*~~~~ताले स्कूलों में डाले~~~~*
*~~~~ये कैसी लाचारी है~~~~*
*फोड़ रहे हैं रोज नारियल, पर कुछ काम नहीं आता।*
*चाहे जिस धारा में जाओ, सबका शिक्षा से नाता।*
अगर न्याय के लिये लड़ोगे, विद्यालय ही जाना है।
जो विद्यालय बन्द कर रहे, उनको सबक सिखाना है।
*स्वास्थ्य ठीक रखने की खातिर, अस्पताल की बारी है।*
*ताले स्कूलों में डाले, ये कैसी लाचारी है ?*
जिन्दा रख कर मार रहे वे, चुप हो कर क्या करना है ?
अगर कदम न अभी उठाये, तो जीते जी मरना है।
*मन्दिर के प्रांगण काफी हैं, बदलो सब स्कूलों में।*
*बुलडोजर से ध्वस्त करो मत, ये है नहीं उसूलों में।*
दिन का सूरज देख लिया है, अभी रात में बदलेगा।
डाल डाल का खेल यहाँ पर, पात पात में बदलेगा।
*मन्दिर ज्यादा बना रहे हैं, और अँधेरा करने को।*
*इनकी कौमें बची रहेंगी वहीं रात दिन मरने को।*
दुनिया का इतिहास देख लो, धर्म यहाँ भटकाता है।
सच से जनता दूर रहे बस, शूली पर लटकाता है।
*अय्यासों का इसी धर्म के अन्दर बना बसेरा है।*
*चोर डकैतों मक्कारों ने, वहीं लगाया डेरा है।*
पीढ़ी दर पीढ़ी देखा है, प्रतिफल कुछ भी नहीं मिला।
जो जैसा वैसा ही ठहरा, पत्थर अब तक नहीं हिला।
*उसी एक पत्थर के पीछे, कितनी पोथीं भर डाली।*
*हाथ पाँव न पड़े हिलाना, ऐसी रचना कर डाली।*
नयी उम्र के पोंगा पंडित, उनको क्या आता जाता ?
झूठ बोलते हैं घाटों पर, खुला हुआ सबका खाता।
*फोड़ रहे हैं रोज नारियल, पर कुछ काम नहीं आता।*
*चाहे जिस धारा में जाओ, सबका शिक्षा से नाता।*
*मदन लाल अनंग*
द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।
*1-* वैचारिक खोज बीन के आधार पर समसामयिक, तर्कसंगत और अकाट्य लेखन की प्रक्रिया *मध्यम मार्ग समन्वय समिति* के माध्यम से जारी *2700 से अधिक लेख/रचनायें* सोशल मीडिया पर निरंतरता बनाये हुए हैं।
*2-* कृपया रचनाओं को अधिक से अधिक अग्रसारित करें।
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