भाइयों ! यह साहित्य नहीं ब्राह्मणों का विषमतावादी षडयंत्र है जिसमें ब्राह्मणों की सर्वश्रेष्ठता को उनका अधिकार बताया गया है और शूद्रों को अशिक्षित रहकर ऊपर के तीनों वर्णों की सेवा को धर्म उनका धर्म बताकर स्थापित किया गया है

 

भाइयों ! यह साहित्य नहीं ब्राह्मणों का विषमतावादी षडयंत्र है जिसमें ब्राह्मणों की सर्वश्रेष्ठता को उनका अधिकार बताया गया है और शूद्रों को  अशिक्षित रहकर ऊपर के तीनों वर्णों की सेवा को धर्म उनका धर्म बताकर स्थापित किया गया है , यह ब्राह्मण वर्चस्व वादी व्यवस्था ब्राह्मणों के हर प्रकार के विकास के अनुकूल और शूद्रों के विकास के प्रतिकूल ही नहीं बल्कि असंवैधानिक भी है क्योंकि हमारा संविधान समता स्वतंत्रता बन्धुत्व और न्याय के मानवीय मूल्यों के आधार पर समाज में इन्हीं मूल्यों को स्थापित करने के लिए बना है जिसमें शूद्रों का ही नहीं पूरे देश का हित निहित है इसीलिए ब्राह्मण बार बार संविधान  समीक्षा की बात करते हैं और संविधान को कमजोर करने का हर संभव प्रयास करते हैं हम जितने ही हिन्दू बनते हैं जितने ही धार्मिक बनते हैं उतना ही ब्राह्मणों की विषमतावादी व्यवस्था को मजबूत और संविधान के समता वाद को कमजोर करते हैं ,संविधान हमें वैज्ञानिकता की तरफ ले जाने की बात करता है कथित धर्म ग्रंथ जिन्हें शूद्रों को पढ़ने का भी अधिकार नहीं था जिनके श्लोक सुन लेने पर कान में पिघला शीशा डालने का आदेश है हमें अंधश्रद्धा की तरफ ले जाते हैं ।

भारत में लड़ाई समतवाद और विषमतावाद के बीच ही है हमारे मानवता वादी महापुरुषों  गौतम बुद्ध ,संत कबीर ,संत रविदास ज्योतिबा फुले ,साहू महाराज ,डा. अम्बेडकर ,रामास्वामी पेरियार ललई सिंह यादव जगदेव प्रसाद कुशवाहा मा. कांसीराम आदि ने हमारे लिए समता वाद की लड़ाई लड़ी और आज जो भी हमारे जीवन में जो भी सकारात्मक बदलाव आये हैं इन्हीं महापुरुषों के संघर्षों के बदौलत आयी हैं किन्तु ब्राह्मणों ने शिक्षा व्यवस्था से लेकर हर प्रकार की मीडिया पर कब्जा करके हमें हमारे महापुरुषों के विचारों को जानने ही नहीं दिया और अपने फायदे के लिए लिखे हुए विषमतावादी अंधश्रद्धावादी ग्रंथों का धर्म के रूप में प्रचारित किया और दुख तो इस बात का है कि उन षडयंत्रों को शूद्र सीने से चिपकाये हुए विषमतावादी ब्राह्मण वाद को मजबूत कर रहे हैं और 15%  सवर्णों को लोकतंत्र होने के बावजूद भारत का शासक और खुद 85% होकर भी शासित बने  हुए हैं और जब ब्राह्मण शाही में कुटाई होती है या संवैधानिक अधिकार छीने जाते हैं तब चिल्लाते हैं। शूद्र जब तक ब्राह्मणों के फैलाए मकड़जाल को धर्म समझकर उसमें उलझे रहेंगे भारत में ब्राह्मण शाही चाहे कांग्रेस के रूप में हो चाहे भाजपा के रूप में कायम रहेगी और जिस दिन शूद्र ब्राह्मणों के षडयंत्रों को समझकर अपने समता वादी महापुरुषों के संघर्षों उनके विचारों को जानकर उनके बताये मार्ग पर चलकर एकजुट होकर संघर्ष शुरू कर देंगे भारत में शूद्र शाही ,बहुजन शाही कायम होने में देर नहीं लगेगी तभी भारत समृद्ध और प्रबुद्ध भारत बन सकेगा ।

चन्द्र भान पाल (बी एस एस)

Featured Post

RTI --- सूचना का अधिकार आवेदन. ????

  सूचना का अधिकार आवेदन सेवा में, सूचना अधिकारी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, भारत सरकार  विषय: 20 मई 2025 को पारित (pan...