वर्तमान महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन की कहानी,अभय रत्न बौद्ध की जुबानी, पोस्ट को पूरा पढ़ें, और शेयर करें
*प्रिय मित्र सतीश राष्ट्रपाल जी*
सदस्य - राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया, गुजरात राज्य से,
नमो बुद्धाय जय भीम
*वर्तमान महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन की कहानी,अभय रत्न बौद्ध की जुबानी, पोस्ट को पूरा पढ़ें, और शेयर करें*🌷
*महाबोधि महाविहार प्रबंधन मामले की जंग आखिरी मुकाम पर है, जिसे बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के प्रमुख अधिवक्ता एवं महाराष्ट्र राज्य इकाई, कानूनी विभाग के मुख्य सलाहकार शैलेश नारनवरे एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट एवं मुंबई हाई कोर्ट के अथक प्रयासों एवं परिश्रम के द्वारा बौद्ध समुदाय के पक्ष में बुध्दगया महाबोधि महाविहार प्रबंधन मामले की जंग जीती जाएगी। महाबोधि महाविहार मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली में होगी।*
*अब आप जैसे विद्वान साथियों के द्वारा "कथित बुद्धिस्ट फोरम" नामक क्षेत्रीय संगठन को ऑल इंडिया का संगठन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं। किंतु इस बात लिए खेद प्रकट करता हूं कि आपके सहयोगी साथियों एवं मेरे प्रमुख सहयोगी मित्र तथा बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत में* *"राष्ट्रीय सलाहकार" की हैसियत रखने वाले भाई रमेश बैंकर जी ने बुद्ध संस्कृति की मुख्य विचारधारा, विनय पिटक के नियमों एवं करुणा ,मैत्री, बौद्धों की राष्ट्रीय एकता एवं वर्तमान महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन को बनावटी लामा आकाश एवं बुद्धगया महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन एवं अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ इस्तीफा दे चुके भिक्षु प्रज्ञा शील की अंधभक्ति ने मिट्टी में मिला दिया। भारत में बौद्धों की राष्ट्रीय एकता का कत्ल कर दिया गया।*
*अब आप लोग ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम के नाम से पत्राचार करके क्या बौध्द समुदाय में वाहवाही लूटना चाहते हैं? जब दिखावटी प्रचार- प्रसार पाने की आड़ में माननीय सुप्रीम कोर्ट इन्टरवीनरों को प्रमुखता नहीं दे रहा है। यह लोग सुप्रीम कोर्ट में जाकर,फोटो खिंचवाकर कर, बनावटी वीडियो बनवाकर केवल बौद्ध समुदाय को गुमराह कर वाहवाही बटोरने, तथा चंदा -धंधा का खेल देशभर में चला रहे हैं।*
*आपको जानकारी देना चाहता हूं कि "राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया" में बिना प्रस्ताव पारित किये वर्ष -2022-23, 2023 -24, 2024-25 में भाई रमेश बैंकर जी के कहने पर "बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत" ने आकाश लामा का खुला समर्थन किया। दो संयुक्त बैठकें बुद्धगया में तथा तीन बैठकें नई दिल्ली में,जिसमें दो मीटिंग अंबेडकर भवन एवं एक मीटिंग दक्षिणी दिल्ली के चितरंजन पार्क के बुद्ध विहार में शामिल होकर देशभर में "चलो बुद्ध गया चलो! लाखों की संख्या में चलो!! सारे देश में प्रमुखता से सोशल मीडिया के माध्यम से अभियान चलाकर बुद्धगया मुक्ति आंदोलन के साथ आंबेडकरी एवं बौद्ध समुदाय को जोड़ दिया।*
