हमारे बहुजन महापुरुषों ने हमारे भविष्य के लिए अपना जीवन न्योछावर करके हमें नारकीय जीवन से बचाया। मैने अपने 72 वर्ष के जीवन में जीवन भर उस कारवां को आगे ले जाने की ईमानदारी ,लग्न ओर महा पुरुषों के रास्ते चलकर जी जान से कोशिश की लेकिन हमारी आपसी फूट ओर मनुवाद के अथाह प्रचार प्रसार की विषम परिस्थितियों के कारण अन्य मिशनरियों की तरह मै भी आंशिक जी सफल हो सका। मैं महापुरुषों की तरह कोई बड़ा काम तो नहीं कर पाया लेकिन मेरा अब तक का जीवन निष्कलंक ओर संघर्षशील व्यक्तित्व भरा ही रहा है। मेरा ,मेरी अगली पीढ़ी के लिए यही संदेश है कि यदि अपना अस्तित्व बचाना है तो समझदार बने ,संगठित होकर ब्राह्मणवाद से संघर्ष करे और अपने जीवन में अपने समाज के लिए कुछ न कुछ अवश्य करें। क्यों कि प्रकृति का नियम है कि जीवन संघर्ष चलता रहता है और उसमें सर्वश्रेष्ठ ही बचे रहते हैं। इसलिए संगठित होकर सर्वश्रेष्ठ बनें और अपने अस्तित्व के लिए अपने अपने हिस्से का संघर्ष बढ़ चढ़ कर करें। अपने बीच के भेदिये ओर दलालों को समय रहते ही शीघ्रता से अलग थलग कर दें और सच्चे संघर्ष कर्ता को मिलकर आगे बढ़ाएं।अल्पसंख्यक ब्राह्मणों की कुटिलता पूर्ण सफलता से हमें भी सीख लेने की बहुत जरूरत है।
भविष्य आपका ही है बशर्ते आप ऊपर लिखी बातों को याद रखें और उनको अपने संघर्ष के उपयोग करें ।
सभी बहुजन महापुरुषों को कोटि कोटि नमन,
जय भीम
इंजीनियर ओम प्रकाश सिंहमार
राष्ट्रीय महासचिव ,
अनुसूचित जाति जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ दिल्ली।