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सितंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मजदूर की आकस्मिक मौत  पर सरकार उसके परिवार को तत्काल 10 लाख रु. मुआवज़ा दे

  मजदूर की आकस्मिक मौत  पर सरकार उसके परिवार को तत्काल 10 लाख रु. मुआवज़ा दे जिससे उसके बच्चों का भरण पोषण व पढ़ाई हो सके .... उप ज़िलाधिकारी बांसगांव, गोरखपुर के सामने माँग रखते हुए....        श्रवण कुमार निराला            मुख्य संयोजक         अम्बेडकर जन मोर्चा प्रभारी प्रत्याशी बांसगांव वि.स.

एका ब्राम्हणाने पत्नीला

  एका ब्राम्हणाने पत्नीला विचारले... "पाणी छान आणि थंड आहे. आपल्या घरात फ्रिज नाही, कुठुन आणलेस..?" पत्नीः-  "शेजारच्या कुंभारा कडुन.!" ब्राम्हण ः-   काय..? त्या शुद्राचे पाणी मला पाजलेस, तुला लाज वाटत नाही...? आपण ब्राम्हण आहोत... आपल्याला शुद्राचे काही चालत नाही..?" पत्नीः- (घाबरली व म्हणाली) " मला माफ करा, या पुढे अशी चुक होणार नाही.... [दुस-या दिवशी.] ब्राम्हण ः-  "अग...  जेवायला वाढ..!" पत्नीः  "काही-नाही..!" ब्राम्हण ः-  "काय...? पोळी केली नाही..?" पत्नीः- " नाही....!  कारण... तवा व चुल शुद्र लोहाराने  व चुल कुंभाराने बनवलेली असल्याने मी त्या वस्तू  फेकून दिल्या..!" ब्राम्हण ः- "वेडी आहेस काय..? बरं दुध आण..!" पत्नीः-  "मी दुध फेकुन दिले  कारण....  ते शुद्र गवळ्याने दिले.  मी म्हटले  'उद्या पासुन दुध आणू नकाे' आम्हांला शुद्रांचे काही चालत नाही..!" बाम्हणः बर मी बाहेर चाललोय माझी चप्पल कुठे आहे.....??? पत्नीः ते मी बाहेर टाकले. . ब्राम्हण : का????? पत्नी : ते चप्पल तुम्हाला एका शुद्र ...

मोदी , युध्द या राम नहीं , बुध्द दिया भारत ने

  *मोदीजी, बुध्द जगाला नको संघाला सांगा !* *दत्तकुमार खंडागऴे* संपादक वज्रधारी, मो.9561551006 काल सयुंक्त राष्ट्राच्या आमसभेत भाषण करताना भारताचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक खुप महत्वाचं वाक्य बोलले. "भारताने जगाला युध्द नाही तर बुध्द दिला आहे !" मोदी रोज भारतात निवडणूकांच्या प्रचारसभात बोलतात ते वेगऴं आणि संयुक्त राष्ट्राच्या स्टेजवरून बोलतात ते वेगऴं. त्यामुऴे मोदींच्या कालच्या वक्तव्याचे महत्व वेगऴेच आहे. खरेतर मोदी जेव्हा जेव्हा परदेशात जातात तेव्हा तेव्हा ते बुध्द आणि महात्मा गांधींचेच नाव घेतात. तिथे कधी त्यांनी गोऴवऴकर, हेगडेवार नाव घेतले नाही. जगातल्या कुठल्याही देशात गेले तर ते नेहमी या दोन महापुरूषांचेच नाव घेतात अन बोलतात. नेहमी बुंध्दाचे व गांधींचे नाव घेणारे मोदी देशात आले की मात्र नेमके त्याच्या उलटे का वागतात ? त्यांची करणी वेगऴी आणि कथनी वेगऴी का आहे ? जगाच्या बाजारात जाताना बुध्द व गांधींचा मुखवटा चढवतात आणि देशात परत येताना पुन्हा गोऴवलकर आणि हेगडेवारांचा मुखवटा का घालतात ? यातले मोदी नेमके कुठले ? मोदी भारतीयांना गंडवता गंडवता जगालाही गंडवू लागलेले दिसतात....

