*~~~~आने वाला वक्त कहेगा~~~*
*~~~किसमें अब कितना दम है~~~*
*दरवाजा है एक वहीं से, सबका आना जाना है।*
*धर्म जाति को ले कर पागल, कितना हुआ दीवाना है ?*
ज्ञान बिना शिक्षा न होती, मन रहता बीमारू है।
मरने और मारने पर, हरदम हो रहा उतारू है।
*बचपन जिन गलियों में गुजरा, वहाँ एक ही हवा रही।*
*पन्ने पलट पलट कर देखा, नहीं दूसरी दवा रही।*
घोड़े पर दूल्हे को देखा, जाति समझते देर नहीं।
उनके रहते चाहे कुछ हो, हो सकता अन्धेर नहीं।
*कितना वक्त गुजारा लेकिन, नहीं उन्हें पहचान सके।*
*जो पहचाने वे भी उनकी, बात कहाँ तक मान सके ?*
अगर चाहते फल मीठा हो, तो जम कर हुंकार भरो।
नफ़रत के जो बीज उग रहे, उनमें भी कुछ प्यार भरो।
*उनके स्वप्न सलोने होंगे, प्यार हमारा क्या कम है ?*
*आने वाला वक्त कहेगा, किसमें अब कितना दम है ?*
जीवन भर की उठा पटक में, पत्थर कहाँ पिघलता है ?
मरघट पर मिट्टी में पहुँचे, कितना ज्ञान निकलता है ?
*तब दुनिया लगने लगती है, महज किराये का घर है।*
*रैन बसेरा जिसका जैसा, कुछ नीचे कुछ ऊपर है।*
देख रहे हैं रोज, मकानों की बदली ऊँचाई को।
ऊपर चढ़ने की इस जिद में, होती हाथापाई को।
*कसक हमेशा ही उठती है, इधर चलो या उधर चलो।*
*जलना है तो जलो अकेले, मत ले कर घर द्वार जलो।*
अमृत के दो घूँट मिले तो, समझ लिया नजराना है।
समय बहुत कम कर्ज बड़ा है, हँस कर इसे चुकाना है।
*दरवाजा है एक वहीं से, सबका आना जाना है।*
*धर्म जाति को ले कर पागल, कितना हुआ दीवाना है ?*
*मदन लाल अनंग*
द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।
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