मूल निवासी उठो आज~~~* *~~~इतिहास पुराना बुला रहा

 


*~~~मूल निवासी उठो आज~~~*

*~~~इतिहास पुराना बुला रहा~~~*


*लहू नहीं सिन्दूर बसा है, अब तो उसकी नस नस में।*

*उसका हर आचरण देख लो, नहीं रहा उसके बस में।*

मंगल सूत्र लिये दौड़ा था, मगर मांस में अटक गया।

गाय छोड़ कर भैंस पकड़ ली, तभी राह में भटक गया।

*उलझ गये हैं देख रहे हैं, अपनी उल्टी पारी को।*

*लाशों के सौदागर देखो, पकड़े हैं व्यापारी को।*

उसके मुख से जो भी निकला, कितना बड़ा मखौल हुआ ?

अमृत जैसी वाणी का भी, मन मिट्टी के मोल हुआ।

*जिसने खुद का कर्म न देखा, बस औरों पर वार किया।*

*अन्धे भक्तों ने पहले ही, उसका बेड़ा पार किया।*

बिलख रहे हैं भक्त आज फिर, बुलडोजर की मार पड़ी।

दिल्ली फिर बेजान हुयी है, देख रही है खड़ी खड़ी।

*चुटकी भर सिंदूर उठा कर, सभी जगह फैलाया है।*

*अन्ध भक्त सब तड़प रहे हैं, जो उत्पात मचाया है।*

दिल्ली भीगी बिल्ली बन कर, बोल रही म्याऊँ म्याऊँ।

मैं जस की तस खड़ी हुयी हूँ, इसे छोड़ कर क्यों जाऊँ ?

*तुगलक भी दिल्ली पर बैठा, रंग दौलताबाद चढ़ा।*

*शाह जफर भी देख रहा है, ये अनहोनी खड़ा खड़ा।*

कब्र बनी रंगून कभी वो भी, भारत का भाग रहा।

अब अखण्ड भारत वालों का, खून नहीं क्यों जाग रहा ?

*रोहिंग्या अगर हैं वे तो, इसमें उनकी भूल कहाँ ?*

*भारतवर्ष विशाल रहा है, फैली उनकी धूल यहाँ।*

उनका मुस्लिम होना ही, इस बुलडोजर का हिस्सा है।

ये भी तो *खानाबदोश* हैं, बहुत पुराना किस्सा है।

*मूल निवासी उठो आज, इतिहास पुराना बुला रहा।*

*अन्ध भक्त मत बनो समझ लो, कौन नींद में सुला रहा ?*

कुछ तो कदम बढ़ाने होंगे, अब तो यहाँ वीर रस में।

खुशबू बन कर ही फैलो अब, जैसी उठती खस खस में।

*लहू नहीं सिन्दूर बसा है, अब तो उसकी नस नस में।*

*उसका हर आचरण देख लो, नहीं रहा उसके बस में।*


*मदन लाल अनंग*

द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।

*1-*  वैचारिक खोज बीन के आधार पर समसामयिक, तर्कसंगत और अकाट्य लेखन की प्रक्रिया *मध्यम मार्ग समन्वय समिति* के माध्यम से जारी  *2300 से अधिक लेख/रचनायें* सोशल मीडिया पर निरंतरता बनाये हुए हैं।

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