शिक्षा इंसान को ताकतवर बनाती है,वहीं धर्म इंसान को डरपोक कमजोर बनता, पर चिंतन!
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इंसान दोनों का परिस्थितियों का जनक है,विचारों की उत्पत्ति से विचारधारा मजबूत होती है।जिसे समझना बहुत जरूरी है।
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कोराना बायरस दैवीय आपदा,मानबनिर्मित त्रासदी नहीं है। दुनिया के दुष्ट शासन शासकों को समर्थन से उपजी त्रासदी है। इसलिए दुनिया के हर देश में अलग अलग तरीके कोरोना बैरियंट देखने को मिला। गरीब मजदूर किसान के हितों के साथ खिलवाड़ के कारण शारीरिक,आर्थिक दंड के रूप में मैं कोरोना वायरस को देखता हूं।
आज भी भारत के पूंजीवादी लोग भारत के लोगो को मानवनिर्मित चायना बैज्ञानिकों की देन बताकर शासन सत्ता में बैठे लोग अपनी कमी को छिपाने में लगे हुए हैं। कोरोनावायरस मानवनिर्मित है। लोगों ने जो दुनिया बनाई है,उसके भंवर जाल में लोगों को फंसाये रखने का षड्यंत्र कर रहे हैं।जबकि मानवनिर्मित कोरोनावायरस अपना रुप नहीं बदल सकता। इसलिए यह प्रकृति निर्मित है। कोरोनावायरस के संबंध में यह लोगों को समझने की जरूरत है।
आदिशक्ति की शक्तियों से लोग लाभ भी लेते है, फिर समझना नहीं चाहिते, धर्म का कुचक्र लोगों का बनाया जाल है, जिसमें भाजपा और मोदी सरकार, मीडिया,धार्मिक गुरु आज लोगों को पसारे रखने के के जाल का मजबूती से समर्थन करते दिख रहें हैं। धार्मिक व्यवस्था को इस कोरोना वायरस ने ध्वस्त कर दिया है। इसका उदाहरण मोदी जी प्रधानमंत्री रहते हुए इस मानवनिर्मित धार्मिक व्यवस्था के भगवानों का समर्थन करते हुए भक्ति का ढोंग रचा। यह समझे।
मोदी जी प्रधानमंत्री होते अनेक मंदिरों में पूजा, यज्ञ कराते,तथा शिब भक्ति के लिए शिव गुफा जाकर तपस्या की थी,संन्यासी की छबि दिखाई दे, इसके लिए दाडी बढ़ा ली है, फिर भी भगवान से लोगों की की मदद नहीं करा सका,देश की सभी सरकारी उपक्रमों को उद्योगपतियों को धीरे धीरे बेचा चुका है,बचे हुए भविष्य में बेच दिए जायेंगे। भारत की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है।यह भारत के लिए चिंता करने की जरूरत है। जिससे लोगों का जीवन चलता है।
प्रधानमंत्री मोदी जी दुनिया के देशों के चारों तरफ घूमते रहे,और दुनिया के चक्कर काटते रहे,फिर भी भारत का दूसरे देशों में निर्यात को नहीं बढ़ा सकें, इसका मूल कारण कुछ चंद उधोगपतियों को लाभ देने के कारण दूसरे उधोगपतियों के उधोग चौपट हो गये,जिसके कारण हमारा निर्यात चौपट हो गया,आज भारत आयातक देश बनकर रह गया है,निर्यातक नहीं रहा है। इसलिए महंगाई, बेरोजगारी बढ़ रही है। क्योंकि उत्पादक चैन कमजोर होने से रोजगार घट रहें हैं। जिसके कारण उपभोक्ताओं की कमी हो रही है। जिसके लिए हमें चिंता करने की जरूरत है।
भारत कोरोना बायरस के प्रकोप से लोगों को नहीं बचा सका, क्योंकि हमारे पास संसाधन नहीं है, आज भारत में चारो तरफ मौतों का तांडव चल रहा है। जिसके बचाव के लिए भाजपा सरकारों ने कोई कारगर कदम नहीं उठाए,हम यही समझते रहे कि पिछली साल की तरह थाली,ताली, मोमबत्ती, से काम चल जाएगा, इसलिए हमारी सरकारें लोगों के प्रति संबेदनशील नहीं है। जिसके कारण भारत में चारों तरफ मौतों का कोहराम मचा हुआ है। भाजपा सरकारें अपने दोषों को छिपाने के लिए हमेशा दूसरे लोगों को दोषी ठहराते रहीं हैं। जबकि एक पंचवर्षीय योजना सरकार पूरी चल चुकी है, दूसरी पंचवर्षीय योजना चल रही है। कब तक दूसरों को दोषी ठहरायेगें। जबकि अब पूरा दोष भाजपा का ही है। यह लोगों को जानने की जरूरत है।
