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मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हिन्दू कौन है?

हिन्दू कौन है? और इस शब्द की उत्पत्ति किसने की और कब की हिन्दू धर्म कोई धर्म नहीं है परंतु यह एक जीवन जीने की शैली है। ऐसा कहना मेरा नहीं है ये इस देश के सर्वोच्च न्यायलय का,भारत के PM मोदी व RSS प्रमुख मोहन भागवत का कहना है क्योंकि हिन्दू शब्द का वर्णन या प्रयोग न तो चारों वेदों ( ऋग्वेद , सामवेद , यजुर्वेद , अथर्ववेद ) ,श्रीमद् भागवत और 18 पुराणों में है और न ही कहीं 120 स्मृतियों में ही कहीं मिलता है इस देश में सबसे पहले कबीलाई धर्म हुआ करता था जिनको मिटाकर विदेशी ब्राह्मणों ने अपना धर्म स्थापित किया जिसको आरम्भ मे इसे ब्राह्मण धर्म कहा जाता था परंतु बाद में अन्य लोगों में जागरूकता आने पर लोगों को गुमराह करने के लिए पैंतरा बदलकर विदेशी ब्राहम्णो ने इसको सनातन धर्म कहना शुरू कर दिया। हिन्दू शब्द की वास्तविकता यह है कि जब मुसलमानों /मुगल आक्रमणकारियों ने हमारे देश को गुलाम बना लिया और यहाँ का शासक बन गये तब सिंधु नदी के इस तरफ रहनेवाले सभी हारे हुए लोगों को उन विजेताओ ने हिन्दू नाम से संम्बोधित करना शुरू कर दिया। हिन्दू किसी भी भारतीय भाषा का शब्द नहीं है ये परशियन भाषा का शब्द है। इस...

खेती से प्रगति बिलकुल हो सकती है

खेती से प्रगति बिलकुल हो सकती है | जिस किसान भाई ने कुछ अलग करने की सोची है और कोशिश की है वहां सफलता जरूर मिली है और आज उन किसानो का लाखों करोड़ों का टर्नओवर है कौन सी। सी। फार्मिंग / जड़ी-बूटी अधिक लाभदायक है, भारत में हर्बल खेती का व्यवसाय है, हर्बलाइफ उत्पाद हैं दवा की खेती / जड़ी-बूटी वाली फसलों को बोने वाले किसानो का टर्नओवर आज करोड़ों रूपए है| पारम् खोज खेती से किसानो को हमेशा नुकसान ही हुआ है और कर्ज के दलदल में फंसे हैं | कुछ प्रगतिशील किसान जिनके पास पैदावार है और खेती छोड़कर अन्य खेती से औज़ोड व्यवसाय शुरू किया जाता है आज वे ग्रंथालय हैं| आम खेती के साथ जिन किसानो ने जड़ी बूंटी की खेती अपनाई है वो भी बीस गुना मुनाफा कमा रहे हैं| कोलियस, सफ़ेद मुसली, लेमनग्रास, श्यामा तुलसी, जामारोजा, अम्बा हल्दी, लाल चंदन, मुलेठी, सर्वगंधा, नीम, जामुन गुठली, सोठ, ब्रम्हि और शंख पुष्पी ऐसी ही औषधीय वनस्पतियां हैं, जिनकी कंपनियों को भारी डिमांड है| दवा की खेती / जड़ी-बूटी वाली फसलों को बोने वाले किसानो का टर्नओवर आज करोड़ों रूपए है| कई जड़ी बूंटी प्रति एकड़ 3 से 4 लाख का मुनाफा देती हैं| उनमें...

