ये ढोंगी कुछ पता नहीं है~~~* *~~~किस दुनिया से आये हैं ?



*~~~ये ढोंगी कुछ पता नहीं है~~~*

*~~~किस दुनिया से आये हैं ?~~~*

*लड्डू में चर्बी का घी है, उस पर इतना हल्ला क्यों ?*

*गोबर खा कर मूत्र पी रहे, झाड़ रहे हैं पल्ला क्यों ?*

वैज्ञानिक ही दृष्टिकोण है, खुल कर नहीं बताते हैं ?

पंच तत्व का ज्ञान हमेशा, औरों को समझाते हैं ?

*गाय करे गोबर उसमें से, गेहूँ बीना जाता है।*

*उस गेहूँ का आटा कितना, खाना कौन पकाता है ?*

लहसुन प्याज़ नहीं खाते हैं, उसकी गन्ध सताती है।

और बने जो आटा ऐसे, उसकी खुशबू आती है।

*ये ढोंगी कुछ पता नहीं है, किस दुनिया से आये हैं ?*

*कदम कदम पर भारत भर में, राग बहुत फैलाये हैं।*

इनकी संतानों का भी तो, रूप निखर कर आया है।

बिना ज्ञान के दान दक्षिणा में, उनको उलझाया है।

*भूख पेट की उन्हें सताती, बचा न कोई धन्धा है।*

*इसीलिये बचपन से सारा, देश हो रहा अन्धा है।*

पूजा पाठ देख लो इनका, तो पागल हो जाओगे।

कर्म काण्ड की खोल पोटली, उसमें ही खो जाओगे।

*जो वर्षो से चला आ रहा, तर्क नहीं होने देते।*

*क्या जाने करनी भरनी में, फर्क नहीं होने देते।*

ये प्रसाद के पूजा स्थल, क्या इतने उपयोगी हैं ?

या इनकी छाया में पड़ कर, लोग हो रहे रोगी हैं ?

*खत्म हुये हैं कुछ चुनाव तो, चला रहे हैं बल्ला क्यों ?*

*गरिमा पद की चौपट कर दी, बने हुये हैं लल्ला क्यों ?*

*लड्डू में चर्बी का घी है, उस पर इतना हल्ला क्यों ?*

*गोबर खा कर मूत्र पी रहे, झाड़ रहे हैं पल्ला क्यों ?*


*मदन लाल अनंग*

द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।

*1-*  वैचारिक खोज बीन के आधार पर समसामयिक, तर्कसंगत और अकाट्य लेखन की प्रक्रिया *मध्यम मार्ग समन्वय समिति* के माध्यम से जारी  *2300 से अधिक लेख/रचनायें* सोशल मीडिया पर निरंतरता बनाये हुए हैं।

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