दो हजार साल से भारत मे चली आ रही मनु की व्यवस्था को 26 जनवरी 1950 को, संविधान लागू होते ही, संविधान के अनुच्छेद 13 ने एक ही दिन मे शून्य कर दिया,
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*संविधान की शक्ति,*
दो हजार साल से भारत मे चली आ रही मनु की व्यवस्था को 26 जनवरी 1950 को, संविधान लागू होते ही, संविधान के अनुच्छेद 13 ने एक ही दिन मे शून्य कर दिया,
और इसके बाद भारत के शुद्रों व अति शुद्रों को सम्मान व अवसर की प्राप्ति हुई,
लेकिन मनुवादी, अब इसी संविधान को कमजोर व खत्म करके वही आसमानता की पुरानी व्यवस्था लाने का दिन रात प्रयास कर रहे हैं,
जिसने मूलनिवासीयों को शिक्षा, सम्मान, व सुरक्षा से वंचित किया था,
*और मूलनिवासी समाज ये सब अपनी खुली आँखों से देख रहा है और सो रहा है,*
हम और हमारे आंदोलन सब बटें हुए हैं,
हमे जानबूझकर मनुवादियों ने अलग अलग आंदोलनों मे भटका रखा है, ताकि आज़ादी का आंदोलन न चल सके..
*मूलनिवासी आरक्षण बचाने, लागू कराने, आरक्षण बढ़ाने मे व्यस्त है,*
@ कहीं कुछ लोग सफाई कर्मियों की समस्या सुलझाने मे लगे हैं,
@ कहीँ कुछ लोग बुद्ध और बाबा साहेब की प्रतिमा की स्थापना व बौद्ध विहार बचाने मे लगे हैं,
@ मुस्लिम्स पर बात आई तो वे शाइनबाग मे बैठे,
@ किसानों पर मुसीबत आई तो वे भी आंदोलन पर बैठे,
@ अभी ईसाइयों पर मुसीबत आई है तो वे भी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं,
और भी न जाने कितने आंदोलन चल रहे हैं,
🔥 *लेकिन मुख्य आज़ादी का आंदोलन सब भूल बैठे हैं,*
*बाबा साहेब ने कहा था की लोकतंत्र और ब्राह्मणवाद कभी साथ नही रह सकते हैं*,
और जब तक संविधान जिंदा है तब तक ही लोकतंत्र की संभावना है,
*संविधान बचेगा तो सब कुछ बचेगा,*
आज जब मैं इसी संविधान की जानकारी व जागृति के कार्यकृम चलाता हूँ तो हमारे ही लोगों को यह बेकार की बात लगती है,
वो शायद मुझे पागल समझते होंगे,
और सोचते होंगे की शायद मुझे और कोई काम नही है,
जो समाज, इस संविधान के बारे मे जानना ही नही चाहते हैं वे इसे बचाने के लिए क्या करेंगे।
*आज देश पूरी तरह से वापस गुलामी की तरफ जा रहा है*
और हम केवल अपनी सक्सेस, भक्ति, अपने बच्चे, अपना घर, अपने रिश्तेदार, अपना भविष्य, और अपनी पद-प्रतिष्ठा, पॉवर बनाने मे लगे हैं,
*जरा सोचो की, अगर देश के फौजी भी हमारी तरह स्वार्थी हो जाएं तो फिर देश की सुरक्षा का क्या होगा, क्या देश की हीफाजत के प्रति हमारा कोई कर्तव्य नही है।*
👉 *हमारे पास सब बातों के लिए समय है लेकिन देश की आज़ादी के लिए व संविधान बचाने के लिए समय नही है,*
कोई बात नही आप इन सब के लिए आज़ाद हैं,
लेकिन एक दिन आप मेरी बात को याद करके पछताओगे,
इसलिए आज क्रांति का मौका है, अगर आज क्रांति मे समय लगाओगे तो कल तुम्हारी संतानें शांति से जी पाएंगी।
*जॉइन करें प्रतिदिन ओनलाइन संविधान शाखा, रात्रि 9 से 10 बजे तक।*
डॉ. अनिल चौहान,
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