*एक मानसिक गुलामी*

  *चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है ये माता गुफाओं पहाडों, मंदिरों में ही क्यों बुलाती है*  *युनिवर्सिटी, कालेजों, स्कूलों में क्यों नहीं बुलाती है* सालभर मे केवल नाै दिन माता आती है और बाकी दिन  जब महिलाओ का अपहरण करके बलात्कार किया जाता है जब ओ मां मां बुलाती है तब मां नही अाती। जब कई पुरूष मिलकर महिलाओ का गैंगरेप करते है तब माता नही आतीं। जब महिलाओ काे दहेज के नाम जिन्दा जलाया जाता है तब माता नही आती। जब दलित महिला काे डायन कहकर दाैड़ाकर मारते है तब माता नही आती। जब छोटी छोटी मासूम बच्चीयों के साथ बलात्कार होता है तब माता नहीं आतीं। माता नवरात्र मे आती है चढ़ावा लेती है और निकल जाती है भक्त चिल्लाते रह जाते है। इतनी माता हाेने के बावजूद महिलाओ पर इतना अत्याचार क्याें। 9 दिन भूखे रहो। बनिये से सामान खरीदो और ब्राम्हण को दे आओ। *नवरात्रि* *एक मानसिक गुलामी*।

ब्राह्मण एवं अंग्रेज

  जरूर पढे।थोडा बडा है। *मनु बनाम लार्ड मैकाले यानि ब्राह्मण बनाम अंग्रेज*            मनुस्मृति/ ब्राह्मणों द्वारा बरबाद किये गए भारतीय समाज, हिन्दूओं, दलितों और नारियों पर लार्ड मैकाले/अंग्रेजों के महान उपकार। अंग्रेजों ने भारत पर लगभग 150 वर्षों तक राज किया। ब्राह्मणों ने उनको भगाने का जबरदस्त आंदोलन क्यों चलाया जबकि भारत पर सबसे पहले हमला मुस्लिम शासक मीर काशीम ने 712 ई. में किया था। उसके बाद महमूद गजनबी, मोहम्मद गौरी, चँगेज खाँ, इत्यादि ने हमले किये और फिर कुतुबदीन एबक, गुलाम वंश, तुग्लक वंश, खिल्जी वंश, लोधी वंश, फिर मुगल आदि वंषों ने भारत पर राज किया और हिन्दुओं पर खूब अत्याचार किये लेकिन ब्राह्मणों ने कभी कोई क्रांति या आंदोलन उनके खिलाफ नही चलाया क्योंकि उन्होंने ब्राह्मणों से समझोते कर न केवल ब्राह्मणों को शासन प्रशासन में हिस्सेदारी दी बल्कि उनके आडंबरों, पाखंडों और अमानवीय कुव्यवस्थाओं में दखल भी नहीं दिया। लेकिन अंग्रेजों ने ब्राह्मणों के आडंबरों, पाखंडों, कुव्यवस्थाओं और विशेष अधिकारों  को तोड़कर सभी पुरुषों, महिलाओं, धर्मों, शूद्रों, ...

आँख का अंधा या अकल का अंधा

  😂😂 एक मज़ेदार कहानी 😂😂 एक गांव मे अंधे पति-पत्नी रहते थे । इनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ। पर वो अंधा नही था। एक बार पत्नी रोटी बना रही थी। उस समय बिल्ली रसोई में घुस कर बनाई रोटियां खा गई। बिल्ली की रसोईं मे आने की रोज की आदत बन गई इस कारण दोनों को कई दिनों तक भूखा सोना पड़ा। एक दिन किसी प्रकार से मालूम पड़ा कि रोटियाँ बिल्ली खा जाती है। अब पत्नी जब रोटी बनाती उस समय पति दरवाजे के पास बाँस का फटका लेकर जमीन पर पटकता। इससे बिल्ली का आना बंद हो गया। जब लङका बङा हुआ और उसकी शादी हुई। बहू जब पहली बार रोटी बना रही थी तो उसका पति बाँस का फटका लेकर बैठ गया औऱ फट फट करने लगा। कई दिन बीत जाने के बाद पत्नी ने उससे पूछा कि तुम रोज रसोई के दरवाजे पर बैठ कर बाँस का फटका क्यों पीटते हो? पति ने जवाब दिया कि ये हमारे घर की परम्परा (रिवाज) है इसलिए मैं ऐसा कर रहा हूँ। कहानी का सार:  माँ बाप तो अंधे थे, जो बिल्ली को देख नहीं पाते थे, उनकी मजबूरी थी इसलिये फटका लगाते थे। पर बेटा तो आँख का अंधा नही था पर अकल का अंधा था, इसलिये वह भी वैसा करता था जैसा माँ-बाप करते थे। ऐसी ही दशा आज के अपने ...

