मोदी भाजपा मोदी सरकार गांव शिक्षा,चिकित्सा कृषि के उत्थान में कोई रुचि नहीं?साथ ही मजदूर,किसान, बेरोजगारों के खिलाफ पर चिंतन!

 


मोदी भाजपा मोदी सरकार गांव शिक्षा,चिकित्सा कृषि के उत्थान में कोई रुचि नहीं?साथ ही मजदूर,किसान, बेरोजगारों के खिलाफ पर चिंतन!

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        भारत कृषि प्रधान देश होने के साथ ही गांव का देश भी है, गांव मुख्य आमदनी का स्रोत कृषि,पशु पालन,मजदूरी है। यदि किसान संगठन कृषि कानूनों का बिरोध कर रहे हैं,कृषि मजदूर,लघुकृषकों की बढ़ी आय का स्रोत है।किसान अपनी लड़ाई गली से लेकर शहर जिला तक लड़ रहे हैं, परंतु मोदी सरकार किसानों की बात को अनसुना करके किसानों को अपमानित कर रहे हैं‌,ब्रहामणबादी मोदी सरकार एससी- एसटी पिछड़ी जाति वर्ग जातियों के खिलाफ है। लोगों का एक वर्ग सवसे पीड़ित बंचित है। 

        किसान आंदोलन जिस मोड़ पर पहुंच गया है, वहां उसे अपना भावी कार्यक्रम निर्धारित ऐसा करना चाहिए,कि आंदोलन लंबे समय तक चला,तो भारत के मजदूर संगठन, कर्मचारी संगठनों से बात करके आंदोलन का हिस्सा बनाया जाये। इसके रणनीति बनना जरूरी है,आज पूंजीपति किसान के अधिकार छीन रहे,कल इन बिभागों का भी निजीकरण होकर इनके अधिकार नौकरी समाप्त हो जायेगी, फिर आंसू बहाते रहना,कटोरा हाथ में होगा,जनक्रांति बहुत जरूरी है, जिसके लिए स्वार्थ त्यागना बहुत जरूरी है।

       किसान आंदोलनकारी दिल्ली की सीमाओं पर कब तक बैठ सकते हैं। इस आंदोलन का लाभ कब होगा, यह भविष्य की रणनीति पर निर्भर करता है। लेकिन आंदोलन लंबा खिंचने से लोगों में नकारात्म और, हिंसा की भावना लोगों न पैदा हो, और सोच सकारात्मक बनी रहे। इसके लिए किसानों के भावी कार्यक्रम ठोस बनना होगा। जिससे सरकार पर दबाव वने।इस संबंध में मेरा विचार निम्न प्रकार हैं। 

          (1)- किसान अपना अखिल भारतीय संगठन बनाएं, जिला,प्रांतों छोटे बड़े शहरों में संगठनों को कार्यक्रम में शामिल करके ठोस रणनीति बनायें, गांव में कानूनों की सच्चाई बतायें।

          (2)-अखिल भारतीय संगठन सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने और समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने,की समय सीमा निर्धारित करके, चेतावनी दें, यदि हमारी मांगे न मानी तो हम रोड, सरकार काम ठप कर देंगें,निचले स्तर पर काम की जरूरत है।

          यदि सरकार समय सीमा के अंदर मांग न पूरी करें तब आंदोलन को बृहद स्तर पर शुरू किया जाए।  आंदोलन के तीन पक्ष हो सकते हैं।

         (1)- प्रतिरोध पक्ष,

         (2)- रचनात्मक पक्ष,

         (3)-संचार एबं संपर्क पक्ष,

(1)-प्रतिरोध पक्ष -इसके कई चरण हो सकते हैं। देशव्यापी आंदोलन और मार्च करने के साथ-साथ अगला चरण सत्याग्रह भी हो सकता है। इसके अंतर्गत केंद्र सरकार पर शांतिपूर्ण संवैधानिक तरीकों से विरोध के लिए लोगों को आने की जरूरत है।

 (2) -रचनातमक पक्ष -पूरे देश के किसानों के उत्थान के लिए बहुत उपयोगी और कारगर योजनाएं बनाई जायें। जिससे सरकार पर प्रभाव पड़ेगा। 

