आर एस एस जाति आधारित जनगणना होने नहीं देगा होगा भी तो SECC 2011 की तरह ऐसा अड़ंगा लगेगा कि वह ओबीसी के किसी काम का नहीं रहेगा!

 


*जागो ओबीसी जागो!* 

*जाति आधारित जनगणना के झांसे में आने से बचो!* 

*हर साल दो करोड़ नौकरी हर खाते में पन्द्रह लाख की तरह यह भी एक चुनावी जुमला ही है--*


*आर एस एस जाति आधारित जनगणना होने नहीं देगा होगा भी तो  SECC 2011 की तरह ऐसा अड़ंगा लगेगा कि वह ओबीसी के किसी काम का नहीं रहेगा!*


*सवाल घोषणा का नहीं नीयत का है!*


जिस भाजपा ने मंडल कमीशन की एक अनुशंसा नौकरियों में ओबीसी को 27% आरक्षण लागू करने पर आसमान सिर पर उठा लिया था लालकृष्ण आडवाणी मंडल के विरोध में कमंडल यात्रा लेकर चल पड़े थे और ओबीसी नौजवानों को मंडल कमीशन की लड़ाई से राममंदिर आंदोलन की तरफ डायवर्ट कर दिया था वह भाजपा जाति आधारित जनगणना कराकर हर क्षेत्र में ओबीसी को संख्यानुपात हिस्सेदारी देगी? 

जिस भाजपा के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देवगोड़ा सरकार के 2001 की राष्ट्रीय जनगणना जाति आधारित कराने के फैसले को रद्द कर दिया था वह भाजपा अब जाति आधारित जनगणना करायेगी? 

जिस भाजपा ने लेटरल इंट्री कानून बनाकर मंत्रालयों के संयुक्त सचिव पद पर बेशर्मी से सवर्णों की भर्ती किया वह ओबीसी के चतुर्मुखी विकास के लिए जाति आधारित जनगणना करायेगी? 

जिस भाजपा ने असंवैधानिक रूप सवर्णों के लिए 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण दे दिया और राम मन्दिर ट्रस्ट में एक भी ओबीसी को जगह नहीं दी वह ओबीसी की जाति आधारित जनगणना करायेगी? 

जिस भाजपा की उप्र सरकार ने 69000 शिक्षक भर्ती में 20000 ओबीसी एससी एसटी की सीटों पर सवर्णों को भर्ती कर लिया पीड़ित शिक्षक अभ्यर्थी आज पांच साल बाद भी न्याय के लिए लखनऊ में संघर्ष कर रहे हैं। ओबीसी एससी एसटी की सीटें हड़पकर सवर्णों को देने वाली भाजपा जाति आधारित जनगणना करायेगी? 

भाजपा द्वारा ओबीसी की हकमारी शोषण उत्पीड़न पर पूरी किताब लिखी जा सकती है। 

क्योंकि भाजपा ब्राह्मणों द्वारा ब्राह्मणों के लिए ब्राह्मणों के संगठन आर एस एस का राजनीतिक विंग है वह भारत में ब्राह्मण वर्चस्ववाद स्थापित करने और उसे बनाये रखने के लिए ही बनी है मनु विधान के शूद्रों अर्थात ओबीसी की जाति आधारित जनगणना कराकर उन्हें संख्यानुपात हिस्सेदारी देने के लिए नहीं, वह ओबीसी एससी एसटी को हिन्दू बनाकर उनका वोट लेकर सत्ताधारी बनने के एजेंडे पर चलती है ओबीसी हिन्दू तभी बनता है जब संघ परिवार जोर शोर से मुस्लिम कट्टरवाद का प्रचार करता है। 

