए कि अल्पसंख्यक बौद्धों को शिक्षा से लेकर रोजगार तक सुखमय जीवन जीने के लिए मार्ग दर्शन करें, जानकारी प्रदान करें।


           बुद्ध कालीन प्राचीन "पालिभाषा" को संवैधानिक मान्यता, संविधान की आठवीं सूची में शामिल कराना, भारत के बौद्धों की स्वतंत्र पहचान के लिए संविधान के अनुच्छेद 25 भाग -2 की व्याख्या से  बौद्धों को अलग करना -कराना, भारत के 

बौद्धों  को "हिंदू मैरिज एक्ट-1955" से निकाल कर अन्य धर्मों की तरह "बौद्ध बौद्ध विवाह मान्यता कानून" बनवाना, बौद्धों के धर्म स्थलों (बुद्ध विहार) को मंदिर एवं टेंपल कहा जाता है एवं लिखा जाता है, इसलिए भारत की संसद में प्रस्तावित "बुद्ध विहार मॉनेस्ट्री एक्ट-25" को पारित कर कानूनी दर्जा दिलाना, भारत की प्राचीन बौद्ध विरासतों, गुफाओं, विहारों में तोड़फोड़ ,बदलाव ,घालमेंल  को एकजुट होकर अपने बौद्ध संगठनों के द्वारा रोकना होगा। 

       भारत में संविधान निर्माता बोधिसत्व बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के आह्वान पर वर्ष 1956 से आज तक बड़ी संख्या में बुद्ध संस्कृति अपनाने के लिए जन समुदाय प्रेरित हो रहा है किंतु भारत के कई राज्यों में बुद्ध धर्म संस्कृति को अपनाने के लिए  धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर कुठाराघात करते हुए राज्य सरकारों द्वारा तरह-तरह के कानून अध्यादेश लाकर प्रताड़ित किया जा रहा है इसके लिए हम सबको राष्ट्रीय एकता (National Unity) बनाकर धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को बचाना होगा और इस देश को "समृद्ध भारत एवं प्रबुद्ध भारत" बनाना होगा। 

                    भवतु सब्ब मंगलं 


           भिक्षु महेंद्र महाथेरो,

                राष्ट्रीय संयोजक 

बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत एवं भदन्त ज्ञानेश्वर महा बुद्ध विहार , कुशीनगर, उत्तर प्रदेश


धम्मामित्र 

अभय रत्न बौद्ध 

राष्ट्रीय समन्वयक एवं संघठक 

राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया एवं 

बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत

मुख्यालय: महाबोधि मेडिटेशन सेंटर, बुध्दगया जिला - गया जी (बिहार)

केंद्रीय कार्यालय: बुद्ध कुटीर, 284/सी-1, स्ट्रीट नंबर -8, नेहरू नगर,

 नई दिल्ली-110008

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