SC- ST-OBC. -- प्रोफेसर, प्रवक्ता एवं शिक्षकों तथा गैर शैक्षणिक कर्मचारी प्रोटान से क्यों जुड़े?

 



*प्रोफेसर, प्रवक्ता एवं शिक्षकों तथा गैर शैक्षणिक कर्मचारी प्रोटान से क्यों जुड़े?*


यदि देखा जाए तो भारत में उच्च शिक्षा विभाग, माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग में वर्तमान में बहुत से शैक्षिक संगठन संचालित होते हैं, जिसमें SC- ST-OBC पदाधिकारी एवं सदस्य के रूप में जुड़े होते हैं,यह संगठन शिक्षकों की कामन समस्या के समाधान हेतु,एक होकर संवैधानिक तरीके से आंदोलन,धरना प्रदर्शन एवं अन्य तरीके से संघर्ष करते नजर आते हैं।

लेकिन जब समस्या उन्ही शिक्षकों में शामिल सिर्फ SC-ST-OBC-MINORITY  शिक्षकों से सम्बन्धित समस्या जैसे पुर्व में पदोन्नति में आरक्षण,बैक लाग भर्ती,आरक्षण में घोटाला, SC-ST-OBC कुलपति, प्राचार्य, प्रधानाध्यापक इत्यादि की नियुक्ति,नाट फाउंड सुब्टेबल एवं कर्मचारियों पर किसी भी प्रकार का उत्पीडन होने की दशा में वह संगठन चुप्पी साध लेते हैं, भले ही उन संगठनों में SC-ST-OBC वर्ग के बहुतायत प्रोफेसर, प्रवक्ता शिक्षक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारी उनके सदस्य के रूप में सक्रिय भूमिका निभा रहे हो।

लेकिन विशेष रूप से उनके वर्ग की समस्या होने पर वह प्रत्येक संगठन चुप्पी साध लेते हैं।

ऐसे में वह ठगे से महसूस करते हैं,और उनकी समस्या जस का तस बना रहता है और उनके अधिकार समाप्त हो जाते हैं।

और वह संघर्ष इसलिए नहीं कर पाते हैं कि उनके पास कोई अपना राष्ट्रीय स्तर पर अपना निरपेक्ष रूप से कोई शैक्षिक संगठन नहीं होना।

ऐसे में प्रोफेसर टीचर एंड नान टीचिंग इम्प्लाइज आर्गेनाइजेशन (प्रोटान) एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन होने के साथ,आरक्षित वर्ग के प्रोफेसर,प्रवक्ता एवं शिक्षकों के अधिकार एवं हितों के लिए संघर्ष करता है,

अतः आप सभी SC-ST-OBC-MN वर्ग के प्रोफेसर, प्रवक्ता अध्यापकों को प्रोटान से जुड़कर,अपने समस्या के समाधान, अधिकार एवं हितों रक्षा के लिए एकता के साथ शिक्षा विभाग से जुड़े समस्याओं के लिए संघर्ष करना चाहिए।


धन्यवाद

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