पुरे_विश्व_में_एक_ही_लड़ाई_है_मूलनिवासी_vs_विदेशी

 


#पुरे_विश्व_में_एक_ही_लड़ाई_है_मूलनिवासी_vs_विदेशी 

इन विदेशी लोगो ने हर जगह अपना कब्जा जमाया है 

लेकिन अब इन विदेशी लोगो को अपना ठिकाना ढूँड़ना होगा क्यूकि अब ये हर जगह से खदेड़े जाएगे!


BBC, France 24.

मैं तुम सबको देख रहा हूँ। मैं तुम्हारा हर झूठ रिकॉर्ड कर रहा हूँ। मैं तुम्हारी हर तोड़-मरोड़कर बताई गई बातों को संग्रहित कर रहा हूँ। मैं इब्राहीम टरोरे हूँ और आज मैं तुम्हारे नक़ाब उतार रहा हूँ।


हाँ, तुमने सही सुना।

मैं, जिसे तुम एक नौजवान सैनिक शासक कहते हो, जिसे तुम एक खतरनाक उग्रपंथी कहते हो, जिसे तुम पश्चिम-विरोधी तानाशाह बताते हो, आज मैं तुम्हें सच्चाई बता रहा हूँ।


और इस बार तुम माइक बंद नहीं कर सकते।

इस बार तुम अपने कैमरे नहीं हटा सकते।

इस बार तुम्हारे संपादक इस भाषण को काट नहीं सकते क्योंकि वो दुनिया अब नहीं रही जिस पर तुम्हारा एकाधिकार था।


अब करोड़ों लोग ये बातें सुनेंगे,

बिना तुम्हारे फ़िल्टर से गुज़रे,

बिना तुम्हारे झूठों में लिपटी,

बिना तुम्हारी गंदगी में सनी।


मैं 34 साल का हूँ।

मैंने अपनी ज़िंदगी के हर दिन तुम्हारे झूठों में बिताए।


बचपन में, मैं टीवी पर अफ़्रीका देखा करता था —

हमेशा वही तस्वीरें — मक्खियों से घिरे बच्चे, सूखी ज़मीनें, हथियार, मौत।


यही है अफ़्रीका, उन्होंने हमें बताया।

अफ़्रीका ऐसा ही होता है, और हमने मान लिया।

हमें खुद पर शर्म आने लगी।

हमें अपनी धरती से, अपने लोगों से शर्म आने लगी।


लेकिन फिर मैं बड़ा हुआ।

मैंने पढ़ा, रिसर्च किया, सवाल किए —

और मुझे समझ आया कि जो अफ़्रीका तुमने हमें दिखाया, वो असली नहीं था।


जो कहानी तुमने हमें सुनाई, वो एक झूठ थी।

जो किस्मत तुमने हमारे लिए तय की, वो एक स्क्रिप्ट थी जो तुमने सालों पहले लिखी थी।


तुमने अफ़्रीका को कैसे दिखाया?

कैसे बेचा?

ऐसे जैसे हम इंसान ही न हों,

जैसे हम किसी जंगल के जानवर हों,

जैसे हम तुम्हारे इंतज़ार में पड़े हुए बेचारे हों।


हर दिन, हर घंटे, हर मिनट तुम्हारी स्क्रीन पर वही कहानी —

भूख, युद्ध, बीमारी, भ्रष्टाचार, आतंक, अराजकता।


जब कोई "अफ़्रीका" कहता है तो तुम्हारे शब्दकोश में और कोई शब्द ही नहीं होता —

ना उम्मीद, ना सफलता, ना विकास, ना प्रतिरोध, ना इज़्ज़त, ना गर्व, ना जीत।


तो मैं तुमसे पूछता हूँ —

New York Times, Washington Post, Guardian, Le Monde,

कभी अफ़्रीका की कामयाबियों को अपनी हेडलाइन बनाया?


कितनी बार तुमने रवांडा की टेक्नोलॉजी क्रांति के बारे में लिखा?

कितनी बार तुमने इथियोपिया के पुनर्वनीकरण प्रोजेक्ट को दिखाया?

कितनी बार तुमने बोत्सवाना की लोकतांत्रिक सफलता की तारीफ की?

कितनी बार तुमने केन्या की एंटरप्रेन्योरशिप की कहानी सुनाई?


नहीं, क्योंकि ये सब तुम्हारी स्क्रिप्ट में फिट नहीं बैठता।

तुम्हारे अफ़्रीका की कहानी में अफ़्रीका सफल नहीं हो सकता।


अगर अफ़्रीका को मदद की ज़रूरत नहीं है, तो तुम कैसे हस्तक्षेप करोगे?

अगर हम पिछड़े नहीं हैं, तो तुम हमें नीचा कैसे दिखाओगे?


क्या कभी तुम्हारे किसी संपादक, किसी रिपोर्टर ने ये सोचा है:

दुनिया की सबसे अमीर ज़मीनों पर बसे लोग गरीब क्यों हैं?


