सम्मानीय ओबीसी OBC. के लिए.संविधान के article 19, 14 के अनुसार जो सामाजिक, शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हैं , उनका जाति संख्यां का जनगणना सर्वै कर जाति संख्यां के मान से शासन प्रशासन के सभी क्षेत्रों में हिस्सेदारी प्रतिनिधित्व दिया जाना या प्राप्त करना संवैधानिक अधिकार है। जो हिस्सेदारी /आरक्षण SC.ST. को 1932 से है वही अधिकार ओबीसी को है। ओबीसी की संख्यां 1931. की जनगणना के अनुसार 52% थी अब वर्तमान में 60% के लगभग होगी। पूरे देश का बजट माने 45 लाख करोड़ का हो तो 45 लाख करोड़ में से लगभग 33 लाख करोड़ का बजट ओबीसी के नाम पर आंवटित होगा, फिर ओबीसी का विकास क्यों नहीं होगा? ओबीसी अधिकतर किसान कारीगर है। इस कार्य में इतने व्यस्त कि ओबीसी के बच्चों का उज्जवल भविष्य बनाने के संबंध में चिंतन मनन, जांच, मालूम करने के लिए फुरसत नहीं। ओबीसी के 60% कलेक्टर , डाक्टर,जज, वकील, इंजीनियर, कालेज , विश्वविद्यालय में के प्रोफेसर, सचिवालय में सचिव, विदेश विभाग, सरकार के हर क्षेत्र में 60%हिस्से दारी प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए जाति आधारित जनगणना सभी की करवाना जरूरी , इसके लिए सरकार पर दबाव बनाना जरूरी है। खेती में, कारीगरी में उलझे रहने से ओबीसी में merit उच्च शिक्षा, बोद्धिक स्तर विकसित नहीं होगी। शासन प्रशासन में क्या चलाया जा रहा मालूम नहीं होगा। शासन प्रशासन में ओबीसी का पर्याप्त प्रतिनिधित्व होगा तभी सरकार के भीतर की रणनीति मालूम होगी। ब्राहमण 3% है। शासन प्रशासन में 79% जगहों पर उच्च पदों पर कब्जा है। ओबीसी 60% के बाद भी मुश्किल से 4% प्रतिनिधित्व होगा। फिर ओबीसी का हिस्सा तो ब्राहमण कब्जा किए हुए। एस सी एस टी वालों ने कहां लिया। अभी तो एस सी, एस टी के 23% पद ही नहीं भरे ग ए।
7%पद भरे ही नहीं भरे तो एस सी एस टी ने किसी का भी हिस्सा नहीं लिया। जो प्रचार किया जा रहा वो झूठ है।
क्षत्रीय 5.5%, है, वैश्य 6% है अभी इन्हीं के पूरे पद भरे नहीं। Rti के तहत जानकारी सरकार से ली जा सकती है। ये सब हिस्सेदारी जाति संख्यां के मान से शासन प्रशासन में हिस्सेदारी ली जा सकती जब जाति आधारित जनगणना सरकार करवाए। सभी को यह मालूम करना कि जाति आधारित जनगणना का विरोध कौन करता? यह मालूम यदि की जाए तो आधी से ज्यादा 97% की समस्या का समाधान संभव है। इसके लिए इवीएम हटवाना जरूरी है। इसके स्थान पर Ballot paper से चुनाव करवाया जाए तभी सभी समाधान संभव है।