*महाबोधि मेडिटेशन सेंटर बुद्धगया*
*के विपश्यना हाल में*
*2569 वीं त्रिविधि वैशाख पूर्णिमा बुद्ध जयंती समारोह सम्पन्न*।
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बुध्दगया, हम सभी को स्मरण रहे कि समता, स्वतंत्रता ,बंधुत्व और सत्य, अहिंसा, करुणा, मैत्री की भावना के जनक ,संपूर्ण मानवता के *विश्वगुरू तथागत भगवान बुद्ध* के जीवन की तीन महत्वपूर्ण घटनाएं जन्म, ज्ञान प्राप्ति तथा महापरिनिर्वाण बैशाख पूर्णिमा के दिन घटित हुईं इसलिए विश्व बौद्ध जगत त्रिविध बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाता है। सिद्धार्थ गौतम का विवाह के अतिरिक्त तीनों घटनाओं का होना,विश्व के बौद्धो एवं भारत के बौद्ध उपासक- उपासिकाओं के लिए, भारतीय संविधान निर्माता बोधिसत्व बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अनुयायियों, पूज्य भिक्खु संघ तथा मानवता के समर्थकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पावन पर्व हैं। इसलिए *बैशाख पूर्णिमा को त्रिविधि पावनी मानकर बुद्ध पूर्णिमा* के रूप में सम्पूर्ण विश्व के लगभग 96 देशों में बौद्ध श्रद्धालुओं द्वारा मनायी जाती है । संयुक्त राष्ट्र संघ भी बैशाख पूर्णिमा(बुध्द जयंती) को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाता आ रहा है।
*इसी श्रृंखला में बुद्ध मित्र मुसाफिर आयकर आयुक्त, राष्ट्रीय - अध्यक्ष अखिल भारतीय अनुसूचित जाति/ जनजाति कर्मचारी कल्याण एसोसिएशन नई दिल्ली, बहुजन बोधि संघर्ष समिति, ऑल इंडिया डॉ. अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन, माता रमाबाई अंबेडकर महिला एसोसिएशन के तत्वाधान में संयुक्त रूप से "बुद्ध पूर्णिमा महोत्सव" का आयोजन महाबोधि मेडिटेशन सेंटर बुध्दगया के "विपश्यना हाल" में आयोजित किया गया*।
*बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर आयोजित समारोह का उद्धघाटन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। बुद्ध पूर्णिमा समारोह में कुशीनगर से पधारे बौद्धाचार्य सुलन्द बौद्ध एवं विजय बौद्ध ने संयुक्त रूप से त्रिशरण, पंचशील, बुद्ध वंदना, धम्म वंदना, संघ वंदना का उच्चारण सभी बौद्ध एवं अंबेडकरी श्रद्धालुओं को कराया एवं मंगल मैत्री का संदेश दिया*।
*मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए बुद्धमित्र मुसाफिर जी ने अपने संबोधन में कहा कि देश में हमें अपना मजबूत सामाजिक संगठन बनाना होगा, जो आगे चलकर देश में सत्ता की बागडोर संभालने का कार्य करेगा क्योंकि बिना सामाजिक एकता(Social Unity) के हम देश के शासक नहीं बन सकते क्योंकि बहुजनों के मसीहा मान्यवर कांशीराम साहब ने "सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति आंदोलन" चला कर देश में सामाजिक एकता कायम करके भारत के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में चार बार बहन मायावती जी को मुख्यमंत्री बनाया।
देश में परिवर्तन लाने एवं बहुजन समाज को जगाने के लिए हम लोगों को एक राष्ट्रीय स्तर का केंद्र बनाने की आवश्यकता समझ में आई। इसलिए हम सब मिलकर बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर के नाम से भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ (वाराणसी) उत्तर प्रदेश में देश के बहुजन समाज के सहयोग से करोड़ों रुपया खर्च करके एक विशाल वातानुकूलित धम्माहाल, भिक्षु निवास, अतिथि गृह, पुस्तकालय आदि का निर्माण करने जा रहे है, जिसका विधवत शिलान्यास 30 नवंबर 2025 को किया जाएगा, आप सभी लोग सादर आमंत्रित हैं। यह सेंटर देश में परिवर्तन लाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य करेगा।