1 बीघा से कमा सकते है 2-2.5 लाख रुपये सालाना

    1 बीघा से कमा सकते है 2-2.5 लाख रुपये सालाना 2 मिनट का समय निकालकर जरूर पढ़ें ये आलेख  किसान भाइयों में आपको मोटी -मोटी जानकारी दे  रहा  हु और आप खुद अपने खेत के हिसाब पूरा लेखा जोखा निकाल सकते है  आप ऐसी अन्य जानकारी के लिए इस पेज को लाइक कर सकते है  अधिक जानकारी के लिए इस पेज को विजिट करें #वैज्ञानिक_खेती जीवन का आधार #पपीता भगा सकता है #किसान की गरीबी दोस्तों #नमस्कार, आज के इस बदलते हुए युग मे हमे #खेती के तौर तरीके भी बदलने पड़ेंगे, हम लोग #परम्परागत खेती  करके आर्थिक रूप से #कमजोर होते जा रहे है क्योंकि हमें #प्राकृतिक आपदा और उचित मूल्य नही मिलने की वजह से #नुकसान हो रहा है। आप इस फोटो में #पपीता की खेती देख रहे है ये बहुत शानदार  बढ़वार है, आप इसकी उन्नत किस्म जैसे :- #रेडलेड़ी 786 (ताइवान), अर्का सूर्या है  इसमें आप देख रहे है ये #ड्रिप (बून्द-बून्द) सिंचाई के विधि से पानी दिया जा रहा है जिससे पानी सीधे पौधे की #जड़ो में जाता है और बर्बाद नही होता है  #बून्द बून्द सिंचाई के कुछ फायदे जो आप इस फोटो में देख सकते है। 1. पानी की...

आइये जैविक खाद खुद बनाते हैं : इससे आसान कुछ नहीं है ।

    आइये जैविक खाद खुद बनाते हैं : इससे आसान कुछ नहीं है । जैविक खाद बनाने का तरीका  जैविक खाद होती क्या है : केंचुआ द्वारा खाये हुए गोबर से जो मल निकलता है उसे जैविक खाद कहते है । यह  पूरे तरह से कार्बनयुक्त होती                                    है और इसमें NPK  की मात्रा भरपूर होती है। इसमें कई  प्रकार के माइक्रो नुट्रिएंट्स भी पाए जाते है जिसके कारण                                    जैविक खाद विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए सम्पूर्ण भोजन का काम करती है । जिन जगहों पर पानी की कमी है                                    वहां फसलों की पिलाई ये कम कर देती है । जैविक खाद में एक  पैराट्रोपिक झिल्ली होती है जिससे इसमें पानी                   ...

महामारी के  ऊपर ओशो की सलाह ...पढ़िए

    महामारी के  ऊपर ओशो की सलाह ...पढ़िए *ओशो* गजब का *ज्ञान* दे गये, *कोरोना* जैसी *जगत बिमारी* के लिए *70* के *दशक* में *हैजा* भी *महामारी* के रूप में पूरे *विश्व* में फैला था, तब *अमेरिका* में किसी ने *ओशो रजनीश जी* से प्रश्न किया -इस *महामारी* से कैसे  बचे ? *ओशो* ने विस्तार से जो समझाया वो आज *कोरोना* के सम्बंध में भी बिल्कुल *प्रासंगिक* है। 🌹 *ओशो* 🌹 यह *प्रश्न* ही आप *गलत* पूछ रहे हैं, *प्रश्न* ऐसा होना चाहिए था कि *महामारी* के कारण मेरे मन में *मरने का जो डर बैठ गया है* उसके सम्बन्ध में कुछ कहिए?* इस *डर* से कैसे बचा जाए...? क्योंकि *वायरस* से *बचना* तो बहुत ही *आसान* है, लेकिन जो *डर* आपके और *दुनिया* के *अधिकतर लोगों* के *भीतर* बैठ गया है, उससे *बचना* बहुत ही *मुश्किल* है। अब इस *महामारी* से कम लोग, इसके *डर* के कारण लोग ज्यादा *मरेंगे*.......। *’डर’* से ज्यादा खतरनाक इस *दुनिया* में कोई भी *वायरस* नहीं है। इस *डर* को समझिये,  अन्यथा *मौत* से पहले ही आप एक *जिंदा* लाश बन जाएँगे। यह जो *भयावह माहौल* आप अभी देख रहे हैं, इसका *वायरस* आदि से कोई *लेना* *द...