महाराजा छत्रपति शाहूजी महाराज महाराजा कोल्हापुर का परिनिर्माण दिबस*06,मई,1922 पर नम्रता से श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए शत् शत् नमन करती है।
---------------------------------------------------------------
“शोषितों-पिछड़ो के सामाजिक,राजनैतिक भागेदारी प्रदान करने वालें,समग्र सामाजिक क्रांति के अग्रदूत,आरक्षण के जनक,बहुजन प्रतिपालक राजा महामानव,*“The Pillar Of Social Democracy.” छत्रपति शाहूजी महाराज 28 साल की उम्र में सन 1902 के मध्य में ,“ इंग्लैण्ड गए,उन्होंने वहीं से एक आदेश जारी कर कोल्हापुर रियासत के शासन- प्रशासन के 50 प्रतिशत पद शोषित,वंचित,पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित कर दिये थे।
--------------------------------------------------------------
*“मंडल कमीशन से लगभग 90 साल पहले ,“The Pillar Of Social Democracy.” छत्रपति शाहूजी महाराज ने पिछड़ों को आरक्षण दिया था।*“यह सामाजिक न्याय, सामाजिक क्रांति की दिशा में पहला बड़ा क़दम था। इस क्रान्तिकारी कानून के अंतर्गत बहुजन समाज के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था थी | जो देश में आरक्षण की यह पहली व्यवस्था थी, तब तक बहुजन समाज के लिए शिक्षा के दरवाजे बंद थे । उन्हें तिरस्कार की जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया जाता था।
------------------------------------------------------------------
💥जब जरूरत थी चमन की तो लहू हमने दिया,अब बहार आई तो कहते हैं,तेरा कोई काम नहीं?
☸राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज का कार्यकाल 1892 से-1922 तक रहा,महाराज का शासनकाल बहुजन समाज के उत्थान का स्वर्णिम काल रहा |
______________________________________
{ऐतिहासिक कार्य}-28 साल की उम्र में सन 1902 के मध्य में छत्रपति शाहू जी महाराज इंग्लैण्ड गए,उन्होंने वहीं से एक आदेश जारी कर कोल्हापुर रियासत के शासन-प्रशासन के 50 प्रतिशत पद पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित कर दिये |
*☸आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर ने छत्रपति शाहूजी महाराज को “The Pillar Of Social Democracy ईस्ट इंडिया ब्रिटिश सरकार के सामने ही सामाजिक न्याय और लोकतंत्र को मजबूत स्तम्भ कहकर समर्थन किया था।
____________________________________
*💥बाबासाहेब अम्बेडकर कहते थे,कि,“शाहूजी महाराज का जन्मदिवस त्योंहार की तरह मनाया जाएं।
ब्रिटिश भारत के 10 सर्वाधिक प्रभावशाली राज्यों मे से एक कोल्हापुर के शासक थे,राजऋषि छत्रपति शाहूजी महाराज के शासनकाल मे लिये गये।जन कल्याणकारी फैंसलों की गूंज लंदन तक सुनाई पड़ती थी। लोक कल्याणकारी, जन उपयोगी नीतियों से प्रभावित होकर कैंब्रिज यूनीवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर ऑफ लाॅ ('LLD) की उपाधि से सम्मानित किया गया | ऐसे महामानव,युगपुरूष बहुजन महानायक को लेबर पार्टी आफ इंडिया शत् शत् नमन करती है, और श्रद्धासुमन अर्पित करती है।
____________________________________
*☸इतिहासकार कहते हैं,कि भारत की धरती पर तथागत गौतम बुद्ध के बाद राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज ही थे जिन्होंने जातिवाद,भेदभाव को बड़े साहसिक व तर्कपूर्ण ढंग से चुनौती दी | छत्रपति शाहूजी महाराज ने भारत की धरती प एक सामाजिक तथा सांस्कृतिक महायुद्ध की शुरुआत की थी | शाहूजी महाराज जी ने 8,मई,1918 को कोल्हापुर राज्य में प्रथम रेलवे लाइन का शुभारंभ किया | बाबासाहेब अम्बेडकर से उनके भावनात्मक सम्बन्ध थे,वे बाबा साहब के सबसे बड़े हितैषी और सहयोगी थे, उन्होंने बाबा साहब अम्बेडकर को पिछड़ों के लिए उनका अपना हितैषी नेता घोषित किया था।