*दिल्ली से गुजरात बुद्धिस्ट अकादमी एवं बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के बैनर बनवाकर बुद्धिस्ट फोरम के साथ बुद्धगया में निकाली गई संयुक्त शांति मोर्चा रैली में 70 बौद्ध कार्यकर्ताओं सहित शामिल हुआ। किंतु राजनीति का खिलाड़ी, अपने सहयोगी साथियों को पीछे रखने वाला, महाचालाक* *कथित लामा आकाश ने कभी भी हमारे संगठन "बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत" का नाम मीडिया में और किसी भी मंच पर आज तक नहीं लिया और न ही सूचना देने के बाद भी "राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया में कभी शामिल नहीं हुआ ,जबकि हमारे संगठन के सभी प्रमुख साथियों, सदस्यों ने एक साधारण कार्यकर्ता कथित लामा आकाश को महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन की आड़ में धनवान बना दिया और कथित तौर पर ऑल इंडिया में बौद्धों का बनावटी नेता बन गया। जिसे भारतीय बौद्धों की संवैधानिक समस्याओं की कोई जानकारी नहीं है, जोकि दुर्भाग्य से बीटीएमसी का मेंबर तो नहीं बन पाया इसके लिए सोशल मीडिया, पत्रकार बंधुओं एवं जागरूक बौद्ध कार्यकर्ताओं की कुर्बानी है कि सत्ताधारी भाजपा का काकस* *रामदास अठावले, किरण रिजिजू, भाजपाई समर्थक चंदू पाटिल एन्ड कंपनी, और बिहार सरकार के मनुवादी शासन- प्रशासन में बैठे उच्च अधिकारी गणों की योजना के मुताबिक 5 अप्रैल 2025 तक* *महाबोधि महाविहार का धरना प्रदर्शन समाप्त करने-कराने में बिफल रहे किंतु आगामी 10 मई 2025 को बलपूर्वक मगध विश्वविद्यालय की भूमि बुध्दगया के दो- मोहान स्थल से चलाये जा रहे धरना, प्रदर्शन, आंदोलन को उपरोक्त तत्वों एवं पुलिस की सहायता से हटा दिया गया।*
*जबकि महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन का धरना शुरू करने से पहले बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के राष्ट्रीय संयोजक: भिक्षु महेंद्र महाथेरो, अध्यक्ष-भदन्त ज्ञानेश्वर बुद्ध महाविहार कुशीनगर, उत्तर प्रदेश एवं गुजरात बुद्धिस्ट अकादमी के तत्कालीन महासचिव एवं बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के राष्ट्रीय सलाहकार ,भाई रमेश बैंकर जी से संयुक्त वार्ता एवं सहमति से भारत के सभी भिक्षु संघ एवं भिक्षुणी संघ को महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन में शामिल कर एकजुटता के साथ "सझा मंच" का रूप देकर भारत के बौद्धों में राष्ट्रीय एकता को प्रदर्शित किया जाना तय हुआ था। क्योंकि भारत सरकार एवं बिहार सरकार का इंटेलिजेंस खुफिया विभाग यह जानकारी शासन -प्रशासन को दे रहा था कि महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन मात्र दो लोगों "लामा आकाश एवं बीटीएमसी के पूर्व सचिव भिक्षु प्रज्ञाशील" के इर्द-गिर्द घूम रहा था। जिससे बिहार सरकार पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ रहा था। इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं आंदोलनकारियों को पटना जाने पर भी बिहार सरकार ने नहीं सुना और कोई भाव नहीं दिया , मजबूरन आंदोलनकारियो को वापस बुद्धगया लौट कर आना पड़ा*।
*महाबोधि महाविहार बुध्दगया मुक्ति आंदोलन को चूंकि भाई रमेश बैंकर अहमदाबाद गुजरात से कंट्रोल कर रहे थे, उनके आदेश और निर्देश पर यह आंदोलन 12 फरवरी 2025 से चलाया जा रहा था, उनके द्वारा ही जानबूझकर मुझे ब्लैकमेल किया गया और देश भर से बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के सदस्यों, पदाधिकारियों को लामा आकाश से जोड़ दिया गया।*
*महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन को भाई रमेश बैंकर जी ने 50 हजार रुपए देकर 12 फरवरी 2025 से बुध्दगया की पावन धरती पर आंदोलन शुरू करवा दिया। और मुझे कहा गया कि आप अपने प्रयासों से देश भर में इस आंदोलन के लिए सभी राज्यों के बुद्धिस्ट ग्रुप में "बुद्ध गया चलो! चलो बुद्ध गया!! का संदेश देकर प्रचार- प्रसार करो, और हमने ऐसा ही किया। देश के सभी भिक्षु संघों को नहीं शामिल किया गया किंतु जब इस आंदोलन का नकारात्मक परिणाम आने लगा और वाणी हिंसा, अशांति, चंदाखोरी, चंदा- धंधा का खेल ऑनलाइन -ऑफलाइन शुरू हो गया। मीडिया बंधुओं , पत्रकारों को भगाया जाने लगा, लामा आकाश की धर्मपत्नी ने पत्रकारों को खाने के टोकन देना बंद कर दिया और बुद्धगया में हिंसा की भावना प्रबल हो गई तो! मुझे इंटरनेशनल बुद्धिस्ट काउंसिल एवं महाबोधि मेडिटेशन सेंटर बुध्दगया के भिक्षु इंचार्ज श्रध्देय भिक्षु सन्दामुनि महाथेरो, अध्यक्ष-बौध्द संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत की अध्यक्षता में भारत के बौध्द भिक्षु संघों एवं भिक्षुणी संघ की संयुक्त बैठक का आयोजन 29 मार्च 2025 को राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद के मुख्यालय महाबोधि मेडिटेशन सेंटर बुध्दगया में किया गया। इस बैठक में श्रध्देय भिक्षु सन्दामुनि द्वारा लामा आकाश एवं भिक्षु प्रज्ञाशील को आमंत्रित किया गया था, जिसकी स्वीकृति लामा आकाश एवं भिक्षु प्रज्ञाशील ने दी थी। इस बैठक में ऑल इंडिया भिक्षु महासंघ एवं महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, भदन्त आनन्द महाथेरो, अखिल भारतीय भिक्षु संघ के महामंत्री भिक्षु प्रज्ञादीप महाथेरो, संघराजा भिक्षु महासभा के संघनायक भिक्षु एम. आनन्दा , भारतीय भिक्षुणी संघ तथा विश्व शांति नायक, म्यांमार सरकार द्वारा सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष- "अभिध्वजा महारथा गुरु" भदन्त ज्ञानेश्वर महाथेरो का गया शहर में भयंकर एक्सीडेंट हो गया, भगवान बुद्ध की अनुकंपा से जान बच गई, उनकी गाड़ी में लगभग 3 लाख का नुकसान हुआ किन्तु उनके आशीर्वाद के साथ सभी संघों के प्रमुखों ने भाग लेकर महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन का "साझा मंच" बनाकर केंद्र एवं बिहार सरकार पर दबाव बनाने के लिए आपसी सहमति व्यक्ति की, किंतु इस मौके पर लामा आकाश एवं भिक्षु प्रज्ञाशील गैर हाजिर हो गए और नहीं आए*।
*जानकारी के मुताबिक बौद्धों की राष्ट्रीय एकता का खेल बिगाड़ने में अहमदाबाद में स्थापित कंट्रोल रूम से भाई रमेश बैंकर जी ने निर्देश दिया था कि महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन के लिए बनाए जा रहे "साझा मंच" की बैठक में नहीं जाना है यदि ऐसा हुआ तो! महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन के नाम से ऑनलाइन -ऑफलाइन आ रहा लाखों रुपया (दान)भिक्षु संघ में बट जाएगा और इस आंदोलन में भिक्षु संघ कब्जा कर लेगा क्योंकि महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन के लिए "साझा मंच" बौद्धों की राष्ट्रीय एकता ना बनाने के बारे में जानकारी भाई रमेश बैंकर जी ने मोबाइल पर मुझे दी*।
