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ब्राह्मणों का षड्यंत्र: बाबरी मस्जिद का असली गुनाहगार

 

*ब्राह्मणों का षड्यंत्र: बाबरी मस्जिद का असली गुनाहगार*   


      (1) दिनांक 23-12-1949 को रात 12.01 मिनट,  प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू,  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत और फैजाबाद के डी. एम  के. के. नायर के काल में गोरखधाम (गोरखपुर) से लायी गयी राम,सीता और लक्ष्मण की मूर्ति मस्जिद के गुम्बद के नीचे बीच में रख दी गई।  इस प्रकार नेहरू सरकार ने फिरकापरस्त ताकतों के कहने पर बाबरी मस्जिद को विवादित स्थल बनाया।     


     (2) 1986 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के काल में विवादित बंद मस्जिद का ताला खुलवाया गया।  इसी समय दूरदर्शन टीवी पर 'रामायण धारावाहिक ' प्रसारित कर राम कथा घर घर प्रचारित कर धार्मिक भावना जागृत किया गया।  राजीव गांधी ने ताला खुलवाया और मस्जिद के अन्दर मूर्ति रखवाकर पूजा करने की इजाजत दी।        


      (3) 6 दिसंबर 1992 को प्रधानमंत्री नरसिंहराव  एवं उत्तर प्रदेश के बीजेपी मुख्यमंत्री के काल में संघ परिवार, कारसेवकों आदि द्वारा बाबरी मस्जिद गिरा दी गई।  अर्थात 1992 में नरसिंहराव की मिली भगत से कारसेवकों ने मस्जिद को तोड़ दिया।

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