अंबेडकरवाद-ईश्वर शब्द के भ्रमजाल का सच!

 

अंबेडकरवाद-ईश्वर शब्द के भ्रमजाल का सच!

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         ईश्वर निराकार जिसका कोई आकार नहीं है? फिर भी मूर्ति कैसे बनी, चिंतन का विषय है,दुनिया के बढ़े बढ़े ऋषि,मुनि, पैगम्बर,संत भी ईश्वर निराकार के सत्य को आज नहीं जान पाए, अर्थात उनकी कल्पना से ईश्वर बहुत दूर है।धर्म ने इंसानों को नहीं बनाया, बल्कि इंसानों ने धर्म संरचना की है। धर्म के ईश्वर भगवान इंसानों की खोज है,ईश्वर का सत्य मंदिर मस्जिद में विराजमान मूर्ति में कोई ईश्वर नहीं है, इंसानों ने ईश्वर की जो छवि बनाई है,बह काल्पनिक ईश्वर की छवि है, इसलिए धर्म के ईश्वर भगवान धर्म भ्रमजाल, सत्य से बहुत दूर है, क्योंकि असली भगवान को को नहीं जानता, आज़ नहीं देखा, यही सत्य है।

        धर्मसत्ता को स्थापित करने के लिए लोगों ने भगवान के स्वरूप काल्पनिक तस्वीर बनाने के साथ धर्म को लिपिबद्ध किया,बह अद्भुतीय है,अपनी कल्पना को सत्य में बदल दिया। धर्म की रचना और कल्पना झूठ के आधार को सत्य में बदल दिया,यह धार्मिक गुलामी है,यह सोचने का बिषय है। 

           आर्ट के डिजाइनर छात्र-चित्रकार कल्पना कैसे करते है, यह देखें समझनें का विषय, उदाहरण- स्कूल में पढ़ने बाले छात्र जब डिजाइन बनाते है,बह सबसे पहले सोचते है,फिर लिखते है,तब आकृति बनाते है। चित्रकार की कल्पना की सत्य नहीं?रचना के आधार पर आकृति को मूर्तिरूप देते है।बुद्धिबल मन की सोच ही उसे एक अच्छा चित्रकार बनाती। आज भी कुछ तस्वीरों का दुनिया में कोई तोड़ और बराबरी नही हो सकती।

         धर्म की रचना भी लोगों ने अपनी सोच के आधार पर बनाया है,इसलिए अनेक धर्म और अनेकों धर्मगुरू है। इसलिए अनेकों भगबान भी है।जैसे धर्मगुरूओं में प्रतिस्पर्धा होती गयी,धर्म बनते गये। लोग धर्म के जाल में फसते गये। किसी धर्म एक आधार और प्रकार नही है,भिन्नता है।

       निराकार और साकर में बहुत भिन्नता है,लेकिन सत्य देखने की क्षमता तो साफ है,जो धर्म लोगों बनाये है,बह कल्पना है। धर्म इंसानों की एक ऐसी अदभुत रचना है,जिसने अपनी कल्पना के झूठ को सत्य में बदल दिया।यह अदभुत लीला है। बहां इंसान! 

      निराकार भगवान का साकार रूप माता पिता है।यही क्रम दुनिया शुरू होने से लेकर दुनिया के अंत तक निरंतर इस सृष्टि पर चलता रहेगा।निराकार के सत्य के आकार को साकार में समझने के लिए माता पिता के सत्य को समझना होगा। माता पिता ही निराकार के साकार का अंश है। यही सत्य है,इसे जितनी जल्दी लोग समझ लेंगे,उतनी जल्दी धर्म की फिजूल खर्च,समय,ठगों की ठगी से इंसान बच जायेगा।यह सत्य है।

       आज कोरोना बायरस से बचने के लिए लोगों को धर्म की शरण में जाने की कोई सलाह नहीं दे रहा है,बल्कि दुनिया में ताले लग गये है।लोगों से कहा जा रहा है। कि जितना अधिक घर में रहोगे,तो ही सुरक्षित है,बरना मौत नजदीक है।

      धर्म के धर्मगुरु छटपटा रहे है।कि अंधविश्वास धर्म समर्थकों की धर्मसत्ता खतरे में पड़ती जा रही है। दुनिया के हर  इंसान में कोई न कोई फितरत होती है, उसके हथकडें में भाजपा सफल हो रही है। किसी मंत्र के जाप करने से भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इससे साफ है,कि निराकार भगवान सर्वशक्तिमान है,कोई तुलना नहीं हो सकती,इसलिए सत्य सोचो!सत्य पर चलो!

     रूमसिहं राष्ट्रीय अध्यक्ष लेबर पार्टी आफं इंडिया

            

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