*~~~उठ कर बढ़ो पकड़ लो गर्दन~~*
*~~~~~काफी दूर घसीटो~~~~~*
*देखो तानाशाही कुत्ते, कितना भौंक रहे हैं ?*
*अपनी जान बचाने को, सेना को झोंक रहे हैं।*
लोकतंत्र की हत्या, धीरे धीरे ही होती है।
आने वाली पीढ़ी, अपनी किस्मत पर रोती है।
*नागासाकी ऐसे ही, बम के गोलों से टूटा।*
*कहर बड़ा था आस पास का, नहीं इलाका छूटा।*
बच्चे हुये अपंग, बोझ बन कर ही जीते जाते।
जहर इन्हीं तानाशाहों के, कारण पीते जाते।
*एक निरंकुश दुनिया पर भी, पड़ता कितना भारी ?*
*नजर आ रही दूनिया भर में, आज यही लाचारी।*
खोजबीन करने से क्या है, यदि विनाश करना है।
इन मूढों के लिये यहाँ पर, क्या तलाश करना है ?
*उठ कर बढ़ो पकड़ लो गर्दन, काफी दूर घसीटो।*
*पिटने से बेशर्म हो गये, और नहीं अब पीटो।*
झूठ बोल कर गाल बजाते, शर्म नहीं है आती।
निर्वंशी हैं कुछ भी कर लो, नहीं फटेगी छाती।
*चढ़े प्रगति सोपान आज तक, ये हालात मिले हैं।*
*रहे कूप मंडूप, पुरातन पद से नहीं हिले हैं।*
समझ रहे हैं गाल बजा कर, कर लें नाइंसाफी।
पर इस बार नहीं मिलनी है, इनको कोई माफी।
*बना लिया है रूप तिलस्मी, जान गयी है दुनिया।*
*पानी को वे तेल समझ कर, क्या क्या छौंक रहे हैं ?*
*देखो तानाशाही कुत्ते, कितना भौंक रहे हैं ?*
*अपनी जान बचाने को, सेना को झोंक रहे हैं।*
*मदन लाल अनंग*
द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।
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