आजकल संघियों का हिन्दू मुस्लिम एजेंडा चल ही नहीं पा रहा है औरंगजेब की कब्र से लेकर वक्फ बोर्ड तक नहीं चल पाया, पहलगाम आतंकी हमले में भी आतंकियों ने 'धर्म पूछा जाति नहीं' जैसा प्रचार भी नहीं चल पाया कारण ओबीसी वर्ग में जागरूकता बहुत तेजी से बढ़ी है अब वह हिन्दू बनकर मुसलमानों से लड़ने और नफरत करने को तैयार नहीं अब वह अपना इतिहास जानने लगा हैअपने पुरखों की समतावादी विरासत को पहचानने लगा है ओबीसी अपने महापुरुषों के साहित्य पढ़ने लगा है उनके जीवन संघर्ष और ब्राह्मणों की भूमिका को भी जानने लगा है अब फुले फिल्म देखकर सिनेमा हॉल में ही ज्योतिबा फुले अमर रहें! माता सावित्रीबाई फुले अमर रहें! 

और जयभीम जय पेरियार का नारा लगाने लगा है। 

अब ओबीसी एससी एसटी सब मिलकर बोधगया में चल रहे महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन में स्वत:स्फूर्त शामिल हो रहे हैं आंदोलन को ढाई महीने से ऊपर हो गया लेकिन आर एस एस भाजपा उस मुद्दे पर कुछ बोलने को तैयार नहीं उनके द्वारा नियंत्रित मीडिया भी इस आंदोलन को दिखाने उस पर डिबेट कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है, ब्राह्मणों द्वारा बौद्ध विरासत की चोरी ऊपर से सीनाजोरी उस चोरी को संघ भाजपा का समर्थन सब कुछ ओबीसी अत्यंत बारीकी से देख रहा है अब ओबीसी संघियों के बहकावे में आकर नहीं बल्कि अपने बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करके निर्णय लेने लगा है। 

ओबीसी को अच्छी तरह पता है कि आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत से पीएम मोदी की मुलाकात के बाद ही जाति आधारित जनगणना की घोषणा हुई है मोहन भागवत ब्राह्मणी वर्णव्यवस्था के अनुसार ही समाज को संचालित करना चाहते हैं उन्हें पता है ओबीसी ही वर्णव्यवस्था के शूद्र हैं जिन्हें मनुस्मृति के नियमों के अनुसार शिक्षा, संपत्ति, शस्त्र ,सम्मान का अधिकार ही नहीं है तो वे जाति आधारित जनगणना कराकर ओबीसी को सारे अधिकार देने की परमीशन मोदी को कैसे दे सकते हैं हां बिहार चुनाव को देखते हुए जुमला उछालने की परमीशन भले मिल गई हो! 

भाजपा और पीएम मोदी की नीयत साफ होती तो  आधी से ज्यादा आबादी ओबीसी की है बजट से लेकर शासन प्रशासन, शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य व्यवस्था, न्यायपालिका, ईडी सीबीआई,  विदेश विभाग, कार्पोरेट जगत हर जगह आधे से ज्यादा हिस्सा ओबीसी को देने से किसने रोका है? 

भाजपा की केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के रवैये को देखकर ओबीसी एससी एसटी को पूरा विश्वास है कि भाजपा बहुजनों की हितैषी हो ही नहीं सकती, जाति आधारित जनगणना सिर्फ चुनावी जुमला है वह भी हिन्दू मुस्लिम न चल पाने की मजबूरी में इसलिए ओबीसी एससी एसटी अब संघ भाजपा के झांसे में आने को तैयार नहीं! 


*हर विषय पर बोलने वाले पीएम मोदी और मोहन भागवत बोधगया के 'महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन' पर ढाई महीने से चुप क्यों हैं?* 


*बिहार चुनाव के बाद जब ओबीसी 'जाति आधारित जनगणना' की मांग को लेकर आंदोलन करेंगे तब भी ये ऐसे ही चुप रहेंगे!*


*समस्या संघ- भाजपा की नीयत में है!*


*चन्द्रभान पाल (बी एस एस)*

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