            रचनात्मक दृष्टिकोण की सोच है,कि किसान छात्र संगठनों से बात करके देश के चार भागों में चार कृषि विश्वविद्यालय स्थापित करने भी मांग रखें, और किसानों को बीज, उन्नत कृषि यंत्रों, निशुल्क खेती बाड़ी प्रशिक्षण और कृषि उच्च शिक्षा की मांग रखें, जिससे देश का छात्र अपने भविष्य की चिंता में आंदोलन का हिस्सा बन सकते है। जैसे सरकार अनेक तरह से आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है,बैसा ही किसानों को करना होगा।

          किसान संगठन अनाज के भंडारण को सहकारी, सरकारी व्यवस्था को दुरुस्त की मांग जिसके कारण किसानों को लाभ होगा।

          (3)-संचार-संपर्क पक्ष-जनसंचार में सोसल मीडिया,प्रिंट मीडिया, यूट्यूब चैनलों के माध्यम स्थापित किए जाएं। और इन माध्यमों से देश के किसान जीवन,जुड़ी खेती किसानी, पशुपालन,पशु बाजारों,मजदूर, शिक्षित बेरोजगारी की समस्याओं को किसान आंदोलन का हिस्सा बनायेंगे, इसके लिए गांव,शहर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सोच की राजनीति लोगों में पैदा करें, और लोगों को समझाने का प्रयास किया जाए। तो किसान आंदोलन सफल हो सकता है।

        सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आंदोलन का हिस्सा बनाया जाये, जिससे लोगों का उत्साह कम नहीं होगा। भारत में सांस्कृतिक उत्सव गांव के लोगों का हिस्सा रहा है,गांव संस्कृति, संस्कार कृषि,किसानों, संस्कृति विरासत को सजीव रखने के लिए सरकारों पर दबाव बनाना जरूरी है।

          लेबर पार्टी आफ इंडिया का मानना है,कि हम किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए हम सभी को प्रयास करते रहना होगा,संगठनों से जुड़ने की अपील भी करता हूं।

           दुनिया में जितनी भी क्रांति हुई है। बह चाहे सत्ता परिवर्तन की हो,या सामाजिक,राजनैतिक आर्थिक परिवर्तन बहुत जरूरी, परिवर्तन का उद्देश्य लोगों के जीवन में सुधार लाना है,इसके लिए मजबूत प्लान की जरूरत है।राजनैतिक दल के संगठनों के पास प्लान नहीं है।लेबर पार्टी आफ इंडिया के पास गरीवी मिटाने रोजगार देने का प्लान है। जिससे गरीबी, पूंजीवादी लोकतंत्र को जड़ से मिटाया जा सकता है।

           देश हर गरीब नौजवान, किसान, समाजसेवी देश का जनप्रतिनिधि बन सकता है। लेबर पार्टी आफ इंडिया के संगठन का नेतृत्व लोगों के हाथ में देकर संबिधान के लोकतंत्र और अंबेडकर की नीतिबादी जनहितैषी,जनबादी नेतृत्व,सामाजिक समानता, राजनैतिक बराबरी,आर्थिक बिकास,भागीदारी को मजबूत करने की हमारी सोच और चिंता है। लोगों को हमारी व्यवस्था को समझने की जरूरत है।

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‌         राजनैतिक आर्थिक संगठनों की ‌‌रचनात्मक सोच, भारत के भविष्य की रणनीति, लोगों के जीवन में आर्थिक बदलाव,निचले स्तर के नेतृत्व को मजबूत किए, विना किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता, यह लोगों की जिंदगी जुड़ा होने के साथ अतिसंवेदनशील भी है, परंतु राजनैतिक दल अपने हित साधने में के लिए लोगों को गुमराह कर रहे हैं।संगठन नेतृत्व की सोच को समझना समझाने का प्रयास लेबर पार्टी आफ इंडिया कर रही है, लोगों समझना चाहिए।

      रूमसिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष लेबर पार्टी आफँ इंडिया

        

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