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निचली अदालतों के शूद्र जज जब अपनी समस्या उठाते है तो समस्या सही होने के बावजूद हाइकोर्ट के कतिपय सवर्ण जज द्वारा दमनात्मक एवम दंडात्मक कार्यवाही की जाती है।

 


वास्तव में हो तो ऐसा ही रहा है

निचली अदालतों के शूद्र जज जब अपनी समस्या उठाते है तो समस्या सही होने के बावजूद हाइकोर्ट के कतिपय सवर्ण जज द्वारा दमनात्मक एवम दंडात्मक कार्यवाही की जाती है। इसी कारण तो सामंतवादी व्यवस्था में वर्तमान में फर्जी डिग्री वाले जजों तथा अयोग्य अपर जिला न्यायाधीश की नियुक्ति को अवैध,अनियमित, पक्षपात भेदभावपूर्ण कार्यों तथा खुले भ्रष्ट कार्यों एवं भ्रष्टाचार को तथा कतिपय भ्रष्ट जजों को जांच में भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी पाए जाने पर भी उन्हें दण्डित नहीं किया जाकर उन्हें उपकृत किया जाता है और जिस पर पूरे सेवाकाल में एक कलंक तक नहीं लगा अर्थात प्रारंभिक एवं विभागीय जांच में कभी भी दोषी तक नहीं पाया गया और न ही पूरे सेवाकाल में वार्षिक गोपनीय चरित्रावली में किसी प्रकार के कोई विपरीत तथ्य लेख हो उसे टारगेट किया जाता है इसी तरह जो इन अवैध पक्षपात भ्रष्ट कृत्यों के विरुद्ध आवाज उठाता है तो उसे नियम कायदों, प्रचलित कानून एवं माननीय सुप्रीम कोर्ट तथा माननीय हाइकोर्ट के स्पष्ट दिशानिर्देशों का खुला सामूहिक चीरहरण एवं प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध बलात्संग किया जाकर दंडित किया जाता है।

      एक बात और जो इन कृत्यों की खुली बगावत करता है उनके विरुद्ध इन माननीय सुप्रीम कोर्ट से लेकर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के कतिपय सामंतवादी व्यवस्था के जजों की अवमानना की कार्यवाही करने की हिम्मत तक नहीं होती है खुले रूप से शुतुरमुर्ग बन जाते है और अभी भी इतना लिखने के बावजूद न तो अवमानना पर संज्ञान लेने की हिम्मत होगी और न ही खुले रूप से लगाए गए आक्षेपों पर जांच करने की हिम्मत होगी क्योंकि मालूम है यदि कद्दू कटेगा तो सार्वजनिक रूप से बंटेगा। 

      यदि इस देश व प्रदेश की न्यायपालिका के किसी एक भी माननीय विद्वान जस्टिस महोदय में हिम्मत हो अवमानना पर संज्ञान ले पूर्ण रूपेण डटकर मुकाबला भी किया जायेगा और यदि येनकेन अवमानना प्रमाणित कर पाते है तो सहर्ष सत्यता के लिए 6 माह जेल जाने को भी तत्पर!

    मैं तो चाहता हु कि इस देश व प्रदेश की न्यायपालिका में माननीय महोदय के कहे अनुसार इस सामंतवादी सवर्णवादी व्यवस्था में कम से कम कोई एक विधिक रूप से मर्द जस्टिस तो पैदा हो जो सामना कर सके या फिर ...............? केवल ........?  क्योंकि मैं तो रीढ़विहीन स्तनधारी न तो पहले था और न हु।

मध्यप्रदेश में

हाइकोर्ट के जज सवर्ण 

निचली अदालतों के शूद्र

बाद में वर्ण व्यवस्था में परिवर्तन भी हो जाता है।

जय भारत जय संविधान 

             आर.के.श्रीवास

     जसेनि जिला न्यायाधीश नीमच

    40 जावरा रोड़ रतलाम 457001

               

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