शासकीय प्राइमरी स्कूल

  चित्र में बैठे बच्चे शकीना एवं मोहम्मद अल्तमस से आज कोर्ट से घर जाने के दौरान कुछ देर चर्चा हुई और मुझे पोस्ट के लिए नई स्टोरी मिल गई। हुआ यूं कि यह दोनों बच्चे मेरे कस्बे के शासकीय प्राइमरी सराय स्कूल नरसिंहगढ़ की पांचवी कक्षा के नियमित विद्यार्थी है,  15 दिन पहले इनकी क्लास टीचर ने सभी बच्चों को कहा कि अपने स्कूल पर पांच वाक्य लिखकर अपने घर से लाइए । अब बच्चे तो बच्चे ठहरे इन दोनों बच्चों ने 5 वाक्य लिखे, जो मजेदार होने के साथ ही मध्य प्रदेश के स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह है , आपको भी पोस्ट के जरिए बताने से अपने को रोक नहीं पाया । बच्चों ने लिखा:- 1- हमारे स्कूल के प्रवेश द्वार की दीवार पर रोजाना सैकड़ों लोग पेशाब करते हैं जिस से दुर्गंध आती है कुछ लोग उसी प्रवेश द्वार की दीवार के अंदर भी पेशाब करने आ जाते हैं जो हमें नहीं सुहाता है। 2- हमारे स्कूल के लेट्रिन बाथरूम में हमेशा के लिए ताले जड़े हुए हैं, जिस कारण घर से ही चिंता से पेशाब करके जाना पड़ता है और स्कूल में पेशाब रोकनी पड़ती है। 3- हमारे स्कूल में हमारी कक्षा में पंखे नहीं है, जबकि हमारे स्कूल के ऑफि...

दलालों... पत्रकारिता छोड़ो

दलालों... पत्रकारिता छोड़ो... ना काहू से बैर/राघवेंद्र सिंह (हरेक सोमवार)  भोपाल/नया इंडिया ये शीर्षक श्रमजीवी पत्रकारों के बीच एक नारे की पहली लाईन है और इसकी अगली लाईन है “पत्रकारों दलाली छोड़ो”… भोपाल के हमीदिया कॉलेज से एलएल बी. करने के बाद 1985-86 में मैंने शाम के अखबार सांध्य प्रकाश में नौकरी शुरू की थी। पहले जूनियर पत्रकारों को बतौर प्रशिक्षु रखा जाता था। इसमें खबरों के प्रूफ पढ़ने और प्रेसनोट बनाने से प्रशिक्षण का आरंभ होता था। हमारे हिसाब से वर्ष 85 से पत्रकारिता का सूरज भरी दोपहरी में तपने के साथ 2003 के बाद ऐसा लगता है पत्रकारिता ढलान पर आने लगी थी। बात 1992 के बाद की है। दैनिक नई दुनिया में पत्रकारों ने हड़ताल की, तब यह नारा बुलन्द हुआ दलालों पत्रकारिता छोड़ो... उस समय मप्र श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया थे और उनके अभिन्न मित्रों में थे जुझारु जगत पाठक। हड़ताल से पहले जगत दादा से पत्रकार संघ की अनबन थी। मगर हड़ताल के दौरान उनके भीतर का कामरेड जागा और वे हड़तालियों के तंबू मे आ पहुंचे और उनकी आमद से ही पत्रकारों में जोश आया। सुबह  पांच-छह बजे तक नारेबाज...

