बोधगया महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन को दबाना मनुवादियों के लिए अब असंभव-

 

*बोधगया महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन को  दबाना मनुवादियों के लिए अब असंभव-*


भारत पाकिस्तान युद्ध का हवाला देकर बोधगया का स्थानीय प्रशासन आंदोलन को स्थगित कराने में करीब करीब कामयाब हो गया था लेकिन भन्ते विनाचार्य के विद्रोह और आक्रामक रुख और साथ ही युद्धविराम की घोषणा के कारण सरकार को कामयाबी नहीं मिली और आंदोलन की निरंतरता बनी रही, बुद्ध जयंती के दिन महाविहार में भिक्षुओं और महिलाओं के साथ  कुछ मनुवादी गुंडों ने जय श्री राम का नारा लगाते हुए अभद्रता एवं मारपीट की जिसका विरोध करने के कारण भन्ते विनाचार्य पर केस दर्ज करके जेल में डाल दिया गया। 

बुद्ध जयंती के ही दिन बिहार के राज्यपाल ने महाविहार में पंडे पुजारियों के साथ पूजापाठ करके बुद्ध के उपदेशों के विरुद्ध मनुवादी कर्मकांड किया और महाविहार पर अवैध कब्जा जमाए ब्राह्मणों का हौसला बढ़ाया जो पूरी तरह असंवैधानिक था । 

आंदोलनकारी भन्तेगण में गुटबाजी का भी केन्द्र व बिहार सरकार को फायदा मिलते हुए दिखाई पड़ रहा है लेकिन अब इस आंदोलन को तीन महीने से ज्यादा हो गए हैं अब यह राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन बन चुका है अब इस आंदोलन की चर्चा देश के गाँव गाँव में हो रही है बुद्ध जयंती पर इस साल गाँव गाँव में जितनी बड़ी संख्या में कार्यक्रम आयोजित हुए यह बहुजनों की जागरूकता और अपनी विरासत से जुड़ने का परिचायक है। 

बहुजनों की जागरूकता का ही परिणाम है कि सारनाथ में पुरातत्व विभाग के संरक्षण में रहे बौद्ध स्थल पर जब वाराणसी विकास प्राधिकरण ने मनुवादी प्रतीकों मूर्तियों को रखवाया तो बहुजनों ने जबर्दस्त विरोध किया अंततः वीडीए को उन मूर्तियों को क्रेन लाकर बौद्ध परिसर से हटाना पड़ा। 

बोधगया महाबोधि महाविहार पर ब्राह्मणों के अवैध कब्जे और बीटी एक्ट 1949 को रद्द कराने व बिहार राज्यपाल द्वारा महाविहार में मनुवादी पूजापाठ करने के विरोध में 5 जून को दिल्ली के जंतर मंतर पर विशाल धरना प्रदर्शन होने वाला है और महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन को मजबूती देने एवं ब्राह्मणों द्वारा कब्जाए गए अन्य बौद्ध स्थलों की मुक्ति की रणनीति बनाने के लिए 6,7,8 जून को अंबेडकर भवन दिल्ली में तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिविर रखा गया है जिसमें देश के हर प्रदेश के प्रतिनिधि शामिल होंगे। 

इसमें आंदोलन के लिए राष्ट्रीय समन्वय समिति के निर्माण व अन्य विषयों पर चर्चा होगी। 


जब से बोधगया आंदोलन चल रहा है टीवी चैनलों ने तो बहिष्कार कर ही रखा है बहुजनों में अत्यंत लोकप्रिय बड़े बड़े ब्राह्मण यूट्यूबर भी महाबोधि महाविहार आंदोलन पर बिल्कुल चर्चा नहीं कर रहे हैं लेकिन बहुजन सोशल मीडिया एक्टीविस्टों ने इस आंदोलन को राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय बना दिया अब गाँव गाँव में बीटी एक्ट और महाविहार पर ब्राह्मणों के अवैध कब्जे की चर्चा हो रही है 

गौतम बुद्ध की मानवता वादी, वैज्ञानिकता वादी, नैतिकता वादी विचारधारा पर चर्चा हो रही है अब लोग धर्म के नाम पर ढो रहे ब्राह्मणी अंधविश्वास पाखंड कर्मकांड , मानव मानव में भेदभाव और नफरत वाली अमानवीय मान्यताओं परंपराओं की बुद्ध के करुणा, मैत्री, प्रेम सद्भाव, बंधुत्व भाव जगाने वाले उपदेशों से तुलना कर रहे हैं तो खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं जब बहुजनों को पता चलता है कि यह हमारी ही विरासत है जिसे ब्राह्मणों के बहकावे में आकर हम भूल चुके हैं और नीच बनकर ब्राह्मण वर्चस्व वादी कुव्यवस्था को धर्म मानकर ढो रहे हैं और ब्राह्मणों द्वारा शासित होकर शोषण उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। 

जब बहुजनों को पता चलता है कि हमारे संविधान में समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय जैसे महान मानवीय मूल्य हमारी बौद्ध विरासत से ही लिए गए हैं जो पूरी मानव जाति के लिए कल्याणकारी हैं तो हम क्यों ब्राह्मणी अंधविश्वास पाखंड और नीच ऊंच के मकड़जाल में फंसे रहें? इसलिए बहुजन यानी एससी एसटी ओबीसी बहुत तेजी से अपने घरों से ब्राह्मणी प्रतीकों उनके काल्पनिक अवतारों और देवी देवताओं के फोटो और साहित्य आदि बाहर निकालकर गौतम बुद्ध, ज्योतिबा फुले, माता सावित्रीबाई फुले, साहू महराज, बाबा साहेब अंबेडकर और अन्य समतावादी महापुरुषों व मातृ शक्तियों की फोटो लगा रहे हैं उनसे संबधित साहित्य ला रहे हैं,उनकी जयंतियां मना रहे हैं, उनकी पुण्यतिथियों पर उनकी स्मृति में कार्यक्रम आदि का आयोजन करते हैं। 

जिस तेजी से बहुजन बुद्धिज्म की ओर बढ़ रहे हैं निकट भविष्य में बाबा साहेब का बौद्ध मय भारत का सपना साकार होने वाला है अब कोई भी मनुवादी साजिश कामयाब नहीं होगी। 

महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन को दबाने या सत्ता के बल पर आंदोलन को खत्म करने की कोशिश केन्द्र या बिहार सरकार के लिए आत्मघाती सिद्ध होगी इसलिए शीघ्रातिशीघ्र बीटी एक्ट को रद्द करके महाबोधि महाविहार बौद्धों को सौप दें और महाविहार में अवैध रूप से रखे गए ब्राह्मणी प्रतीकों को उस परिसर से हटाएं! 


चन्द्रभान पाल (बी एस एस)

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