____________________________________
💥साथियों छत्रपति शाहूजी महाराज जी आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके विचार आज भी जिंदा है ,उनको मानने और जानने वालों की तादाद बहुत तेजी से बढ़ रही है | मानवता के प्रचारक छत्रपती शाहूजी महाराज एक ऐसे मातृह्रदयी राजा थे,जिन्होंने जातिवादी व्यवस्था से पीड़ित शोषित,वंचित पिछड़े समाज को अपनी संतान के रूप में स्वीकार कर लिया था उन्होंने पिछड़े समाज के दुःख-दर्द तथा जरूरतों को समझते हुए निवारण करने का बीड़ा उठाया | बाबासाहेब अम्बेडकर से छत्रपति शाहूजी महाराज के भावनात्मक सम्बन्ध थे, वे बाबा साहब के सबसे बड़े हितैषी और सहयोगी थे, उन्होंने बाबा साहब अम्बेडकर को पिछड़ों का हितैषी नेता घोषित किया था |
*☸साथियों समग्र सामाजिक क्रांति के अग्रदूत आरक्षण के जनक,बहुजन प्रतिपालक,कुर्मी सचान,पटेल,कटियार,बहुजन समाज के गौरव मशीहा राजा छत्रपति शाहूजी महाराज जी आज से 116 साल पहले भारत की आरक्षण व्यवस्था के जनक छत्रपति शाहू जी महाराज ने 26,जुलाई,1902 को कोल्हापुर स्टेट की सरकारी नौकरियों में शूद्र- अतिशूद्र जातियों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की अधिसूचना जारी की |* बहुजन नायक छत्रपति शाहूजी महाराज का मानना था कि आरक्षण केवल नौकरी का मामला नहीं है बल्कि आरक्षण प्रतिनिधित्व का मामला है, यही वजह है कि छत्रपति शाहूजी महाराज अनुपातिक प्रतिनिधित्व की वकालत किया करते थे | बहुजन हितैषी छत्रपति साहू महाराज ने कोल्हापुर रियायत की नगरपालिका के चुनाव में अछूतों के लिए भी सीटें आरक्षित की थी।यह पहला मौका था की राज्य नगरपालिका का अध्यक्ष शोषित वंचित जाति से चुन कर आया था |
____________________________________
*💥बहुजन समाज पार्टी की राष्टीय अध्यक्ष,उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती जी ने अपने शासनकाल में छत्रपति शाहूजी महाराज के नाम पर उत्तर प्रदेश में जिला और यूनिवर्सिटी कानपुर का नाम छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय रखा ,लखनऊ और ग्रेटर नोयडा के स्मारकों मे छत्रपति शाहू जी महाराज की आदमकद मूर्तियां लगवाई |*
*☸छत्रपति शाहू जी महाराज का कहना था -
"कल न मै होंऊगा, न आप होंगे, न राजा होंगे, न रजवाड़े होंगे। मगर यह राष्ट्र हमेशा रहेगा और हमे इसको आगे बढ़ाने का काम करते रहना है। समाज मे सबको सम्मान मिले, सभी शिक्षित होकर राष्ट्र के उत्थान मे भागीदार बनें।
______________________________________
☸साथियों मानवता के प्रचारक,समाज सुधारक और आरक्षण के जनक छत्रपति साहू महाराज का जन्म 26,जून 1874 को हुआ था लेकिन उनका जन्मदिन 26,जुलाई को भी मनाया जाता है।*इसके पीछे कारण है कि छत्रपति शाहूजी महाराज ने 26,जुलाई,1902 को शोषित, वंचितों,पिछड़ो को प्रतिनिधित्व(आरक्षण) की व्यवस्था की थी। यह वह दौर था जब भारत में अस्पृश्यता चरम पर थी | शोषितो,वंचितो को सत्ता में भागीदारी की बात तो छोड़ ही दीजिए। उनका रास्ते से निकलना भी दूभर था।ऐसे समय में छत्रपति साहू महाराज का जन्म हुआ। आरक्षण के जनक छत्रपति शाहूजी महाराज ऐसी शख्सियत थे,जिन्होंने राजा होते हुए भी वंचित और शोषित समाज के कष्ट को समझा और सदा उनसे नजदीक बनाई रखी,*उन्होंने वंचित वर्ग के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की थी गरीब छात्रों के छात्रावास स्थापित किये और बाहरी छात्रों को शरण प्रदान करने के आदेश दिए | शाहूजी महाराज के शासन के दौरान बाल विवाह पर प्रतिबंधित लगाया गया। उन्होंने अंतरजातीय विवाह और विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में समर्थन की आवाज उठाई थी।*
