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बोधिसत्व डा0अंबेडकर ने गरीबी से निजात दिलाने के लिए संघटित संघर्ष किया।,सत्ता पर कब्जा के लिए एससी-एसटी पिछड़ी जाति वर्ग बनाए,

 


बोधिसत्व डा0अंबेडकर ने गरीबी से निजात दिलाने के लिए संघटित संघर्ष किया।,सत्ता पर कब्जा के लिए एससी-एसटी पिछड़ी जाति वर्ग बनाए, उन्हें संवैधानिक अधिकार दिलाया, लेकिन स्वार्थी जातिवाद के अहंकार में हिन्दू हिंदुत्व के जाल में फंसाकर मनुवादियों के चंगुल में फंसकर एक दिन गुलाम होने स्थिति आज शोषित पीड़ित अधिकार विहीन हो रहे है।

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          बोधिसत्व भारतरत्न डा0बी0आर0अंबेडकर का पूरा जीवन सामाजिक,राजनैतिक,आर्थिक, धार्मिक विषमताओं को दूर करने में लगाकर शोषितों को संविधान और लोकतंत्र दिया। वहीं समाज आज जातियों में बंटकर स्वार्थी जातिवादी बनकर जाति झूठ में फंसकर अपने विकास एवं सत्ता पर कब्जा करने में नाकामयाब रहा, इसलिए आज पीड़ित बंचित शोषित है। सामाजिक,राजनैतिक न्याय के लिए अंग्रेजी हूकूमत से लड़ाई लड़ी, जिसमें सफलता के तौर पर साइमन कमीशन, तीनों गोलमेज सम्मेलन में प्रस्तुत साक्ष्य वक्तव्य के कारण अंग्रेजी हुकूमत ने कुछ अधिकार दिए, उसे संबिधान निर्माण के तौर पर गोलमेज सम्मेलन, संबिधान सभा के भाषणों को समझना एससी-एसटी पिछड़ी जाति के लोगों को जरूरत है।

            ब्रिटिश इंडिया के चुनाव को लेकर बोधिसत्व भारतरत्न भीमराव अंबेडकर के राजनैतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने ने स्वतंत्र लेबर पार्टी का पंजीकरण 15 अगस्त 1936 को कराकर की थी। वर्ष (1937) में ब्रिटिश भारत आमचुनाव में  भाग लिया,जिसमें तीन राज्यों में मध्य प्रांत,बरार प्रांत, बांबे विधान सभा में सफलता के कारण डा0अंबेडकर बांबे असेम्बली में नेता बिरोधी दल की भूमिका को बखूबी निभाया। यह अछूतों की सफलता का इतिहासिक समय था। यह एससी-एसटी पिछड़ी जातियों को समझना चाहिए।

        1946के संबिधान सभा के चुनाव में सफलता न मिलने का कारण? इसका मूल कारण एससी-एसटी, पिछड़ी जातियों के लोग तब तक कांग्रेस के नेता बाबू जगजीवन राम को कांग्रेस ने अपने अछूतों के नेता के रूप में लोगों के बीच में स्थापित कर दिया और कांग्रेस को सफलता इसलिए मिली,कि डा0अंबेडकर की जगह जगजीवन राम नेता बन चुके थे। जिसके कारण संबिधान सभा के चुनाव में कांग्रेस को भारी बिजय मिल गयी। यह अंबेडकरवादी विचारधारा के लोगों को समझने की जरूरत है, जो आज हमारी गरीबी का कारण है। हमारी सोच और बिचारधारा आज भी अच्छी नहीं है। चिंता और चिंतन करो।

          1956 के बाद से अब पिछड़ी जातियों और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजाति वर्ग और अल्पसंख्यकों के नेता बन चुके थे। आज भी हमारी सोच जाति जनप्रतिनिधि बनाने और सरकार बनाने की है। हम गरीबी,शिक्षा,चिकित्सा, रोजगार की नहीं है, और न ही हमारा रुझान रहा है।जब आप और हम लोग डा0अंबेडकर को छोड़कर जगजीवन राम को नेता मान सकते हैं, तो हमारी गरीबी और अधिकार कैसे मिल सकते हैं।जो सोचने का विषय है।

        लेबर पार्टी आफ इंडिया गरीब शोषित वर्ग की गरीबी को लेकर चिंतित हैं,और गरीबी मिटाने के राजनैतिक फार्मूला पर काम कर रही है। लोगों ने बहुत गुमराह और ठगा लेकिन अब भी सुधार आ जाये, तो लोगों की गरीबी मिट सकती है, और रोजगार और व्यवसाय सुधर सकतें है। यह राजनीति से ही संभव हो सकता है, क्योंकि हमारे पास धन का अभाव है। जिसके कारण हम व्यवसाय और रोजगार आज के समय में बहुत कठिन काम हो गया है।ब्रहामणबादी व्यवस्था और पूंजीवादी लोकतंत्र ने गरीबों के हाथ से सबकुछ छीन लिया है, और किसान सम्मान निधि और फसल बीमा और पेंशन योजना में उलझा कर गुलाम बना लिया है। यह बहुन शोषित वर्ग को समझने की जरूरत है।

       आज हम लोग सरकारें बनाने के लिए बहुत चिंतित हैं,बही हमारे जीवन की बढ़ी भूलें है।आज भी अंबेडकरवादी विचारधारा आपकी गरीबी और रोजगार, व्यवसाय को मजबूत कर सकती हैं। इसके लिए एक बार लेबर पार्टी आफ इंडिया के संगठन में भागीदारी लेकर समझने का प्रयास करो, अच्छा नहीं लगे, तो चुनाव में जिसे चुनें उसे बोट दें सकते हैं। इस लिए चिंता और चिंतन कऱके एलपीआई का साथ देने में भूमिका निभायें। बहुत बहुत शुभकामनाएं।

        आज भी बहुजन शोषित समाज के जो दल है,जिन्हें आप अपना मानते हैं, और लड़ते भी है, क्या उनके पास गरीबी और रोजगार,व्यवसाय, देने का कोई प्लान है। यदि नहीं है, तो ऐसी सत्ता से क्या लाभ बहुसंख्यक समाज को होगा। यह समझना होगा, तभी आपका बिकास हो सकता है। बरना जो आजादी से आज तक हो रहा है,बह‌ आगे भी होता रहेगा। इसलिए जागरूक होने की जरूरत है। धन्यवाद जी

    रुमसिहं राष्ट्रीय अध्यक्ष लेबर पार्टी आफ इंडिया

        

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