मूर्ख लोग हैं उन्हें पता क्या~~~* *~~~~चरण शूद्र कहलाते हैं

 

*~~~मूर्ख लोग हैं उन्हें पता क्या~~~*

*~~~~चरण शूद्र कहलाते हैं~~~~*


*शूद्रों से नफ़रत करते पर, माथा वहीं झुकाते हैं।*

*चरण शूद्र हैं सबसे पहले, मंदिर में घुस जाते हैं।*

गढ़ी हुयी है झूठ कहानी उससे ही अब हार रहे।

वर्ण व्यवस्था ढोने वाले, सदियों से बीमार रहे।

*चार मंत्र रट लिये उन्हीं से, अपना राग अलाप रहे।*

*उन्हें पता है शूद्र अभी हैं, पहले उनके बाप रहे।*

कर्म करें तो पता चलेगा, कैसे अन्न उगाते हैं ?

मूर्ख बनाने को दुनिया को, घंटा रोज बजाते हैं।

*अगर मंत्र ताकतवर होते, तो विज्ञान नहीं आता।*

*मूर्ख आदमी कभी दूसरे को, ऐसे न भरमाता।*

धन्धेबाजों ने भारत में, दस्तरखान बिछाये हैं।

लिये कटोरा हाथ देश में, जगह जगह पर छाये हैं।

*खुद की सूरत नहीं देखते, कीट पतंगों जैसी है।*

*गाँवों की सरहद में देखो, बस भिखमंगों जैसी है।*

वर्ण व्यवस्था क्यों थोपी है, इसका भी अनुमान नहीं।

ग्रंथों की छीछालेदर है, उनमें अब सम्मान नहीं।

*नयी खोज है नयी सोच है, अब ग्रंथों का काम नहीं।*

*रद्दी में भी डालोगे तो, मिल पायेगा दाम नहीं।*

करो समर्पण नयी सुबह की, नई व्यवस्था आने दो।

नहीं समझते हैं जो उनको,  घंटा रोज बजाने दो।

*छिप छिप कर भागेंगे, जो भी हैं नफ़रत करने बाले।*

*कौन जानता इस आफत में, कौन कहाँ मरने वाले ?*

शूद्रों का प्रवेश वर्जित है, इश्तिहार लगवाते हैं।

मूर्ख लोग हैं उन्हें पता क्या, चरण शूद्र कहलाते हैं।

*शूद्रों से नफरत करते पर, माथा वहीं झुकाते हैं।*

*चरण शूद्र हैं सबसे पहले, मन्दिर में घुस जाते हैं।*


 *मदन लाल अनंग*

द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।

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