कभी संविधान ने हमें दिशा दी थी, आज उसी दिशा पर धुंध छाई है।

 


कभी संविधान ने हमें दिशा दी थी, आज उसी दिशा पर धुंध छाई है।

मील के पत्थर तो लगे हैं रास्ते में, पर मुसाफिरों की नज़र मंज़िल पर नहीं—अपने-अपने स्वार्थ पर है।


संविधान सिर्फ किताबों में नहीं, ज़मीन पर उतरने की मांग करता है—और यही आवाज़ इस रचना के हर शब्द में सुनाई देती है।

Featured Post

गंगोह कुरैशियान स्थित तालाब निर्माण कार्य एवम अवैध कब्जे करने के एक बार फिर लगे गम्भीर आरोप.

  👉👉गंगोह कुरैशियान स्थित तालाब निर्माण कार्य एवम अवैध कब्जे करने के एक बार फिर लगे गम्भीर आरोप...      ✔️सहारनपुर :गंगोह के कुरैशियान स्थ...