तो लीजिए, असल आंकड़े —

दुनिया का 70% कोबाल्ट अफ़्रीका के पास है —

तुम्हारे फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक कार इसके बिना नहीं चलेंगे —

ये कोबाल्ट कांगो से आता है, लेकिन वहाँ के लोग मोबाइल नहीं खरीद सकते।


दुनिया का 90% प्लैटिनम अफ़्रीका से —

साउथ अफ़्रीका से — और वहाँ के लोग बेरोज़गारी में डूबे हैं।


30% सोना — माली, बुर्किना फासो, घाना, तंज़ानिया —

सोना नदियों की तरह बहता है, लेकिन लोग गरीबी में तैरते हैं।


65% हीरे — बोत्सवाना, अंगोला, कांगो, सिएरा लियोन —

अरबों डॉलर के हीरे निकाले जाते हैं, लेकिन मज़दूर $1 रोज़ कमाते हैं।


35% यूरेनियम — नाइजर, नामीबिया, साउथ अफ़्रीका —

पेरिस की लाइटें हमारे यूरेनियम से जलती हैं, लेकिन हमारे गाँवों में बिजली नहीं।


और तुम पूछते हो — अफ़्रीका गरीब क्यों है?

सही सवाल ये है:

अफ़्रीका को इतना अमीर होते हुए गरीब कैसे बनाए रखा गया?


जवाब है — उपनिवेशवाद कभी खत्म नहीं हुआ, उसने बस रूप बदला।

पहले तुम हमारे देश पर कब्ज़ा करते थे,

अब तुम कंपनियाँ खोलते हो।

पहले तुम ज़बरदस्ती लेते थे,

अब तुम समझौते करवाते हो।

पहले तुम कोड़े से शासन करते थे,

अब तुम कर्ज़ देकर।


अब मैं तुम्हें तारीख़, नाम, आंकड़े देकर बताता हूँ: - 


Glenore, स्विट्ज़रलैंड की कंपनी, कोबाल्ट निकालती है कांगो से। 2022 में कमाई $256 बिलियन, टैक्स दिया कांगो को $500 मिलियन — यानी सिर्फ 0.2%। क्या यही न्याय है?


Rio Tinto, ब्रिटिश-ऑस्ट्रेलियन कंपनी, गिनी में बॉक्साइट निकालती है — 20 मिलियन टन हर साल। गिनी को क्या मिला? प्रदूषण और कैंसर।


Total Energies, फ्रेंच ऑयल कंपनी — अंगोला, नाइजीरिया, कांगो में तेल निकालती है — 2022 में मुनाफ़ा $36 बिलियन, लेकिन अफ़्रीका में सिर्फ गंदे पाइपलाइन।


Anglo American, साउथ अफ़्रीका से शुरू हुई, अब लंदन में — हीरे, प्लैटिनम, लोहा सब ले लिया, और छोड़ गए 60 लाख बेरोज़गार मजदूर।


ये तो सिर्फ बर्फ़ की नोक है।

बाकी का क्या?

छुपे हुए सौदे, सीक्रेट बैंक अकाउंट्स, टैक्स की चालबाज़ियाँ —

हर साल $88 बिलियन अवैध रूप से अफ़्रीका से बाहर जाता है।


तुम $45 बिलियन की मदद लिखते हो —

पर कोई ये नहीं लिखता कि अफ़्रीका मदद पाने वाला नहीं है, देने वाला है।


तुम कैमरा ज़ूम करते हो सूजे हुए पेटों पर —

जबकि पर्दे के पीछे हर रोज़ टन के हिसाब से सोना, हीरे, तेल, यूरेनियम निकलता है।


ये है तुम्हारा सिस्टम :- 


- भ्रष्टाचार फैलाओ — नेताओं को रिश्वत दो, विदेश में अकाउंट खोलो, उनकी औलादों को अपनी यूनिवर्सिटी में भेजो।


- सौदे करो — 50, 99 साल के कॉन्ट्रैक्ट, टैक्स से छूट, पर्यावरण और मजदूर नियमों की अनदेखी।


- इंफ्रास्ट्रक्चर पर कब्ज़ा — बंदरगाह, एयरपोर्ट, रेलवे — सिर्फ खदान से पोर्ट तक। गाँवों तक सड़क नहीं, स्कूलों में बिजली नहीं।


- सुरक्षा दो — प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनियाँ, हथियार दो, विरोध को आतंकी घोषित करो।


- मीडिया को चुप कराओ — लोकल पत्रकार खरीदो, विरोधी आवाज़ें दबाओ, बाहर की मीडिया को सिर्फ अराजकता दिखाओ।


ये सिस्टम 100 साल से चल रहा है।

तुम इसे नहीं देखना चाहते, क्योंकि तुम खुद इसका हिस्सा हो।


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