महान बौद्ध राजा पृथ्वीराज चौहान जी के जन्मजयंती पर सभी बहुजनों को हार्दिक शुभकामनाएँ|
पृथ्वीराज चौहान को राई पिथोरा भी कहते हैं और वो चाहमान राजपूत थे| उनकी राजधानी अजयमेरु (अजमेर) थी| उनके पिता का नाम सोमेश्वर चौहान और माता का नाम कमुरादेवी था| कमुरादेवी चालुक्य राजकुमारी थीं|
चाहमान (चौहान) वंश के संस्थापक मनिक राई थे जो बौद्ध सम्राट हर्षवर्धन के सामंतराजा थे| चौहान बौद्ध शासकों का मूल स्थान शाकंभरी या संभर था| शाकंभरी शब्द शाक्य शब्द से संबंधित है और कर्नल टी. एच. हेंडल ने सन 1884 में शाकंभरी का उत्खनन कर वहाँ 2 री सदीं के बौद्ध अवशेष खोज किए थे| ((Elements of Buddhism in early historic sites of Rajasthan, by Astha Dibyopama and Anusa Markunga, Buddhism and Jainism in early historic India, 2017, p. 39)
सांकभरी के चौहान बौद्ध देवता साकभरी के पूजक थे| साकभरी मतलब शाक्यों का भरण पोषण करनेवाली बौद्ध देवता| इससे स्पष्ट होता है कि, साकंभरी के चौहान राजपूत असल में शाक्यमुनि बुद्ध के शाक्यवंशी लोग है और उनकी शाकंभरी देवी बौद्ध देवता है| (वर्तमान क्षत्रिय पूर्व में कौन थे, खंड 2, पृ.391)
मध्ययुगीन भाट कथाओं में यह बताया गया है कि, चाहमान (चौहान) वंश के संस्थापक मानिक राई बौद्ध सम्राट हर्षवर्धन के सामंत थे और उन्होंने अपनी कुलदेवी शाकंभरी की कृपा से चौहान वंश की स्थापना कर दी थी| (History of the Chahamanas, R. B. Singh, 1964, p. 85)
हम्मिर महाकाव्य के अनुसार पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर चौहान बौद्ध राजा थे और वो बौद्ध भिक्षु बनकर वन में चले गए थे| तब अपनी उम्र के 11 साल में पृथ्वीराज चौहान राजा बने और राजकाज संभाला| उन्हें 6 भाषाएँ अवगत थी और अनेक विषयों में उन्होंने शिक्षा हासिल की थी| (Early Chauhan dynasty, Dasaratha Sharma, 1964, p. 72, 161)
छत्रपति संभाजी महाराज की तरह पृथ्वीराज चौहान भी बौद्ध राजा थे और ब्राह्मणों के विरोधी थे| इसलिए उनके ब्राह्मण मंत्री कदंबवास ने धोखे से पृथ्वीराज चौहान को मुहम्मद घौरी के हांथों सौंप दिया और संभाजी महाराज की तरह पृथ्वीराज चौहान को भी भयंकर यातनाएं देकर मरवाया| (Dasaratha Sharma, p. 73)
पृथ्वीराज चौहान और राजा जयचंद समकालीन थे और दोनों बौद्ध थे| इन दोनों बौद्ध राजाओं को मुहम्मद घौरी ने खत्म कर भारत से बौद्ध शासन का अंत किया|
महान बौद्ध राजा पृथ्वीराज चौहान जी की जयंती पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ|
-डॉ. प्रताप चाटसे