अपमान तो 97% का चार हजार वर्षों से किया जाता रहा।

 


अपमान तो 97% का चार हजार वर्षों से किया जाता रहा। अनुपात, % कम ज्यादा करने होने से स्पष्ट मेहसूस नहीं होता। इससे सबक नहीं लिया न लिया जा रहा। अपमान करने वाला कौन है यह भी दिखाई दे रहा। फिर भी उस से पूछे बिना , घर का कोई भी नवीन कार्य करने की बुद्धि नहीं। बुद्धि नहीं तो भय मुक्त नहीं। तथागत बुद्ध ने बुद्धि का उपयोग किया ।खुद भय मुक्त रहे, दूसरों को भी अंधविश्वासी कर्मकांड को न करने से ,लोग भय भीत रहते थे उस से भी मुक्त किया। इतना घोर अपमान के बाद भी , अपमान करने वाले पर भरोसा करना,  कितनी शर्म , पानी रहित की स्थिति है!

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