*इस खबर को भारत का सबसे बड़ा प्रिंट मीडिया समूह का हिंदी अखबार दैनिक भास्कर ने 31 मार्च 2025 को "महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन नवबौद्धों का आंदोलन, इसमें शामिल नहीं है भारत का कोई भी बौद्ध भिक्षु संघ" इस खबर के प्रकाशित होने के बाद भारत में धम्म भूमि के महानायक भिक्षु डॉ. करुणा शील राहुल एवं श्रामनेर विनयाचार्य ने महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन की कमान नए सिरे से अपने हाथों में ली।और आंदोलनकारियो के लिए सुसज्जित पंडाल, कारपेट, टॉयलेट बाथरूम, खाने पीने की व्यवस्था , धरना स्थल पर भीड़ दिखाने के लिए दिल्ली, हरियाणा ,उत्तर प्रदेश, राजस्थान , महाराष्ट्र आदि प्रान्तों से कार्यकर्ताओं को बुलाकर बुद्ध दीक्षा, चीवर पहनाकर श्रामनेर बनाकर धरना स्थल पर बिठाया गया। बुद्ध संस्कृति का यह सुसज्जित कार्य धरना स्थल के सर-संचालकों बनावटी लामा आकाश एवं भिक्षु सुनितपाल, भिक्षु प्रज्ञाशील को नागवार गुजरा और यह आंदोलन भाजपा काकस से निकलकर सच्चे अंबेडकरवादियों के हाथों में जा रहा था इसलिए वर्तमान महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन आपसी गुटबाजी ,मारपीट , लात घुसो,हिंसा में परिवर्तित होकर बुद्ध की ज्ञानस्थली -शांति स्थली को वर्ष 2025 में बुद्धगया को हिंसा स्थली बना दिया गया*।
बाद में यह आंदोलन आपसी गुटबाजी, लीडरशिप की चाहत, चंदाखोरी, भिक्षु संघ का अभाव, भगवान बुद्ध के मार्ग पर ना चलकर अशांति , मारपीट,हिंसा की भेंट चढ़ गया। एक दूसरे के विरुद्ध बुद्धगया पुलिस में शिकायत (F.I.R.) का आंदोलन शुरू हो गया। अपने ही सहयोगी साथी श्रामनेर विनयाचार्य को चीवर में हथकड़ी लगवाकर जेल भिजवाने का प्रदर्शन शुरू हो गया और इसी कड़ी में वर्तमान महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन को शक्ति प्रदान करने वाले तेज तर्रार श्रामनेर विनयाचार्य को 69 दिन गया जेल में जाकर बुध्द धम्म का प्रचार- प्रसार करने का पावन अवसर मिला। इसी बीच एक ऐसी घटना लामा आकाश की कार्यशैली के चलते घटी जिसमें ब्राह्मणवादी संगठनों, बिहार सरकार, गया प्रशासन, बीटीएमसी के अधिकारियों ने महाबोधि महाविहार के प्रांगण में मुस्लिम राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को बुलाकर भगवान बुद्ध की मूल प्रतिमा के सामने पीठ दिखाकर बनावटी शिवलिंग पर पर हवन पूजा पंडो द्वारा कराकर वर्तमान महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन को करारा जवाब दिया गया । जिसने विश्व भर के बौद्ध समुदाय को आश्चर्यचकित कर दिया।
अन्त में "बंदी सुधार ग्रह" गया जेल में बुद्ध संस्कृति को बढ़ावा देने वालों को हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं।
आपका धम्मामित्र
*अभय रत्न बौद्ध*
राष्ट्रीय समन्वयक एवं संघठक
*राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया एवं*
बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत
*मुख्यालय*: महाबोधि मेडिटेशन सेंटर बुध्दगया जिला गया जी (बिहार)
*केंद्रीय कार्यालय:* बुद्ध कुटीर, 284/सी-1, स्ट्रीट नंबर -8, नेहरू नगर,
नई दिल्ली-110008
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