दुनिया के भ्रष्टाचार मुक्त देशों में शीर्ष पर गिने जाने वाले न्यूजीलैंण्ड ..... भारत

  दुनिया के भ्रष्टाचार मुक्त देशों में शीर्ष पर गिने जाने वाले न्यूजीलैंण्ड के एक लेखक ब्रायन ने भारत में व्यापक रूप से फैंलें भष्टाचार पर एक लेख लिखा है। ये लेख सोशल मीडि़या पर काफी वायरल हो रहा है। लेख की लोकप्रियता और प्रभाव को देखते हुए विनोद कुमार जी ने इसे हिन्दी भाषीय पाठ़कों के लिए अनुवादित किया है। – न्यूजीलैंड से एक बेहद तल्ख आर्टिकिल। भारतीय लोग  होब्स विचारधारा वाले है (सिर्फ अनियंत्रित असभ्य स्वार्थ की संस्कृति वाले) भारत मे भ्रष्टाचार का एक कल्चरल पहलू है। भारतीय भ्रष्टाचार मे बिलकुल असहज नही होते, भ्रष्टाचार यहाँ बेहद व्यापक है। भारतीय भ्रष्ट व्यक्ति का विरोध करने के बजाय उसे सहन करते है। कोई भी नस्ल इतनी जन्मजात भ्रष्ट नही होती ये जानने के लिये कि भारतीय इतने भ्रष्ट क्यो होते हैं उनके जीवनपद्धति और परम्पराये देखिये। भारत मे धर्म लेनेदेन वाले व्यवसाय जैसा है। भारतीय लोग भगवान को भी पैसा देते हैं इस उम्मीद मे कि वो बदले मे दूसरे के तुलना मे इन्हे वरीयता देकर फल देंगे। ये तर्क इस बात को दिमाग मे बिठाते हैं कि अयोग्य लोग को इच्छित चीज पाने के लिये कुछ देना पडता है।...

मेरा दृष्टिकोण में युवा सोशल मीडिया

सम्मानीय साथियो ..….       सादर जय भीम नमो बुद्धाय!!! सम्मानीय साथियो .....           आज मैं विषय से हटकर अपनी बात रख रहा हूँ।जिसको वर्तमान परिस्थिति में रखना अनिवार्य मानता हूँ।साथियों बात कुछ इस तरह से है कि हमारे कई साथियों को लगता है कि आज का अधिकांश  युवा सोशल मीडिया का उपयोग स्वयम को राजनीति व सामाजिक गतिविधियों में स्थापित करने के लिए अधिक कर रहा है।वो प्रत्येक कार्यक्रम के फ़ोटो या वीडियो फ़ेसबुक ,व्हाट्सएप ,इंस्टाग्राम,पर शेयर करके  अपनी ख्याति बटोरना चाहता है।मेरा मानना है कि अधिकांश लोग यही सोचते होंगे।       परन्तु मेरा दृष्टिकोण उन अधिकांश लोंगो से बिल्कुल भिन्न है ।मैं उन युवाओं पर  बिल्कुल भी दोषारोपण नही करना चाहता, जो कि सोशल मीडिया के सतत संपर्क में रहते हैं।मैं उनको सम्मान की दृष्टि से देखता हूँ क्योंकि:- 1.सोशल मीडिया पर वही व्यक्ति अधिक सक्रिय रहता है जो कि सामाजिक क्षेत्र में सामाजिक कार्यों में रुचि रखता है। 2.उसके अंदर सामाजिक अन्याय ,अत्याचार, उत्पीड़न, शोषण का दर्द है उस दर्द से समाज को  छु...

*योगीराज में सवर्णीय जातिवाद चरम पर*. 147 ब्राह्मण और 80 ठाकुर एसडीएम कैसे हो गए भर्ती?*

  *147 ब्राह्मण और 80 ठाकुर एसडीएम कैसे हो गए भर्ती?* *************************** *योगीराज में सवर्णीय जातिवाद चरम पर* 👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍        उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में डाॅ.अनिल यादव अध्यक्ष थे,तो उनके तीन साल के कार्यकाल में 97 में यादव जाति के कुल 14 एसडीएम सलेक्ट हुए थे, तो भाजपा,आरएसएस,विहिप और विद्यार्थी परिषद की नेकरछाप जमात ने आसमान सिर पर उठा लिया था। इलाहाबाद में लोक सेवा आयोग के दफ्तर पर यादव सेवा आयोग लिख दिया था। तब इस झूठ को मीडिया ने भी खूब बढा-चढा कर दिखाया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने झूठे कुप्रचार के आधार पर फैसला सुना दिया। जबकि आरोपों में न कोई आधार थे और न कोई सबूत। हाई कार्ट को लगा था देश में सिर्फ यादव ही सभी पीसीएस बन जाएंगे। आानन-फानन में सीबीआई को पीसीएस भर्ती में कथित गडबडी की जांच सौंपने का फरमान सुना दिया। जांच प्रभावित न हो,इस आधार पर डाॅ.अनिल यादव को अध्यक्ष पद से हटने को कहा गया। डाॅ.अनिल यादव हट भी गए। अब लाख टके का सवाल, सीबीआई क्यों बताती? उसने पांच साल से हडप्पा की खुदाई की तरह यूपीपीसीएस की गड़बड़ी की जांच में कुछ मिला...