विशेष अतिथि वक्ता के रूप में अपने उदगार व्यक्त करते हुए "राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया" एवं बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समिति भारत के राष्ट्रीय समन्वयक आयुष्मान अभय रत्न बौद्ध ने कहा कि बुद्धगया महाबोधि महाविहार बौद्धों का है। श्रद्धेय नागारिक धम्मपाल जी के अथक प्रयासों एवं संघर्ष के फलस्वरुप आज महाबोधि महाविहार में हमारी मजबूत हिस्सेदारी कायम है अन्यथा तिरुपति बालाजी, केदारनाथ, बद्रीनाथ आदि बौद्ध मठों
की तरह हिंदुओं का पूर्ण कब्जा होता किंतु यह ऐतिहासिक प्रमाण है कि महाबोधि महाविहार को बौद्ध सम्राट प्रियदर्शी अशोक ने बनवाया था। इसलिए महाबोधि महाविहार बौद्धों का है। जब भारत का सुप्रीम कोर्ट बिना किसी सबूत के अयोध्या स्थित कथित राम जन्मभूमि को हिंदुओं की आस्था के नाम पर हिंदुओं के पक्ष में फैसला देता है तो! महाबोधि महाविहार बुध्दगया विश्व के बौद्धों की आस्था का मुख्य केंद्र है, साथ ही ऐतिहासिक प्रमाण है कि महाबोधि महाविहार को बौद्ध सम्राट अशोक ने बनवाया था। महाबोधि महाविहार के प्रांगण में अन्य किसी धर्म की कोई भी प्रतिमा या मंदिर नहीं था। इसलिए हम जीतेंगे, भिक्षु संघ जीतेगा, भारत का बौद्ध संघ जीतेगा, बुद्ध की पावन धरती पर यह मेरा संकल्प है।
आज देश में बौद्धों की दशा बड़ी दयानीय है। आपस में करुणा, मैत्री, एकता (Unity) नहीं है। भारत के बुद्ध विहारों का "बुद्ध विहारा मोनेस्ट्री एक्ट" आज तक नहीं बना है। महाबोधि महाविहार बुद्धगया सहित देश के सभी बुध्द विहारों को को मंदिर एवं टेंपल कहा जाता है और लिखा जाता है। राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं, बौद्ध विद्वानों, बौद्ध धम्म के प्रति समर्पित बौद्ध भिक्षुओं की उप समिति ने "बुध्द विहारा मोनेस्ट्री एक्ट-2025" का फाइनल ड्राफ्ट बनाकर भारत की संसद के दोनों सदनों लोकसभा एवं राज्यसभा की (Petition Commity) के अध्यक्षों को भेजा गया है, एक्ट की प्रति भारत सरकार के प्रधानमंत्री, कानून मंत्री अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री भारत सरकार को भी भेजी गई है।
भारत के बौद्धों को "हिंदू मैरिज एक्ट-1955" में रखा गया है। बौद्धों का विवाह मान्यता कानून 1980 से 1985 में दो बार भारत की संसद के उच्च सदन राज्यसभा में नागपुर के तत्कालीन ससद सदस्य राज्य सभा श्री एस.डब्लू.ढावे जी ने प्राइवेट बिल पेश कर संसदीय बहस का हिस्सा बनाया, तत्कालीन कानून मंत्री श्री हंसराज भारद्वाज द्वारा संसद में आश्वासन देने के बावजूद "बौद्ध विवाह मान्यता कानून" आज तक नहीं बना। बौद्ध विवाह मान्यता कानून बनाने के लिए भारत के किसी भी बौद्ध संगठन ने कोई भी पहल नहीं की । किंतु अब राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया निरंतर भारत सरकार के साथ पत्राचार एवं समन्वय बनाए हुए हैं। जबकि सिक्खों का विवाह मान्यता कानून "आनंद मैरिज एक्ट" 7 जून 2012 को तत्कालीन कानून मंत्री श्री सलमान खुर्शीद एवं भारत सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी नें सिक्खों का विवाह कानून बनाकर संसद से पारित कर दिया और बौद्धों के संगठन आज भी गहरी नींद में सो रहे हैं।
