*कहां जा रहा है देश, कैसा होगा आपके बच्चों का भविष्य........अगर आपको अपने बच्चों से प्यार है तो समय निकालकर जरूर सोचिए।* 👉हस्तिनापुर का दुर्भाग्य ये नहीं था कि उसका राजा अंधा और चोर था। हस्तिनापुर का असली दुर्भाग्य ये था कि वहां की जनता मौन और कायर थी। इस सच्चाई को द्रौपदी से बेहतर और कौन समझ सकता है? 👉आज भारत में हर जगह सीनाजोरी, लूट और भ्रष्टाचार है। जनता तबाह और समाज लाचार है। ऊपर से लेकर नीचे तक थाना, पुलिस, अदालत सब दिन दिहाड़े जनता को लूट रहे हैं। मगर जनता चुप है.... ➡️देश का एक राज्य मणिपुर 2 सालों से अधिक समय से धधक रहा है, मगर प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री सिर्फ चुनावी रैलियां करने में बिजी हैं। ऐसा लग रहा है कि इस सरकार ने मणिपुर के लोगों को उसके हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया है। ➡️किसने सोचा था कि अच्छे दिन में देश के 80 करोड़ लोग 5 किलो राशन पर जिंदा रहेंगे। देश की 40 फीसदी संपत्ति सिर्फ 1 प्रतिशत अमीरों के पास हो जाएगी। बेरोजगारी 45 सालों का रिकार्ड तोड़ देगी और किसानों और बेरोजगारों के पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। ➡️ आज 15 हज़ार की नौकरी के ...
*~~ फिर इन्तजार अब किसका है~* *~~ कुछ आर करो कुछ पार करो~~* *हम सभी मुसाफिर कुछ पल के, किस ओर ढकेले जायेंगे ?* *चाहे जितने भी जतन करो, पर सभी अकेले जायेंगे।* है चार दिनों की चमक, इसे धुंधला हो कर खो जाना है। पहले भी गुजरे हैं ये पल, चिर निद्रा में सो जाना है। *फिर इन्तजार अब किसका है, कुछ आर करो कुछ पार करो।* *सौदागर बन कर आये हो, अब खुल कर के व्यापार करो।* जो इंसानों के सौदागर, उनको मत आगे बढ़ने दो। हैं वीर बांकुड़े अभी बहुत, उनको मत शूली चढ़ने दो। *माना है उनमें नशा धर्म का, चक्कर खाये रहते हैं।* *उनकी आवाज बुलन्द रहे, कितना बौराये रहते हैं ?* उद्देश्य तभी होगा पूरा, अब उनको आगे लाना है। उनको उनके ही हाथों से, उनका ही घर जलवाना है। *भावना यही तो पनपी है, जिसका है कोई अन्त नहीं।* *खो गये अनेंकों आँधी में, जिन देखे कभी बसन्त नहीं।* हम अपने आप नशे में हैं, हम अपने आप जागते हैं। जब दिशा ज्ञान ही छूटा है, मन चाही दिशा भागते हैं। *धुंधली धुंधली है शाम अभी, करना है काफी काम अभी।* *कुछ कदम छिपा कर ही चलना, कर डालेंगे बदनाम अभी।* अब तो मौसम ही बदल गया, सब छूट गये हैं राहों में। कुछ सिसक रहे कुछ ...