अपने डॉक्टर खुद बने

  अपने डॉक्टर खुद बने ============= साभार - डा. आर. पी. सक्सेना, 1 =  केवल सेंधा नमक प्रयोग करें, थायराईड, बी पी और पेट ठीक होगा। 2 = केवल स्टील का कुकर ही प्रयोग करें, अल्युमिनियम में मिले हुए लेड से होने वाले नुकसानों से बचेंगे 3 = कोई भी रिफाइंड तेल ना खाकर केवल तिल, मूंगफली, सरसों और नारियल का प्रयोग करें। रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं । 4 = सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करें। 5 = रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें। 6 = काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में भी अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी। 7 = देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता। 8 = ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा। 9 = ज्यादा से ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी। 10 = भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा। भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा। 11 = नाश्ते में ...

मीना समाज का जनगणना अभियान - OBC

2 अक्टूबर को शुरू होगा मीना समाज का जनगणना अभियान - प्रदेश अध्यक्ष हरी झंडी दिखाकर करेंगे जनगणना वाहन को रवाना  भोपाल। मप्र मीना समाज सेवा संगठन द्वारा 2 अक्टूबर को प्रदेश में मीना समाज की जनगणना का अभियान शुरू किया जा रहा है। इसके लिए जनगणना वाहन को संगठन के प्रदेश कार्यालय मीना भवन परिसर में प्रदेश अध्यक्ष श्री जगदीश सिंह मीना हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। गौरतलब है कि प्रदेश के सभी 26 जिलों में मीना समाज की की कुल आबादी की गणना के लिए संगठन द्वारा  एक टीम का गठन किया गया है। इस टीम का नेतृत्व संगठन के वरिष्ठ संरक्षक श्री वीरभासिंह मीना तथा संभागीय अध्यक्ष ग्वालियर-चंबल संभाग श्री गजेन्द्रसिंह रावत को सौंपा गया है। इन्हीं के नेतृत्व में जनगणना टीम प्रदेश के सभी 26 जिलों में भ्रमण कर जनगणना की रिपोर्ट संगठन को सौंपेगी। मासिक समीक्षा बैठक 2 को : मप्र मीना समाज सेवा संगठन की मासिक समीक्षा बैठक भी 2 अक्टूबर को हमीदिया रोड बाल विहार स्थित मीना भवन में होगी। यह जानकारी देते हुए संगठन के प्रदेश संगठन महामंत्री एड. संतोष मीना ने बताया कि हर माह के प्रथम रविवार को होने वाली संगठन की ...

भोपाल का नाम ही आदिवासी पहचान है 

  आदिवासी पहचा‌न भोपाल भोपालियत आदिवासी गोंड ईतिहास बचाने कि सही ही वकालत की है आरिफ मसुद ने  भोपाल का नाम ही आदिवासी पहचान है  बस्ती भोपाल भुपाल शाह सल्लाम के नाम पर हे आगे चलकर ये मध्यप्रदेश कि राजधानी बना  वेसे भी भुपाल शाह सल्लाम को लाखो सलाम जिसने बसाया था भुपाल ओर नाम पढ़ा गया भोपाल अब गोंड आदिवासी ईतिहास को दबाने के लिये राजा भोज  व भुपाल शाह के भोपाल नाम पर राजनीत करना न्याय नही हे आदिवासी ईतिहास के साथ भोज ओर भोपाल को जोड़कर गोंड कालीन ईतिहास को विलुप्त किया जाना बहुत गंभीर तृटि हे भुपाल शाह सल्लाम ने भोपाल बसाया था उस भोपाल को आधुनिक भोपाल नवाब दोस्त मोहम्मद खान ने बनाया था भुपाल सिंह सल्लाम के भुमिगत महल कि सुरंगे हमिदिया अस्पताल फतेहगढ़ किले के बाहरी हिस्से यानी कमला नेहरु अस्पताल के पीछे थी जिसको मप्र पुरातत्व विभाग कि मोन सहमती बंद आंखो कि साजिश के तहत नेस्तनाबुद कर दिया ये भी आदिकाल वेदिक संरचना कि भोगोलिक हत्या हे भुपाल सिंह सल्लाम के बुर्ज कि निशानी व महल कि दीवार अभी वीआईपी रोड करबला कि तरफ बाकी अवशेष हे पिछले दिनो फतेगढ़ किला जो कि अब का हमिदि...

