तीन को हिंदू धर्म में अशुभ माना जाता है, इसलिए हमें तिरंगा स्वीकार नहीं है। हम केवल भगवा को ही भारत का ध्वज मानते हैं।– सरसंघचालक गोलवलकर, संघ के मुखपत्र 'ऑर्गनायझर' में।
भारत को नए (तिरंगे) झंडे की ज़रूरत ही क्या है? हज़ारों वर्षों से भारत का एक (भगवा) झंडा तो पहले से ही अस्तित्व में है।
– सरसंघचालक गोलवलकर, Bunch of Thoughts (विचारधन) पुस्तक में।
और अब यही लोग तिरंगा रैली निकालेंगे!
आप देशभक्ति की बातें करने चले हैं?
*राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघाचे सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत यांनी गोळवलकर गुरुजींनी मांडलेली भूमिका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघाला मान्य नाही, असे जाहीर करावे आणि मगच तिरंगा यात्रेचा 'इव्हेंट' भारतीय जनता पक्षाने करावा. काल सैनिकांना प्रधानसेवक एकटेच भेटले. संरक्षण मंत्री श्री. राजनाथसिंह यांना सोबत कां नेले नाही ? याचे उत्तर कोण देणार ?