विपक्ष को पहले ही अंदाजा हो चुका था,
कि भारत को युद्ध में कोई तगड़ा नुकसान हुआ है, पर देश की गोपनीयता बरकरार रखने के लिए वह खुलकर नहीं बोल रहा था।
पर सीज़फायर के बाद जब सवाल विपक्ष ने पूछना शुरू किये, तो पूरी बीजेपी व मोदी खिसियाहट से भर उठे ?
देश की जनता को तो यहीं समझ नहीं आ रहा, कि आखिर बीजेपी किस बात का जश्न मना रही है ?
_नरसंहार करने वाले आतंकवादियों में से एक भी न पकड़ पाने का ?
_या भारत के पांच से छः राफेल का पाकिस्तान द्वारा मार गिराए जाने का ?
_या जयशंकर द्वारा पाकिस्तान को युद्ध से पहले सूचना देकर चौकन्ना करने का ?
_या अमेरिकी व्यापारिक धौंस में "सीजफायर" कर घुटने टेकने का ?
मोदी के जश्न मनाने पर किसी को आपत्ति नहीं है, पर जश्न का सही कारण भी तो जनता को मालूम हो ?
मौका जब "POK" हासिल करने का था, उस वक्त मोदी डर के कारण "सीजफायर" कर बैठे ? और चाहते यह है, कि उनकी गिनती पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ की जाये ?
जरूर की जाती, यदि जिगरा इंदिरा गांधी का दिखाया होता ?
क्या अंतरराष्ट्रीय पटल पर विश्व के किसी भी कोने में पाकिस्तान की गिड़गिड़ाने का कोई वक्तव्य है ? नहीं है ?
यहीं यह सिद्ध होता है, कि "सीजफायर" की जितनी जल्दी पाकिस्तान को नहीं थी, उससे ज्यादा मोदी को थी ?
मोदी की कायरता के चलते जो सीजफायर हुआ, उससे हमारी सेना के मनोबल को अवश्य ठेस पहुंची होगी ?
युद्ध होगा, तो क्षति भी होगी, पर उस क्षति को अपने पराक्रम से दुश्मन सेना को भारी नुक़सान पहुंचा कर पूरा किया जाता है ?
पर मोदी ने "सीजफायर" करके यह सब करने का सेना को अवसर ही नहीं दिया ?
मोदी व जयशंकर ने पाकिस्तान को "युद्ध समय पर", "आधा घंटा पहले", या "आधा घंटा बाद" में जो सूचना पहुंचायी है, वो "देशद्रोह की श्रेणी" में गिनी जाती है ?
क्या इस पहले सूचना देने के चक्कर में कहीं पाकिस्तान ने भारतीय सेना के साथ कोई बहुत बड़े खेल को तो अंजाम नहीं दे दिया ?
जिसे मोदी व जयशंकर छिपा रहे है ? सीजफायर किन शर्तों पर हुआ, यह भी बताने में भी पूरी बीजेपी के दांत "किटकिटा" रहे है, पर बता नहीं पा रहे है।
क्योंकि जिस आनन-फानन में रातोंरात मोदी ने सीजफायर का निर्णय लिया, वह देश की जनता को अब तक "पच" नहीं रहा है ? "अपच" मोदी को भी हो रही है, जो उनकी "रैलियों" व "रोड शो" में उनके "बाडी लेंग्वेज" से साफ देखी जा सकती है।
भारत चढ़कर युद्ध कर रहा था, तो "सीजफायर" भी भारत की शर्तों पर तय होना चाहिए था,
पर सीजफायर की इस बार शर्तें क्या थी, ये शायद सीजफायर वाले दिन, न रक्षामंत्री को, न विदेशमंत्री और न मोदी को पता थी ?
देश के इतिहास में यह एक अनूठा सीजफायर रहा होगा।