भारत में बौद्धों, सिक्खों एवं जैनियों को संविधान के अनुच्छेद 25 के भाग-2 के खंड (ब) की "व्याख्या" में हिंदू धर्म के साथ समावेश किया गया है। उपरोक्त तीनों धर्मों को स्वतंत्र पहचान देने के लिए और हिंदू धर्म से अलग करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति वैंकटचलैया, अध्यक्ष- संविधान समीक्षा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बौद्धों, सिक्खों एवं जैनियों को हिंदू धर्म से अलग करने की सिफारिश की है। केंद्र सरकार ने उस रिपोर्ट को दबा दिया है। इस मामले को लेकर बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत की ओर से स्वयं अभय रत्न बौद्ध के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। सिक्खों की ओर से श्रीमती डॉ. विरेंद्र कौर चंडीगढ़ से सिक्खों की ओर से अलग पहचान को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया गया है।
आज देश में बौद्धों की प्राचीन पालि भाषा को संविधान की आठवीं सूची में अभी तक शामिल नहीं किया गया, विगत वर्षों में संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) से भी हटा दिया गया है। भारत के प्राचीन बौद्ध मठों, बौद्ध गुफाओं, बौद्ध विरासतों को बचाने के लिए हम सबको करुणा, मैत्री, एकता (Unity) के साथ कार्य करने की आवश्यकता है जिसके लिए "राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया" एवं बौद्ध संगठनों का राष्ट्रीय समन्वय की "राष्ट्रीय कमेटी" संयुक्त राष्ट्र संघ (U. N.O.) की तर्ज पर कार्य कर रही है। देश में बौद्ध तीर्थ स्थलों, स्मारकों की सुरक्षा, सड़क मार्गो, रेल यातायात, हवाई अड्डों, तथा प्राचीन धरोहरों के सौंदर्यीकरण के लिए व्यापक कार्य किया जा रहा है।
आज के इस पावन अवसर पर आवाहन करता हूं कि हम सब एकजुट होकर अपना अहंकार (Ego) सत्ता स्वार्थ को तिलांजलि देकर मैत्री के साथ धम्म कार्य करें, तभी हम प्रियदर्शीसम्राट अशोक एवं बोधिसत्व बाबासाहेब डॉक्टर अंबेडकर के सपनों का भारत "प्रबुद्ध भारत व समृद्ध भारत" का निर्माण करने में सफल होंगे।
बुद्ध जयंती के इस पावन अवसर पर आयोजक मंडल द्वारा आयुष्मान अभय रत्न बौद्ध एवं उनकी धर्मपत्नी आयुष्मति ईश्वरी बौद्ध का फूल मालाओं, पुष्प गुच्छों से भव्य स्वागत किया गया, जिसका देशभर में फैले "राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया के सदस्यों ने बुद्ध पूर्णिमा महोत्सव के आयोजक मंडल को बहुत-बहुत बधाई एवं मंगल कामनाओं के साथ साधुवाद किया।
मंगल कामनाओं सहित,
*एस.के. गौतम*
*कार्यालय सचिव*
*राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया एवं*
बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति,भारत
*मुख्यालय*: महाबोधि मेडिटेशन सेन्टर बुध्दगया, जिला- गया (बिहार)
*केंद्रीयकार्यालय*
बुध्द कुटीर,284/सी-1, स्ट्रीट नंबर-8, नेहरू नगर, नई दिल्ली-110008
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बुद्ध मित्र मुसाफिर इस महापुरुष से पूछो की कांशीराम ने बौद्ध धर्म क्यों नहीं अपनाया,, हिंदू धर्म में जन्म लिया और हिंदू रह के ही क्यों मर गयाॽ प्रमोद कुमार कुरील के अनुरूप, कांशीराम की मायावती ने हत्या क्यों की ॽ जितने भी लोग मायावती और कांशीराम के अंधभक्त है, वे सब अंबेडकर विरोधी है। और दूर-दूर तक के बुद्धिस्ट नहीं है।