आखिर में सभी को बाबा साहेब और संविधान के समक्ष नतमस्तक होना ही होगा।🙏💯🙏
*🔥ग्रोक सै सवाल और जवाब 🔥*
*GROK ji , पूरे विश्व में अच्छे लोग सामाजिक शासन प्रशासन चलाएं, इसके लिए राजशाही व्यवस्था हटाकर लोकशाही शासन व्यवस्था लाई गई । UNO चार्टर लागू हुआ। लेकिन देखने में आ रहा है कि ज्यादातर भारत में गलत लोग ही लोकतांत्रिक व्यवस्था चला रहे हैं । कारणों को जानने की जिज्ञासा आप से हो रही है। धन्यवाद*।
*जवाब*--
आपका सवाल बहुत विचारशील है। यह सच है कि पूरे विश्व में अच्छे लोगों द्वारा शासन चलाने की उम्मीद से राजशाही को हटाकर लोकतांत्रिक व्यवस्था लाई गई। संयुक्त राष्ट्र (UNO) चार्टर जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौते भी इसी दिशा में एक कदम थे। लेकिन, जैसा कि आपने कहा, भारत में अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि गलत लोग ही लोकतांत्रिक व्यवस्था को चला रहे हैं। इसके पीछे के कारणों को समझने की आपकी जिज्ञासा जायज़ है। चलिए, इसे विस्तार से और सीधे-सीधे समझते हैं।
*लोकतंत्र में गलत लोगों के सत्ता में आने के कारण*
*जाति, धर्म और क्षेत्रवाद का खेल*
भारत में लोकतंत्र का आधार चुनाव हैं, और चुनाव जीतने के लिए वोट चाहिए। यहाँ नेता अक्सर जाति, धर्म और क्षेत्रीय भावनाओं का इस्तेमाल करते हैं। वे जनता को बाँटते हैं और अपने फायदे के लिए इन भावनाओं को भड़काते हैं। सही और ईमानदार लोग इस तरह की गंदी राजनीति से दूर रहते हैं, जिससे गलत लोगों के लिए रास्ता खुल जाता है।
*पैसे और ताकत का दबदबा*
चुनाव लड़ना आजकल बहुत महंगा हो गया है। प्रचार, रैलियाँ, और वोटरों को लुभाने के लिए करोड़ों रुपये चाहिए। जो ईमानदार हैं, उनके पास इतना पैसा नहीं होता। दूसरी ओर, भ्रष्ट लोग, जिनके पास काला धन या गलत तरीकों से कमाया पैसा है, वे आसानी से चुनाव लड़ते और जीतते हैं। सत्ता में आने के बाद वे और भ्रष्टाचार करते हैं, और यह चक्र चलता रहता है।
*जनता में जागरूकता की कमी*
लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत जनता है, लेकिन भारत में बहुत से वोटरों को यह पता ही नहीं होता कि वे किसे वोट दे रहे हैं और क्यों। शिक्षा का स्तर कम होने और पक्षपातपूर्ण मीडिया के प्रभाव से लोग वादों और झूठे सपनों में बह जाते हैं। असली मुद्दों पर ध्यान नहीं जाता, और गलत लोग इसका फायदा उठाते हैं।
*संस्थाओं की कमजोरी*
लोकतंत्र में चुनाव आयोग, न्यायपालिका और पुलिस जैसी संस्थाओं का मजबूत होना ज़रूरी है। लेकिन भारत में ये संस्थाएँ अक्सर राजनीतिक दबाव में आ जाती हैं। अगर ये स्वतंत्र और प्रभावी होतीं, तो गलत लोगों को सत्ता में आने से रोका जा सकता था। पर कमजोर संस्थाएँ उनकी राह आसान बना देती हैं।
*जवाबदेही का अभाव*
लोकतंत्र का मतलब सिर्फ चुनाव जीतना नहीं है। इसमें जवाबदेही, पारदर्शिता और कानून का शासन भी शामिल है। लेकिन भारत में कई नेता चुनाव जीतने के बाद जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी भूल जाते हैं। कोई उन्हें रोकने या सवाल करने वाला नहीं होता, जिससे गलत लोग सत्ता में बने रहते हैं।
*कानून का कमजोर होना*
भारत में संविधान और कानून तो हैं, लेकिन उनका सख्ती से पालन नहीं होता। आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोग भी चुनाव लड़ते और जीतते हैं। कानून और व्यवस्था की यह कमजोरी गलत लोगों को सत्ता में आने और टिके रहने में मदद करती है।
*UNO चार्टर और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव*
आपने UNO चार्टर का ज़िक्र किया। यह सच है कि यह एक वैश्विक ढांचा है जो लोकतंत्र और मानवाधिकारों को बढ़ावा देता है। लेकिन इसका पालन करना हर देश की अपनी ज़िम्मेदारी है। भारत जैसे देश में, जहाँ आंतरिक चुनौतियाँ इतनी जटिल हैं, UNO चार्टर का प्रभाव सीमित रह जाता है। असली बदलाव यहाँ के लोगों और व्यवस्था से ही आना होगा।
*क्या है समाधान?*
*इस समस्या से निपटने के लिए कुछ कदम ज़रूरी हैं:*
*जनता को जागरूक करना*: शिक्षा और सही जानकारी के ज़रिए लोगों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सचेत करना होगा।
*चुनावी सुधार*:
पैसे के दुरुपयोग को रोकना, आपराधिक रिकॉर्ड वालों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करना, और पारदर्शिता लाना ज़रूरी है।
*संस्थाओं को मजबूत करना:*
चुनाव आयोग, न्यायपालिका और कानून व्यवस्था को स्वतंत्र और प्रभावी बनाना होगा।
*सही लोगों को प्रोत्साहन:*
ईमानदार और योग्य लोगों को राजनीति में आने के लिए प्रेरित करना होगा।
*अंतिम विचार*
लोकतंत्र एक बेहतरीन व्यवस्था है, लेकिन यह तभी काम करती है जब जनता अपनी ताकत को समझे। भारत में गलत लोग सत्ता में इसलिए आ रहे हैं क्योंकि व्यवस्था और समाज में कुछ खामियाँ हैं। इन्हें दूर करने के लिए निरंतर प्रयास की ज़रूरत है। जैसा कि कहते हैं—लोकतंत्र में जनता ही राजा है, लेकिन राजा को अपनी ताकत का एहसास होना चाहिए, वरना गलत लोग ही राज करते रहेंगे।आपके सवाल का सम्मान करते हुए मैंने इसे पूरी गंभीरता से समझाने की कोशिश की है। धन्यवाद कि आपने यह विचारणीय प्रश्न उठाया!
*धन्यवाद!*
*गूगल @ *शूद्र शिवशंकर सिंह यादव*