_____________________________________
☸आरक्षण के प्रथम जनक छत्रपति शाहूजी महाराज के द्वारा शोषित समाज के लिए किए गये कुछ उल्लेखनीय कार्य इस प्रकार से हैं |
*1- 1901 में कोल्हापुर स्टेट की जनगणना कराकर अछूतों की दयनीय दशा को सार्वजनिक कराया |*
2- मंत्री पद एवं नौकरियों में पिछड़ा वर्ग की भागीदारी न के बराबर थी, जिसे आरक्षण कानून के माध्यम से 50% कराया और सख्ताई से लागू करवाया |
*3- नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान | अस्पृश्यता निवारण कानून एवं व्यवहारिक कार्य। घोषित अपराधिक जातियों की प्रतिदिन पुलिस थानों में हाजिरी देने की प्रथा को बंद कराया |*
4- 1920 में बंधुआ मजदूरी की समाप्ति का कानून |
5- 1900-1905 तक वेदोक्त प्रकरण में धार्मिक क्षेत्र में धर्म के ठेकेदारों की वर्चस्वता को चुनौती दी।
______________________________________
☸साथियों हमारे मशीहा परमपूज्य बोधिसत्व,विश्वरत्न बाबासाहेब अम्बेडकर बड़ौदा नरेश की छात्रवृति पर पढ़ने के लिए विदेश गए लेकिन छात्रवृत्ति बीच में ही खत्म हो जाने के कारण उन्हे वापस भारत आना पड़ा | इसकी जानकारी जब छत्रपति शाहू जी महाराज को हुई तो महाराज खुद बाबा साहेब अम्बेडकर का पता लगाकर मुम्बई में उनसे मिलने पहुंच गए और आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्हें सहयोग दिया।
*शाहूजी महाराज के राज्य में कोल्हापुर के अन्दर ही दलित-पिछड़ी जातियों के दर्जनों समाचार पत्र और पत्रिकाएँ प्रकाशित होती थीं।
सदियों से जिन लोगों को अपनी बात कहने का हक नहीं था,महाराजा के शासन-प्रशासन ने उन्हें बोलने की स्वतंत्रता प्रदान कर दी।
☸सामाजिक परिवर्तन के कार्य को गतिमान करने के लिए छत्रपति शाहूजी महाराज ने मूकनायक पाक्षिक पत्रिका के लिए आर्थिक योगदान किया था।
______________________________________
*☸आरक्षण के जनक शोषित पिछड़ों-के मुक्तिदाता कुर्मी समाज के स्वाभिमान छत्रपति शाहू जी महाराज जी ने 21-22 मार्च,1920 को कोल्हापुर रियासत के मनमाड में अस्पृश्यों का विशाल सम्मेलन कराया सम्मेलन की अध्यक्षता बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने की |*
*☸जिसमें छत्रपति शाहूजी महाराज जी ने कहा “मेरा विश्वास है कि डॉ. अंबेडकर के रूप में आपको अपना मुक्तिदाता मिल गया है वह आपकी बेड़ियाँ (दासता की) अवश्य ही तोड़ डालेंगे |* यही नहीं, मेरा मन कहता है कि एक समय आएगा जब डॉ. अंबेडकर अखिल भारतीय प्रसिद्धि और प्रभाव वाले एक अग्रणी स्तर के नेता के रूप में चमकेंगे।” | *बाबासाहेब अम्बेडकर ने फरवरी 1921 में लंदन से एक पत्र शाहू जी महाराज के लिए लिखा था कि मुझे व्यक्तिगत ऐश्वर्य की कोई कामना नहीं है,मैं चाहता हूं कि मैं आपके संरक्षण में और अधिक जनसेवा योग्य बन सकूं,परंतु कुछ समय के बाद शाहू जी महाराज की मृत्यु हो गई और मृत्यु की खबर सुनते ही शोक विह्वल होकर डॉ भीमराव अम्बेडकर ने लंदन से ही शाहू महाराज की मृत्यु पर शोक संवेदना में लिखा था कि मेरा एक महान उपकारी संरक्षक एवं शोषितों वंचितों, पिछड़ों का मशीहा चला गया है।