*जागो ग्राहक जागो* --- बिजली विभाग का रेट

  स्टेट बैंक  के बाहर राजू केले बेच रहा था। बिजली विभाग के एक बड़े  *अधिकारी* न पूछा : " केले कैसे दिए" ? *राजू* :  केले किस लिए खरीद रहे हैं साहब ? *अधिकारी* :-  मतलब ??  *राजू* :-  मतलब ये साहब कि, *मंदिर* के प्रसाद के लिए ले रहे हैं तो 10 रुपए दर्जन।  *वृद्धाश्रम* में देने हों तो 15 रुपए दर्जन।  बच्चों के *टिफिन* में रखने हों तो 20 रुपए दर्जन।  *घर* में खाने के लिए ले जा रहे हों तो, 25 रुपए दर्जन  और अगर *पिकनिक* के लिए खरीद रहे हों तो 30 रुपए दर्जन। *अधिकारी* : - ये क्या बेवकूफी है ? अरे भई, जब सारे केले एक जैसे ही हैं तो,भाव अलग अलग क्यों बता रहे हो ?? *राजू* : - ये तो पैसे वसूली का, आप ही का स्टाइल है साहब।  1 से 100 रीडिंग का रेट अलग,  100 से 200 का अलग,  200 से 300 का अलग।  अरे आपके बाप की बिजली है क्या ? आप भी तो एक ही खंभे से बिजली देते हो।  तो फिर घर के लिए अलग रेट,  दूकान के लिए अलग रेट,  कारखाने के लिए अलग रेट,  फिर इंधन भार, विज आकार..... और हाँ, एक बात और साहब,  *मीटर का भाड़...

भारत की राजनीति समझना है तो जरूर पढ़ें |... अंधभक्ति में लीन ओबीसी /OBC, SC,ST का खत्म होता भविष्य......

  👌👌All Shudra (OBC,SC,ST) must read this useful and fact finding post which elaborates the ugly designs of  Brahamanvad👌👌 अंधभक्ति में लीन ओबीसी /OBC, SC,ST और खत्म होता भविष्य...... भारत की राजनीति समझना है तो जरूर पढ़ें | 1977 मेँ जनता पार्टी की सरकार बनी जिसमे *मोरारजी  ब्राह्मण थे* जिनको _जयप्रकाश नारायण_ द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिऐ नामांकित किया था। चुनाव मेँ जाते समय *जनता पार्टी* ने अभिवचन दिया था कि यदि उनकी सरकार बनती है तो वे *काका कालेलकर कमीशन* लागू करेंगे। जब उनकी सरकार बनी तो *OBC का एक प्रतिनिधिमंडल* मोरारजी को मिला और *काका कालेलकर कमीशन* लागू करने के लिऐ मांग की मगर _मोरारजी_ ने कहा कि _*कालेलकर कमीशन*_ की रिपोर्ट पुरानी हो चुकी है, इसलिए अब बदली हुई परिस्थिति मेँ नयी रिपोर्ट की आवश्यकता है। *यह एक शातिर बाह्मण की OBC को ठगने की एक चाल थी*। प्रतिनिधिमडंल इस पर सहमत हो गया और *B.P. Mandal* जो बिहार के यादव/Yadav/OBC थे, उनकी अध्यक्षता मेँ *मंडल कमीशन* बनाया गया। बी पी मंडल और उनके कमीशन ने पूरे देश में घूम-घूमकर 3743 जातियोँ को OBC के तौर पर पहचान कि...

शोक पत्रिका* -- ईन्द्र देव .....

