*~~~हर ओर अराजक लोग हुये~~*
*~~~~~गद्दार पुकारे जाते हैं~~~~*
*लिख दो पतंग पर महंगाई, वो आसमान तक जायेगी।*
*पहले तो गदगद कर देगी, फिर हाहाकार मचायेगी।*
जब लिखने वाले आगे थे, क्या ध्यान नहीं आया होगा ?
किस किस की किस्मत को ले कर, अपनी को चमकाया होगा।
*कितना लम्बा हो गया पेड़, पर आम अभी तक पके नहीं।*
*सब दौड़े अन्धी गलियों में, जयकार बोलते थके नहीं।*
इसलिये अजब ये लीला है, दर्शन कर के ही आना है।
उनको कुछ भी मालूम नही, किस किस को गले लगाना है ?
*उनके प्रचार की आँधी में, सब खाना पीना भूल गये।*
*टुकड़े खा कर आनन्द मिला, उनके झूले में झूल गये।*
हर ओर अराजक लोग हुये, गद्दार पुकारे जाते हैं।
घर द्वार सभी कुछ छूट गया, बे मौसम मारे जाते हैं।
*हम नहीं समझ पाये खुद को, फिर उनको कैसे जानेंगे ?*
*है चमक दमक हर ओर यहाँ, किसको कैसे पहचानेंगे ?*
सोचा भी होगा नहीं कभी, ऐसा बादल टकरायेगा।
पानी ही पानी भरा हुआ, हर ओर नजर आ जायेगा।
*बहने की हालत में भी हम, किस ओर किनारा पायेंगे ?*
*पानी का पारावार नहीं, कब कैसे क्या कर पायेंगे ?*
जो डोर लिये बैठे पतंग को, वहीं उड़ाने वाले हैं।
अब ओलों की परवाह कहाँ, सिर नहीं मुड़ाने वाले हैं।
*ये सत्ता कटी पतंग नहीं, अब कितना नाच नचायेगी ?*
*विद्रोह उठेगा तब जानों, ये किसको कहाँ बचायेगी ?*
*लिख दो पतंग पर महंगाई, वो आसमान तक जायेगी।*
*पहले तो गदगद कर देगी, फिर हाहाकार मचायेगी।*
*मदन लाल अनंग*
द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।
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