आज तक मोदी सरकार भारतीयों के आंदोलन को कुचलने का प्रयास करती रही है। भारत के लोगों के राष्ट्रीय मुद्दों पर संबेदनशीलता दिखाने की जगह, लोगों को बदनाम करने की साजिश करती रही है।इस साजिश में भाजपा के लोग,मोदी सरकार,मीडिया आदि सभी लोगों को को बुरा मानाते हुए कुचक्र करती है। जो आज भी कोरोना महामारी में भी करती दिख रही है।
किसान आंदोलन को बदनाम करने की कुचक्र चालें आज भी चली जा रही है। इसलिए किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की साज़िश के तहत एक टूल किट पैदा हुई, लोगों की राष्ट्रीय भावना भड़काने की कोशिश की गई, आंदोलनकारियों को परिजीबी कहा गया। रही है। सीएए आंदोलन के खिलाफ को पाकिस्तानी, खालिस्तानी षड्यंत्र का हिस्सा बनाने की साज़िश का खेल खेला,यह आंदोलन भी बलपूर्वक,कुचक्र चलकर बदनाम किया गया,यह लोगों को समझने की जरूरत है।
लेबर पार्टी आफ इंडिया भारत के लोगों को भाजपाईयों के कुचक्रों से साबधान करती रहती है। जिसके कारण लोग भाजपा के चंगुल से आजाद हो सकते हैं। एक स्वतंत्र सोच को भी बिकसित कर सकते हैं। यह भारत के लोगों को समझाने की जरूरत है।
भारत में धार्मिक व्यवस्था,के जाल में फंसे लोग लोकतंत्र के सच को समझने की जगह हिंदू धर्म को अधिक महत्व देते हैं। धर्म के अंधे लोग यह नहीं समझते कि धर्म पूजा पाठ के लिए लिए होता है, शासन सत्ता चलाने के लिए नहीं होता है, धार्मिक व्यवस्था से लोगों को शुकून मिल सकता है, लेकिन लोगों के जीवन में आर्थिक विकास नहीं कर सकता, लोकतंत्र लोगों के जीवन को खुशहाल, इंसानों की सुरक्षा, इंसानियत,शिक्षा, रोजगार के अवसर लगातार घट रहें हैं। जिसे समझाने का प्रयास लेबर पार्टी आंफ इंडिया करतीं रहतीं हैं। जिसे भारत के लोगों को समझने की जरूरत है।
भाजपा मोदी सरकार काम न करके लोगों को हिंदुत्व,हिन्दू धर्म में उलझाए रखना इसकी नीति का हिस्सा है। भारत में जब कोई आंदोलन हुआ,तब कोई टूल किट पैदा हुई है,ऐसे ही इस कोरोना वायरस की महामारी में भी टूलकिट पैदा हो गयी है। जो लोगों के ध्यान भटकाने के लिए पैदा हुआ है। यह असली चेहरा भाजपा का है। भाजपा को असली चिंता लोगों की जान बचाने की नहीं है,जबकि सारे देश में मौतों का तांडव चल रहा है,यह अधिक चिंता का विषय है।
भारत के प्रधानमंत्री की छबि की चिंता भाजपा को अधिक है,जिसकी छबि ही नहीं है,जिसकी छबि ही लोगों को गुमराह करने की है। हम भारतीय लोगों को इंसानियत को ध्यान में रखकर इंसानों की बेहतरी के लिए सोचकर देखें, जिसकी छबि ही बनाबटी है,तो खराब कहां से हो रही है, जिसकी भाषा फितरती हो,बह बनावटी छबि और असली छबि में अंतर होता है। भाजपा मोदी की कौन सी छबि बचा रहे है। यह समझने की कोशिश करना चाहिए। समझो जागो, और संगठित होने के लिए बिचारधारा समझो, और समझाओ।
रुमसिहं राष्ट्रीय अध्यक्ष लेबर पार्टी आफ इंडिया