फन कुचलोगे तभी साँप~~~* *~~~मठ खाली कर के जायेंगे




*~~~फन कुचलोगे तभी साँप~~~*

*~~~मठ खाली कर के जायेंगे~~~*


*साँप नहीं बिल कभी बनाता, उसकी फ़ितरत जानो तुम।*

*मेहनतकश हैं कौन यहाँ पर, अब खुद को पहचानो तुम।*

जितने भी निर्माण हुये हैं, कौन रहे करने वाले ?

अन्धे थे विश्वास नींव में, दब कर के मरने वाले।

*बलि दे कर हत्या करते थे, और नींव में दफनाते।*

*तोड़ चुके जाने कितने दम, गंगा तक आते आते।*

शुंग वंश के वाहक देखो, तोड़ रहे उपमानों को।

कब तक मरवाओगे ऐसे, अपने वीर जवानों को।

*मठ पर कब्जा किया जिन्होंने, वे मठ नहीं बनाये हैं।*

*कई पीढ़ियाँ जान न पायीं, वे घर वहीं बसाये हैं।*

एक एक मठ को कब्जा कर, सब मंदिर में ढाले हैं।

जाग रहे हैं शेर देश के, नहीं बख्शने वाले हैं।

*वर्तमान की वही कहानी, नाम बदल कर खेल रहे।*

*घर में आग लगाओ पहले, तब फिर कैसे मेल रहे ?*

कितने नाम कहाँ बदलोगे, कुछ भी तो इतिहास नहीं।

कभी हकीकत से गुजरोगे, तब आयेगा रास नहीं।

*सूने सूने महल पड़े हैं, और किले भी खाली हैँ।*

*नाम बदलने वाले जो भी, वे भी यहाँ मवाली हैं।*

घुसे दूसरे के बिल में जो, उसको खाली करना है।

छिड़ना है संघर्ष उसी में, सजना और संवरना है।

*बोधगया ही नहीं हजारों, मठ हैं उनके कब्जे में।*

*साहस का श्रृंगार करो तुम, अपने अपने जज्बे में।*

फन कुचलोगे तभी साँप, मठ खाली कर के जायेंगे।

नहीं अगर चेते तो ये हरदम, फुफकार लगायेंगे।

*मणिपुर को बेभूल करो मत, पुलवामा की मानो तुम।*

*इजराइल में खेल हुआ जो, वही तान अब तानो तुम।*

*साँप नहीं बिल कभी बनाता, उसकी फ़ितरत जानो तुम।*

*मेहनतकश हैं कौन यहाँ पर, अब खुद को पहचानो तुम।*


*मदन लाल अनंग*

द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।

*1-*  वैचारिक खोज बीन के आधार पर समसामयिक, तर्कसंगत और अकाट्य लेखन की प्रक्रिया *मध्यम मार्ग समन्वय समिति* के माध्यम से जारी  *2700 से अधिक लेख/रचनायें* सोशल मीडिया पर निरंतरता बनाये हुए हैं।

*2-* कृपया रचनाओं को अधिक से अधिक अग्रसारित करें।

*3-*सम्पर्क सूत्र~* 


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