🌻धम्म प्रभात🌻
[ संतो का धम्म जर्जर नहीं होता, वह समयातीत नहीं होता है ]
"जीरन्ति वे राजरथा सुचित्ता,
अथो सरीरम्पि जरं उपेति ।
सतंञ्च धम्मो न जरं उपेति,
सन्तो ह वे सब्भि पवेदयन्ति। ।"
- धम्मपद: जरा वग्गो
- राजा के सुचित्रित रथ पुराना हो जाता है तथा यह शरीर भी पुराना हो जाता है, किन्तु संतो का धम्म कभी पुराना नहीं होता है। संतो, सज्जन लोगों से ऐसा बताते है।
अनाथपिण्डिक के द्वारा श्रावस्ती में बनाए हुए जेतवनाराम में भगवान विहार कर रहे थे। उस समय राजा प्रसेनजित को उपदेश देते हुए भगवान ने कहा-
जिस प्रकार राजाओं के चित्रित रथ जीर्ण हो जाता है,उसी प्रकार यह शरीर भी जीर्ण हो जाता है, वृद्धावस्था को प्राप्त होता है ।किन्तु, संतो का धम्म कभी क्षीण नहीं होता है। सज्जन पुरुष सज्जन पुरुषों से ऐसा कहते है। सन्तों का धम्म कभी क्षीण नहीं होता है । यह सनातन नियम है।
नमो बुद्धाय🙏🙏🙏
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