*~~~~ये उनके ही वंशज हैं~~~~*
*~~~जो धम्म गोल कर चले गये~~*
*राजनीति में मत बाँटो, बाबा साहब की हस्ती को।*
*वरना जो भी किया धरा है, मिट्टी में मिल जायेगा।*
सोच रहे हो बिना पढ़े ही, सागर पार उतर लोगे।
मुरझाया है चेहरा सबका, क्या ऐसे खिल पायेगा ?
*कूटनीति चलने वालों की, साजिश को समझो पहले।*
*ये उनके ही वंशज हैं, जो धम्म गोल कर चले गये।*
पर दुनिया ने उसी धम्म से, अपना दीप जलाया है।
जन्म हुआ जिस जगह, उसी आँगन में सारे छले गये।
*छिपा दिया था अन्धकूप में, नकली भगवा वालों ने।*
*बचपन से अब तक देखा है, कोई नाम निशान नहीं।*
धीरे धीरे जली आग से, तपन यहाँ महसूस हुयी।
ताकतवर थे दुश्मन फिर भी, मिटा सके पहचान नहीं।
*इसी दौर में उथल पुथल थी, और भावना आहत थी।*
*जिनको जम कर चोट लगी थी, वे सबसे आगे आये।*
अगुआई करने वालों का, झण्डा कांशीराम लिये।
मिला विचार जहाँ पर सबका, संग संग भागे आये।
*जिन्न निकल कर भीम राव का, भारत भर में घूम रहा।*
*वे हतप्रभ थे सोच रहे थे, इसको तो दफनाया था।*
हाथ बढ़ा कर प्रेम भाव का, खेल खेलने गये सभी।
अन्दर अन्दर साहब ने भी, अपना काम बनाया था।
*फिर क्या मछली फँसी जाल में, जान नहीं पाया कोई।*
*कहाँ कहाँ से षड्यंत्रों का, सुूत्रधार कब कौन हुआ ?*
मीठा जहर पिला कर किसने, सम्मोहन की रचना की।
वक्त गया फिर धीरे धीरे, सारा आलम मौन हुआ।
*पर बुझती लौ नहीं बुझ सकी, ये दुनिया ने देख लिया।*
*अब जो भी स्तम्भ गड़ा है, ऐसे न हिल पायेगा।*
आतंकी अब उभर चुके हैं, अत्याचार चरम पर है।
फट कर सीना चाक हुआ है, क्या कोई सिल पायेगा ?
*राजनीति में मत बाँटो, बाबा साहब की हस्ती को।*
*वरना जो भी किया धरा है, मिट्टी में मिल जायेगा।*
*मदन लाल अनंग*
द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।
*1-* वैचारिक खोज बीन के आधार पर समसामयिक, तर्कसंगत और अकाट्य लेखन की प्रक्रिया *मध्यम मार्ग समन्वय समिति* के माध्यम से जारी *2700 से अधिक लेख/रचनायें* सोशल मीडिया पर निरंतरता बनाये हुए हैं।
*2-* कृपया रचनाओं को अधिक से अधिक अग्रसारित करें।
दिनांक: 25.07.2025
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