क्या हेतु है,जो कोई प्राणी काया छोड मरने के बाद सुगति को पाता है?

 


🌻धम्म प्रभात🌻 


[क्या हेतु है,जो कोई प्राणी काया छोड मरने के बाद सुगति को पाता है?]


एक समय तथागत बड़े भिक्खुसंघ के साथ  कोसल  देश में जहां कोसलवासियों का साला नामक गांव था वहां विहार करते थे। साला के ग्रामवासी भगवान के दर्शन  करने के लिए गए। 

साला गांव के लोगों ने भगवान  से यह कहा -


हे गौतम! क्या हेतु है, जो कोई  प्राणी काया छोड मरने के बाद अपाय गति पाता है?


दूसरा प्रश्न-


क्या हेतु है,जो कोई प्राणी काया छोड मरने के बाद सुगति को पाता है?


भगवान ने कहा-


गृहपतियो! अधर्माचरण के कारण कोई प्राणी काया छोड मरने के बाद  अपाय गति पाता है। 


दूसरा, धर्माचरण के कारण कोई प्राणी काया छोड मरने बाद सुगति को पाता है।


संक्षिप्त में कहे धम्म वचन को विस्तार से कहने के लिए  ग्राम वासियों की प्रार्थना पर भगवान ने विस्तार से उपदेश दिया।


भगवान ने कहा-


गृहपतियो! कायिक अधर्माचरण तीन प्रकार का होता है। वाचिक अधर्माचरण चार प्रकार का होता है। मानसिक अधर्माचरण तीन प्रकार का होता है।

कायिक, वाचिक और मानसिक अधर्माचरण के कारण मरने के बाद प्राणी अपाय गति को प्राप्त करता है।

गृहपतियो! कायिक धर्माचरण तीन प्रकार का होता है। वाचिक  धर्माचरण  चार प्रकार का होता है। मानसिक धर्माचरण  तीन प्रकार का होता है।

कायिक, वाचिक  और  मानसिक  धर्माचरण के कारण मरने के बाद प्राणी  सुगति को प्राप्त करता है।


पंचशील का पालन न करना अधर्माचरण है।

पंचशील का पालन ही धर्माचरण है।


नमो बुद्धाय🙏🙏🙏

Ref: सालेय्यक सुत्त:मज्झिम निकाय 

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