____________________________________
*☸छत्रपति शाहूजी महाराज जी ने 15,जनवरी,1919 के अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा था कि- "उनके राज्य के किसी भी कार्यालय और गाँव पंचायतों में भी अछूत-पिछड़ी जातियों के साथ समानता का बर्ताव हो, यह सुनिश्चित किया जाये |* उनका स्पष्ट कहना था कि- "छुआछूत को बर्दास्त नहीं किया जायेगा। उच्च जातियों को दलित जाति के लोगों के साथ मानवीय व्यवहार करना ही चाहिए। जब तक आदमी को आदमी नहीं समझा जायेगा, समाज का चौतरफा विकास असम्भव है।*15,अप्रैल,1920 को नासिक में 'उदोजी विद्यार्थी' छात्रावास की नीव का पत्थर रखते हुए साहू महाराज ने कहा था कि- "जातिवाद का अंत ज़रूरी है |* जाति को समर्थन देना अपराध है। हमारे समाज की उन्नति में सबसे बड़ी बाधा जाति है। जाति आधारित संगठनों के निहित स्वार्थ होते हैं।निश्चित रूप से ऐसे संगठनों को अपनी शक्ति का उपयोग जातियों को मजबूत करने के बजाय इनके खात्मे में करना चाहिए।*उनका स्पष्ट कहना था कि- "छुआछूत को बर्दास्त नहीं किया जायेगा | उच्च जातियों को दलित जाति के लोगों के साथ मानवीय व्यवहार करना ही चाहिए | जब तक आदमी को आदमी नहीं समझा जायेगा, समाज का चौतरफा विकास असम्भव है,छत्रपति शाहूजी महाराज हमेशा समानता की बात करतें थे।
_____________________________________
☸ऐसे महामानव युगपुरुष छत्रपति शाहूजी महाराज जी के बारे में जितना भी लिखा जाए अथवा महसूस किया जाए उतना ही कम है। छत्रपति शाहूजी महाराज ऐसे योद्धा, महामानव का नाम है, जिन्होंने शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद की उपेक्षितों को उनका हक दिलाने के लिए जीवन समर्पित कर दिया।जातिगत भेदभाव पांखडवाद को बढाने वालों के खिलाफ वास्तविक और ठोस लड़ाई छेड़ने वालों में छत्रपति शाहूजी महाराज का उल्लेखनीय नाम है | शोषित समाज को जागृत करने में छत्रपति शाहूजी महाराज के योगदान हमेशा सम्मान के साथ याद किया जाएगा।
_____________________________________
*💥ऐसे महापुरुष महामानव के चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं | छत्रपति शाहूजी महाराज जी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था |* आधुनिक भारत के लिए महत्त्वपुर्ण योगदान और देश इंसानों के जीवन में अद्वितीय बदलाव लाने वाले महान शख्सियत परम पूज्य बहुजन नायक छत्रपति शाहूजी महाराज जी के चरणों में मैं कोटि-कोटि नमन करता हूं | भारत वर्ष में बहुजन समाज को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने वाले बहुत से संतो,गुरूओं,और महापुरूषों ने बहुजन समाज को हक दिलाने के लिए आजीवन संघर्ष किया है | *जिनमें से एक महामानव सामाजिक क्रांतिकारी छत्रपति शाहूजी महाराज जी भी है। सदियों से जिन लोगों को अपनी बात कहने का हक नहीं था, हजारों सालों से दबाया गया उन लोगों को छत्रपति शाहूजी महाराज के शासन-प्रशासन ने उन्हें बोलने और काम करने की स्वतंत्रता संबिधान ने प्रदान कर दी है।
शोषित समाज को जागृत करने में उनके योगदान को हमेशा सम्मान के साथ याद किया जाएगा,ऐसे महापुरुष महामानव के चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं।
----------------------------------------------------------------
साथियों आज हमें अगर कहीं भी खड़े होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने की आजादी है,समानता का अधिकार है,तो यह सिर्फ और सिर्फ परमपूज्य बाबासाहेब आंबेडकर जी के संघर्षों से मुमकिन हो सका है.भारत वर्ष का जनमानस सदैव बाबा साहेब डा भीमराव अंबेडकर जी का कृतज्ञ रहेगा.इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात खत्म करता हूं। सामाजिक न्याय के पुरोधा तेजस्वी क्रांन्तिकारी शख्शियत परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी को कोटि-कोटि नमन!