             *शोक पत्रिका* ज्यादा बारिश और ईन्द्र देव की असीम कृपा ज्यादा होने से मध्य प्रदेश के खरगोन मे मक्का राम की छोटी बहन काकडी देवी की बुवा व उड़द मूंग  की मौसी ((श्रीमती  सोयाबीन देवी))           का स्वर्गवास हो गया है जिनका का कार्यक्रम निम्न प्रकार रखा गया है। दशाकर्म -- 32-09- 2019 पगड़ी --   34 - 09-2019  ........................................... नोट - दराता प्रथा बन्द है ।  *शोकाकुल*                    लहसुन, उड़द  ककड़ी, कांदा , मक्का एवम समस्त सड़ा हुआ परिवार                                  *विनित*               काले घेटे वाला कपास                मो. 9999999999

*वो थे इसलिए आज हम हैं —*.....

     *15,सितंबर,1990*  *वो थे इसलिए आज हम हैं —* इतिहास के पन्नों से      *—जोगा मुसाहिब कांड में मंडल कमीशन रिपोर्ट लागू करवाने में शहीद हुए बहुजन समाज के वीर सिपाहियों के शहादत दिवस पर शत्-शत् नमन एंव विनम्र श्रद्धांजलि —*      —15 सितंबर 1990 को मंडल कमीशन रिपोर्ट लागू कराने के समर्थन में बसपा द्वारा चलाए जा रहे पिछड़े वर्गों के आरक्षण के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन में कुछ सामंती ताकतों द्वारा मारे गए  गाजीपुर जनपद के चार बहुजन समाज के शहीद —      —ये लोग चमार जाति से —           *—श्री शिववली पुत्र बूटाई राम,धर्म राज पुत्र खर राम,कमलेश पुत्र रामवचन,रामप्यारे पुत्र पूर्णबासी के शहादत दिवस पर कोटि-कोटि नमन—*         —शायद लोगों को पता हो *बहुजन समाज ने अपने पिछड़े भाईयों के अधिकारों के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी थी,उन शहीदों की याद जिला गाजीपुर छावनी लाइन मोहनपुरवा में शहीद स्मारक बना है,जहाँ हर साल 15,सितंबर को* बहुजन समाज पार्टी की ओर शहीदों की याद में एक श्रंद्धाजली सभा ...

मेरा श्राद्ध

  मेरा श्राद्ध   आज़ ऊपर बैठी रूह ने बड़ा  ठहाका लगाया है, देखो ! आज़ मेरे बच्चों ने पंडित  जी को बुलाया है। कितने जतन से पकवान बनाया है और बड़े ही आदर भाव से  खिलाया है। जिसके लिए मुझे तरसाया था वो ही सब आज़ बनाया है। और तो और कोवे और कुत्ते को भी दावत में बुलाया है, बड़े ही प्यार से इनको भी खाना  खिलाया है। जगह नहीं थी मेरे लिए घर में,  अतः वृद्धाश्रम में भगाया था। देखो !  देखो !आज़ मेरा फोटो भगवान के साथ ही लगाया है। थोड़ा-बहुत पैसा भी नहीं था मेरे लिए लेकिन...  आज़ पंडित जी को पांच सौ का  नोट मिठाई का डिब्बा और सात नये कपड़ों का जोड़ मेरा नाम लेकर पहनाया है। देखो !कैसे दिखावा कर रहे हैं अपने आप से ही छलावा  कर रहे हैं, ये सब मेरे भूत बन कर सताने के  डर से डर कर, कर रहे हैं। अरे ! इन्हें इतना नहीं पता क्या मां बाप होते हैं कभी खफ़ा ? बस !सभी बच्चों से इतनी सी  गुजारिश है... मेरे साथ रहने वालों की भी  सिफ़ारिश है... मरने के बाद नहीं,,,मां बाप का जीते जी... करो सम्मान नहीं चाहते हैं वो पैसे,ना चाहे  पकवान । बस !थोड़ा सा ...

