साथियों जिस दिन बाबा सहाब के छोटे बेटे राज रत्न का इलाज के अभाव में मृत्यु हुई उस दिन बाबा सहाब के पास कफन तक डालने के लिए पैसे नहीं थे।

 


साथियों जिस दिन बाबा सहाब के छोटे बेटे राज रत्न का इलाज के अभाव में मृत्यु हुई उस दिन बाबा सहाब के पास कफन तक डालने के लिए पैसे नहीं थे। सभी बस्ती के लोग एकत्रित हो चुके थे कुहराम मचा हुआ था बाबा सहाब बुरी तरह टूट चुके थे। तब माता रमा बाई ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर राज रत्न के ऊपर डाला यह दशा बाबा सहाब की थी पुत्र का अंतिम संस्कार कर ने के बाद बाबा सहाब बहुत घबरा गए थे उन्होंने अपने आपको कमरे में बंद कर लिया था। छै घंटे बीत चुके थे। तब माता रमा बाई ने किबाड खट खटाए, बाबा सहाब दरबाजा खोलो, बाबा सहाब दरबाजा नहीं खोलते हैं तब माता रमा बाई ने कहा बाबा सहाब दरबाजा खोलो आप का एक पुत्र राजरत्न मरा है परंतु समाज के कइ हजारों राजरत्न जिन्दा है उनको बचाने की खातिर आपको लंदन गोलमेज सम्मेलन में जाना है तव बाबा सहाब ने दरबाजा खोला और मां रमा बाइ से कहा हे रामू तू कैसी माँ है तेरा बच्चा मरा है उसकी परवाह नहीं और मुझसे लंदन जाने की कह रही है ऐसी त्याग की देवी माता रमा बाई के लिए मेरा कोटि कोटि नमन। नमो बुद्धाय जय भीम जय, जय माता रमा बाई

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