भारत की एकता,अखंडता,भारतीयता को धर्मों से खतरा, भाजपा की विचारधारा से गरीब मजदूर किसानों के खिलाफ लेबर पार्टी आंफ इंडिया का चिंतन

 

भारत की एकता,अखंडता,भारतीयता को धर्मों से खतरा, भाजपा की विचारधारा से गरीब मजदूर किसानों के खिलाफ  लेबर पार्टी आंफ इंडिया का चिंतन !

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            एकल जाति नेतृत्व अर्थात जातिवाद और धर्म से किसी को कोई लाभ नहीं हुआ है,बल्कि जाति,धर्म से जाति नेतृत्व और कुछ लोगों को लाभ जरूर हुआ है। लेकिन सबसे अधिक नुकसान समाज और जाति के लोगो ही होता है। भाजपा शासन और शासित लोगों का रबैया ऐसा ही रहा,तो भारत में भाईचारा खत्म हो जायेगा। एक दूसरे पर लोग भरोसा नहीं करेंगे। जिसके कारण इंसान,इंसानियत शर्मशार होगी।

             भारत बदलाव में बदले की भावना से अलगाव की आग में जलने लगेगा।सामाजिक समानता, सामाजिक न्याय, अर्थव्यवस्था बराबरी ही भारत की एकता अखंडता को बचा सकती है। भारत के लोगों में राजनैतिक सोच से सही ग़लत अंदाज लगाया जा सकता है। जिससे ही भारत में शांति, सद्भाव पैदा करके सुशासन एवं लोकतंत्र स्थापित किया जा सकता है।यदि ऐसा नहीं हुआ,तो भारत से इंसानियत एवं इंसानों को मजबूत किया जा सकता है। आज भारत में इंसान इंसानियत को खत्म करने और  शर्मशार करने में लगे हुए है।जिसके कारण भारत में अस्थिरता, मतभेद, नफ़रत पैदा हो रही है। जिसका मुख्य कारण राजनीति है। अखंड की भारत की मजबूत नीब अंदर तक हिलाने लगेगी। इसलिए भाजपा के राष्ट्रवाद से भारतीयता,संविधान, लोकतंत्र को बचाना है।

             एकल जाति व्यवस्था एकता को खंडित करके धार्मिक सत्ता से राष्ट्र,समाज को‌ लाभ कभी नहीं हो सकता। जाति,धर्म से राजनीति को नहीं जोड़ा जा सकता। राजनैतिक दलों,राजनेताओं को जाति धर्म से लाभ से लाभ जरुर होता देख रहा हूं। लेकिन जातियों एवं समाज को कोई लाभ नहीं दिख रहा है।उदाहरण भाजपा ने धर्म,जाति से लाभ उठाया हैं। लेकिन गरीब मजदूर किसान को कोई राहत नहीं मिल रही है। मंहगाई,वेरोजगारी, शिक्षा चिकित्सा रोजगार खत्म होते जा रहे हैं। धर्म, जाति व्यवस्था से राजनैतिक,सामाजिक न्याय लोगों को कभी नहीं मिल सकता। धर्म,जातिवाद से देश का भला कभी नहीं हो सकता। क्योंकि लोकतंत्र में धार्मिक राजनीति बहुत ख़तरनाक है।जिसके कारण भारत में दिनों दिन बेरोजगारी,अराजकता का माहौल पैदा हो रहा है।

             भारत की एकता,अखंडता,संप्रभुता,लोकतंत्रिक व्यवस्था, संबिधान,इंसान और इंसानियत भाईचारे को मजबूत करना है। तो एकल जाति,धर्म को राजनीति से दूर करके बहुजन समाज बनाना होगा। बहुजन समाज से संगठन,नेतृत्व को तलाश करके एकता मजबूत करके ही सत्ता पर कब्ज़ा कर सकते हो। इसलिए बहुजन बुद्धिजीवियों को बहुजन महापुरुषों की विचारधारा को मजबूती से स्थापित करना होगा। जिसके लिए चिंता और चिंतन करने की जरूरत है।

  रुमसिहं राष्ट्रीय अध्यक्ष लेबर पार्टी आफ इंडिया

    

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