देश में संसद नहीं, संविधान सबसे ऊपर: न्यायमूर्ति बी.आर.गवई

 

*देश में संसद नहीं, संविधान सबसे ऊपर: न्यायमूर्ति बी.आर.गवई* 

   नई दिल्ली। देश के अगले प्रधान न्यायाधीश बी आर. गवई ने कहा है कि *'देश में संसद नहीं, संविधान सर्वोच्च है।*' गवई 14 मई से देश के 52 वें सी.जे.आई.(Chief justice of India) के रूप में न्यायपालिका की बागडोर संभालने जा रहे हैं।

            जस्टिस गवई ने रविवार को अपने आवास पर अनौपचारिक बातचीत में कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने न्यायपालिका, खासकर सुप्रीम कोर्ट पर विधायिका के कार्यक्षेत्र में दखल देने के आरोपों के बारे में कहा कि "केशवानंद भारती बनाम भारत सरकार"  के मामले में 13 जजों की संविधान पीठ ने तय कर दिया है कि देश में संविधान ही सर्वोच्च हैं और हम सभी इससे बंधे हैं। जब उनसे उन बयानों के बारे में पूछा गया, जिसमें देश में संसद को सर्वोच्च बताया गया, तो इसके जवाब में जस्टिस गवई ने केशवानंद भारती मामले में संविधान पीठ के फैसले का जिक्र किया। मालूम हो कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कई मौकों पर सुप्रीम कोर्ट पर विधायिका के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि देश में संसद ही सुप्रीम है।

 👆 *बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर, भारत सरकार के प्रथम कानून मंत्री द्वारा संपादित संविधान की बदौलत विधि अधिवक्ता बौद्ध आयु.बी.आर.गवई, भारत की सर्वोच्च अदालत के बने मुख्य न्यायाधीश।*

       *"बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत" की ओर से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश माननीय बी. आर. गवई साहब को हार्दिक बधाई एवं मंगल कामनाएं।*

*अभय रत्न बौद्ध*

*राष्ट्रीय समन्वयक*

*राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुद्धगया एवं*

*बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत*

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