*~~~जो सिन्दूर् उजाड़े उनका~~~*
*~~~घर कितना कमजोर हुआ~~~*
*पहले झूठ बोलती जनता, पोल मीडिया खोल रही।*
*अब जब झूठ मीडिया बोले, जनता सारी बोल रही।*
पोल मीडिया खोले, तब तो शर्म हया भी आती थी।
कई महीनों तक ये जनता, चेहरा नहीं दिखाती थी।
*नैतिकता थी मर्यादा थी, सामाजिक भय ज्यादा था।*
*झूठ बोलने में तब इतना, गन्दा नहीं इरादा था।*
अब तो झूठ बोलने की, अतिशय तैयारी होती है।
और दूसरे दिन ही कितनी, मारामारी होती है।
*झूठ नहीं था फिर भी देखो, पहलगाम का शोर हुआ।*
*जो सिन्दूर उजाड़े उनका, घर कितना कमजोर हुआ।*
पर जो धर्म दूसरा ओढ़े, वे सिन्दूर नहीं भरते।
बेबस हठ धर्मी के आगे, और बिचारे क्या करते ?
*तब सिन्दूर नहीं उजड़ा था, जब घाटी गलवान हुयी।*
*वहाँ वास्ता पड़ा चीन से, तब क्यों न बलवान हुयी।*
जो मुस्लिम कमजोर, उन्हीं से हाथापाई करते हैं।
डाल मजारों पर चादर, उसकी भरपाई करते हैं।
*यही मीडिया है सरकारी, चरणों में गिर जाता है।*
*नैतिकता है शून्य विवादों में, हरदम घिर जाता है।*
यही मीडिया सोशल हो कर, जम कर अपनी बात करे।
सरकारों की तरह नहीं, ये घात और प्रतिघात करे।
*क्यों चीनी सरकार देश का, बदल अभी भूगोल रही।*
*करम कसाई हैं सत्ता में, हालत डांवा डोल रही।*
*पहले झूठ बोलती जनता, पोल मीडिया खोल रही।*
*अब जब झूठ मीडिया बोले, जनता सारी बोल रही।*
*मदन लाल अनंग*
द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।
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