सीज़फायर के अंदरखाने की वजहें सामने नहीं आएंगी। आप सरकार से पूछेंगे तो वह बताएगी नहीं, ऊपर से ज़्यादा पूछताछ की तो देशद्रोही करार दिए जाएंगे। हम पूछेंगे तो पाकिस्तानी।

 


अंदरखाने की राजनीति:-


सीज़फायर के अंदरखाने की वजहें सामने नहीं आएंगी। आप सरकार से पूछेंगे तो वह बताएगी नहीं, ऊपर से ज़्यादा पूछताछ की तो देशद्रोही करार दिए जाएंगे। हम पूछेंगे तो पाकिस्तानी।


सेना से आप पूछ नहीं सकते , पूछेंगे तो आप पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो जाएगा।‌ इसलिए क्या पूछना? साफ़ है कि जो दिखाई देता है वह होता नहीं और जो दिखाई नहीं देता दरअसल वही होता है। अंदरखाने जो राजनीति और डील होती है वह किसी भी देश को ना दिखाई जाती है ना बताई जाती है।


कुल मिलाकर सारा मामला दो नगर सेठों का ही लगता है। मुकेश अंबानी अपनी पत्नी के साथ क़तर की राजधानी दोहा पहुंच चुके हैं जहां वह लुसैल पैलेस में कतर के अमीर द्वारा ट्रंप के सम्मान में आयोजित राजकीय रात्रिभोज में शामिल होंगे और अमेरिकी राष्ट्रपति से उनकी चर्चा भी होगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा वेनेजुएला से तेल आयात पर लगे अमेरिकी टैरिफ को खत्म होता हुआ आप जल्दी ही देखेंगे।


कुल मिलाकर मामला दो नगर सेठों के व्यापार का ही है , दोनों के प्रमुख व्यापारिक संस्थान भी अरब सागर के तट पर हैं और मुद्रा पोर्ट हो या जामनगर रिफाइनरी, पाकिस्तान से 200 किमी ही दूर है जहां पाकिस्तान से मिसाइल आने में 4-5 सेकेंड लगते हैं।


मगर सब सलट गया 


राजनीति ऐसे ही होती है , देश को पूतिया बनाया जाता है और अन्दर खाने खेल कुछ और खेला जाता है। देश जब पाकिस्तान को खत्म कर देने का इंतजार कर रहा होता है तब देश को कहा जाता है कि उनके DGMO ने युद्ध विराम की अपील की तो हमने मान ली।


ऐसे यह सब इतनी आसानी से नहीं होता, नगर सेठ का डोनल्ड ट्रंप से कतर में मुकाबला यूं ही नहीं है। भारी व्यापारिक डील होगी, आर्थिक रूप से अमेरिका और अंबानी के बीच लेन-देन होगा , देश भारत- पाकिस्तान का खेल खेलता रहे।


उधर सीरिया में आतंकवादी संगठन अलकायदा का प्रमुख, आतंकवादी संगठन ISIS का पूर्व कमांडर और ISIS के प्रमुख बगदादी का खासमखास रहे 10 मिलियन डॉलर के इनामी रहे अमेरिका द्वारा घोषित आतंकवादी अहमद अल-शरा से अमेरिकी राष्ट्रपति ने मुलाकात की , अपने बराबर बिठाया लगभग 30 मिनट तक बातचीत हुई और सीरिया पर से सभी प्रतिबंध हटा लिया।


ख़बर तैर रही है कि व्यापारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब से 600 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त करके मिडिल ईस्ट में वह सब कर रहे हैं जो सऊदी अरब चाह रहा है।


पैसा बोलता है....


सीरिया पर से प्रतिबंध हटा दिया गया है, अब जब क़तर अमेरिकी राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे मंहगा उपहार ₹3400 करोड़ का बोइंग 747-8 जंबो जेट देगा तो इज़राइल और बेंजामिन नेतन्याहू पर धकेल कस दी जाएगी और फिलिस्तीन तथा गाज़ा को अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा पुर्ण रूप से सुरक्षित कर दिया जाएगा।


बस इंतज़ार करिए....


आज का दौर सामरिक युद्ध का नहीं आर्थिक युद्ध का है , इसमें खुद को आर्थिक रूप से मज़बूत करने और दुश्मन देश को आर्थिक रूप से कमज़ोर करने का है।


मगर आप मज़बूत कैसे होंगे? जब आप 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने, मुफ्त में हगाने खिलाने और पकाने का ढिंढोरा दुनिया में पीटेंगे? तो दुनिया आपको कंगाल ही समझेगी क्योंकि देश तब समृद्ध बनता है जब देशवासी समृद्ध होंगे , 80 करोड़ भिखमंगों वाला देश आर्थिक समृद्धि कैसे बनेगा? 


बेहतर है इन मुफ्त की योजनाओं को बंद करके उन्हें रोजगार दीजिए, देश में शांति लाईए , दंगा मुक्त देश बनाईए क्योंकि एक अशांत देश और प्रदेश जहां सिर्फ दंगा होता हो कोई देश और उद्योगपति निवेश करने कभी नहीं आएगा।


इसलिए राष्ट्रवाद का चूरन चाटना बंद करिए, यह बकवास है। यथार्थ की ज़मीन पर उतरिए, मिल कर देश को मज़बूत करिए‌, देश आर्थिक महाशक्ति बनेगा तब अमेरिका भी घुटने टेकेगा जैसे सऊदी अरब और क़तर में टेक रहा है।


नहीं तो एक अदने से पाकिस्तानी DGMO के फोन पर आपको वही फैसला लेना पड़ेगा जो बाप जी कहेंगे।


बाकी सब जो आप देख रहे हैं वह "स्क्रिप्टेड फिल्म" है। आपको दिखाया जा रहा है और आप देख रहे हैं, आपस में गुत्थमगुत्था कर रहे हैं........


अपना वाला यही चाहता भी है...उसे देश से नहीं सिर्फ अपनी सत्ता से मतलब है.... देखिएगा एक दिन डिनर भी खाएगा... वहां खड़ा होकर भाषण भी पेलेगा...

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