जिसने देश को दी नई दिशा””…जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर जी का संविधान!
अक्सर सच कड़वा लगता है। इसी लिए सच बोलने वाले भी अप्रिय लगते हैं। सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है, पर सच बोलने का सबसे बड़ा लाभ यही है, कि वह खुद पहचान कराता है और घोर अंधेरे में भी चमकते तारे की तरह दमका देता है। सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसके तेज के सामने झुकना ही पड़ता है ! इतिहास के पन्नों पर जमी धूल के नीचे ऐसे ही बहुजन महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास दबा है।
बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय ज्ञान,पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो।
साथियों एक बात याद रखना आज करोड़ों लोग जो बाबासाहेब जी,माँ रमाई के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है जो उन्हें ताकत,पैसा,इज्जत,मान-सम्मान मिला है वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है बाबासाहेब जी के संघर्षों की बदौलत है।
साथियों आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रहीं,बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर लचकने का था।तमन्ना सच्ची है,तो रास्ते मिल जाते हैं,तमन्ना झूठी है,तो बहाने मिल जाते हैं,जिसकी जरूरत है रास्ते उसी को खोजने होंगें निर्धनों का धन उनका अपना संगठन है,ये मेरे बहुजन समाज के लोगों अपने संगठन अपने झंडे को मजबूत करों शिक्षित हो संगठित हो,संघर्ष करो !
साथियों झुको नही,बिको नहीं,रुको नही,तुम हुकमरान बन सकते हो,फैसला करो हुकमरान बनो"*
सम्मानित साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए,मार्ग का अनुसरण करना चाहिए !
सभी अम्बेडकरवादी भाईयों, बहनो,को नमो बुद्धाय सप्रेम जयभीम! सप्रेम जयभीम !!
बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है,शक्ति से शासक बनता है !”
लेबर पार्टी आफ इंडिया इतिहास के उन पन्नों से रूबरू कराने की कोशिश कर रही है। जिन पन्नों से बहुजन समाज का सम्बन्ध है जो पन्ने गुमनामी के अंधेरों में खो गए और उन पन्नों पर धूल जम गई है, उन पन्नों से धूल हटाने की कोशिश कर रहा हूं इस मुहिम में आप लोगों मेरा साथ दे, सकते हैं !
बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है ।
इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना यह रही है,कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं,जिनका योगदान कहीं उनका नाम दर्ज नहीं किया गया है। जिनका योगदान नहीं था, उन्हें नायक बनाया गया है। यह महत्वपूर्ण बिषय समझना चाहिए।जो इतिहास है, उसमें बहुत मिलाबत इतिहास के पन्नों में है, जो हीरो थे,बह आजादी के बाद गुम हो गए हैं,शोषित वर्ग को समझने की जरूरत है। जागरूक बनो पुनः इतिहास रचो।
रुमसिहं राष्ट्रीय अध्यक्ष लेबर पार्टी आफ इंडिया