*प्रश्न - बलाई बुनकर दिवस 7अगस्त को क्यो मनाया जाता है?*
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*कोई *दिवस मनाना* ,ये एक फिनोमिना है। 90 के दशक के बाद से,,, गैर सवर्ण जातियों में जो राजनीतिक, शैक्षणिक जागरूकता आई है,,,, वो सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से ,,,,, अपने आप को क्षेत्रीय मूल्यों जैसे निमाड़ी, गुजराती, मेवाड़ी , सालवी,मालवी,,,, इत्यादि से ऊपर उठ कर,,,,,,,,,,,*किसी एक चिन्ह या विशिष्ठता के साथ* एकजुट होने के रूप मे प्रकट हो रही है।
आप और हम इस परिवर्तन को देखने वाली पीढ़ी है।
केवल बलाई समाज की बात नही है। सभी st,sc,obc जातियां इस चरण से गुजर रही है।
कृपया विचार करे 🙏
बलाई जाति उड़ीसा, पंजाब, महाराष्ट्र, गोवा ,उत्तराखंड मे भी पाई जाती है।
लेकिन इनमें कोई कॉमन सांस्कृतिक जोड़ नही है। केवल एक सांझा हथकरघे का इतिहास है,,, जिसका मशीनी उद्योग और विदेशी मिलो के कपड़े के कारण, खात्मा हो गया।
7 अगस्त 1905 के *स्वदेशी आंदोलन* में हमारे बलाई पूर्वजों ने बहुत प्रयास किए। पश्चिमी भारत में इस स्वदेशी आंदोलन में बलाई बंधुओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे बलाई बुनकर बंधुओं में राजनीतिक सामाजिक चेतना का विकास हुआ। इसलिए इस दिवस के साथ ही बलाई बुनकर दिवस भी उनके प्रयासों को नमन करते हुवे,इसीदिन 7 अगस्त को मनाया जाता है।
KS Mangodiya
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