महामहिम राष्ट्रपति के बराबर बैठने। वाला RSS का भेंट है । भारतीय सेना के शौर्य की अपेक्षा वेद मंत्र की शक्ति का गुणगान करना , देश की सैन्य शक्ति का खुलेआम अपमान है । दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक नयमों एवं संविधान की मर्यादा का उल्लंघन है । रामभद्राचार्य जैसे कई भाजपा के प्रचारक / धार्मिक भाट पाले गये हैं । आखिर राष्ट्रपति की भी कोई गरिमा होनी चाहिए अथवा नहीं !