निर्लज्ज व्यवहार करने वाला, (भीतर ही भीतर) घृणा का भाव रखने वाला, सामर्थ्य की बात भी न करने वाला जो अपने को मित्र बतलाता है,

 

🌻धम्म प्रभात🌻


[निर्लज्ज मित्र] 


निर्लज्ज व्यवहार करने वाला, (भीतर ही भीतर) घृणा का भाव रखने वाला, सामर्थ्य की बात भी न करने वाला जो अपने को मित्र बतलाता है, उसके विषय में समझना चाहिए कि 'यह मेरा मित्र नहीं हैं'। 


जो बेकार मीठी-मीठी बातें मित्रों से करता है, बिना किए ही कहता है, बुद्धिमान लोग उसकी निन्दा करते हैं।


जो सदा मित्रता दिखाने की चेष्टा करते हुए फूट डालने के चक्कर में रहता है तथा छिद्रान्वेषण किया करता है, वह मित्र नहीं है जो माता की गोद में सोये पुत्र की भाँति विश्वास और प्रेम प्रदान करता है, जो दूसरों के द्वारा फोड़ा नहीं जा सकता, वही मित्र है।


जो मनुष्य के कर्तव्य को निबाहता हुआ, प्रसन्नता और प्रशंसा के सुख की कामना करता है तथा फल की प्राप्ति के लिए प्रयत्न करता है।


एकान्त चिन्तन के रस तथा उपशम ( शान्ति ) के रस को पीकर ( पुरुष ) निडर होता है और धम्म का प्रेमरस पान कर निष्पाप होता है। 


नमो बुद्धाय 🙏🙏🙏

Ref: हिरि सुत्त:सुत्तनिपात 


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