आतंकवादी कोन ,,,,

  * आतंकवाद* पिछले लगभग मात्र 40 साल के इतिहास में हमने (दलितों) ने अपनी जमीनों के लिए अपनो को हजारों की संख्या में क्रूरतम घटनाओं के द्वारा खोया है। जिन घटनाओं ने  मानवता को तार तार किया औऱ लोगो के सामने उदाहरण पेश किए किस तरह कमजोर वर्ग के मेहनती लोगो की जमीनों को कब्जाने को लेकर उनकी जान को जानवरों से भी सस्ता समझकर उनपर अमानवीय अत्याचार किये है इन *हिन्दू आतंकवादियों* ने..! *#डांगावास_प्रकरण_राजस्थान* राजस्थान के मेड़ता नागौर में ये कांड इतना विभत्स था कि 17 दलितों को ट्रैक्टर से कुचला गया। उनके प्राइवेट पार्ट्स पे कुल्हाड़ी से वार किया उनके हाथ पैर तोड़ दिए 7 लोगो की हत्या हुई  जिसमें 200 से 250 लोग शामिल थे इस *हिन्दू आतंकवाद* की घटना ने पूरे राजस्थान को लहूलुहान कर दिया। *#मिर्चपुर_हत्याकांड_हरियाणा* हरियाणा के मिर्चपुर में जमीनी विवाद को लेकर *हिन्दू आतंकवादियों* ने 2 बाप बेटी को जिंदा जला दिया औऱ 50 घरों की बस्ती को आग लगा दी। लोगो को बुरी तरह मारा गया, आंख फोड़ दी, अपंग बना दिया। कई महिलाओं का बलात्कार किया। *#गोहाना_हत्याकांड_हरियाणा* 31-08-2005, *हिन्दू आतंकवादियो...

*Accidental Death*  & *Compensation*

  ...अगर आप लगातार तीन वर्ष  तक इनकम टेक्स रिटर्न जमा करते हैं तो इसे कृप्या ध्यान से पढें  INCOME TAX RETURN FILLING HELPS YOU IN *Accidental Death*  & *Compensation* *(Income Tax Return Required)* अगर किसी व्यक्ति की accidental death होती है और वह व्यक्ति पिछले तीन साल से लगातार इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल कर रहा था तो उसकी पिछले तीन साल की एवरेज सालाना इनकम की दस गुना राशि उस व्यक्ति के परिवार को देने के लिए सरकार बाध्य है । जी हाँ, आपको आश्चर्य हो रहा होगा यह सुनकर लेकिन यह बिलकुल सही है और सरकारी नियम है ,  उदहारण के तौर पर अगर किसी की सालाना आय क्रमशः पहले दूसरे और तीसरे साल    चार लाख,पांच लाख और छः लाख है तो उसकी औसत आय पांच लाख का दस गुना मतलब पचास लाख रूपए उस व्यक्ति के परिवार को सरकार से मिलने का हक़ है। ज़्यादातर जानकारी के अभाव में लोग यह क्लेम सरकार से नहीं लेते हैं ।जाने वाले की कमी तो कोई पूरी नहीं कर सकता है लेकिन अगर पैसा पास में हो तो भविष्य सुचारू रूप से चल सकता है । अगर लगातार तीन साल तक रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो ऐसा नहीं है कि ...

*निजीकरण व्यवस्था नहीं बल्कि पुनः रियासतीकरण है..*

(इसे सिर्फ पढ़ो ही नहीं इस पर चिंतन भी करो ) *निजीकरण व्यवस्था नहीं बल्कि पुनः रियासतीकरण है..* मात्र 70 साल में ही बाजी पलट गई। जहाँ से चले थे उसी जगह पहुंच रहे हैं हम। फर्क सिर्फ इतना कि दूसरा रास्ता चुना गया है और इसके परिणाम भी ज्यादा गम्भीर होंगे। 1947 जब देश आजाद हुआ था। नई नवेली सरकार और उनके मंन्त्री देश की रियासतों को आजाद भारत का हिस्सा बनाने के लिए परेशान थे। तकरीबन *562 रियासतों*  को भारत में मिलाने के लिए साम दाम दंड भेद की नीति अपना कर अपनी कोशिश जारी रखे हुए थे।   *क्योंकि देश की सारी संपत्ति इन्हीं रियासतों के पास थी।*  कुछ रियासतों ने नखरे भी दिखाए, मगर कूटनीति और चतुरनीति से इन्हें आजाद भारत का हिस्सा बनाकर भारत के नाम से एक स्वतंत्र  लोकतंत्र की स्थापना की। *और फिर देश की सारी संपत्ति सिमट कर गणतांत्रिक पद्धति वाले संप्रभुता प्राप्त भारत के पास आ गई।* धीरे धीरे रेल, बैंक, कारखानों आदि का राष्ट्रीयकरण किया गया और एक शक्तिशाली भारत का निर्माण हुआ । मात्र 70 साल बाद समय और विचार ने करवट ली है। फासीवादी ताकतें पूंजीवादी व्यवस्था के कंधे पर सवार हो राजन...