भारत स्थायी गुलामों का साम्राज्य है। जब तक इस देश में साम्राज्यवादी ब्राह्मणवाद का राज रहेगा, तब तक हमारे लोग इस ब्राह्मणवादी गुलामी से मुक्त नहीं हो सकेंगे।

 



*भारत स्थायी गुलामों का साम्राज्य है। जब तक इस देश में साम्राज्यवादी ब्राह्मणवाद का राज रहेगा, तब तक हमारे लोग इस ब्राह्मणवादी गुलामी से मुक्त नहीं हो सकेंगे।* 


- सरदार जीवन सिंह (राष्ट्रीय अध्यक्ष, बहुजन द्रविड़ पार्टी)


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_प्रिय बहुजन द्रविड़ भाइयों और बहनों,_


दिनांक 4 मई, 2025 (रविवार) को मध्य प्रदेश में उज्जैन जिले के तराना विधानसभा क्षेत्र में बहुजन द्रविड़ पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।


इस बैठक में बहुजन द्रविड़ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार जीवन सिंह जी को मुख्य अतिथि और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट अशोक सिंह जी को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता माननीय रामप्रसाद बाड़वाल जी ने की। प्रदेश उपाध्यक्ष माननीय लाल सिंह सोलंकी, प्रदेश प्रवक्ता माननीय किशन सूर्यवंशी एवं अन्य पार्टी पदाधिकारियों सहित बैठक में कई और महत्वपूर्ण लोग उपस्थित हुए।


_बहुजन द्रविड़ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार जीवन सिंह जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा,_


आज यहां आपसे मिलकर मुझे बहुत ख़ुशी और सम्मान की अनुभूति हो रही है। आज का दिन आपके और मेरे लिए बहुत ऐतिहासिक दिन है।


भाइयों, हमारे साथियों ने पहले यह कार्यक्रम हालुखेड़ी में आयोजित करने की योजना बनाई थी, लेकिन भाजपा शासकों और स्थानीय प्रशासन को बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर की जयंती का यह कार्यक्रम बर्दास्त नहीं हुआ इसलिए उन्होंने हालुखेड़ी गांव में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति ही नहीं दी। लेकिन उन्हें मालूम होना चाहिए कि हम मान्यवर कांशीराम साहब के शिष्य हैं और मान्यवर कांशीराम साहब के शिष्य कभी पीछे नहीं हटते। इसलिए हमारे युवा साथी किशन सूर्यवंशी जी ने तुरंत यहां इटावा गांव में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना ली। 


मैं पेरियार की धरती तमिलनाडु से आपके यहां आया हूँ और मनुवादी शासन-प्रशासन के अनेक षड्यंत्रों के बावजूद भी आज मध्य प्रदेश में इस कार्यक्रम को संबोधित कर रहा हूँ। इसलिए हमारे वैचारिक दोस्तों के लिए यह एक बड़ा संदेश और भाजपा, कांग्रेस जैसी मनुवादी पार्टियों के मुँह में कड़ा तमाचा भी है। 


हमारे अंदर यह जो हौसला है वह पेरियार का हौसला है। इसलिए आपको भी थांथाई पेरियार और मान्यवर कांशीराम से कुछ सबक सीखना चाहिए। क्योंकि भाजपा, आरएसएस और कांग्रेस के लिए हमारे यह दो महापुरुष सबसे ज्यादा ख़तरनाक प्रतीक हैं। 


उन्होंने आगे कहा कि, मैं पूरे देश में घूमता हूँ, लेकिन जब मैं तथाकथित अम्बेडकरवादियों को देखता हूँ तो पता चलता है कि उन्होंने आज अपनी विश्वसनीयता, मूल्य, धार्मिकता और आत्मविश्वास खो दी है। जय भीम बोलने वाले ज्यादातर लोग आज या तो मनुवादी पार्टियों के पिछलग्गु बने हुए हैं या उनके गुंडों के रूप में काम कर रहे हैं। तथाकचित दलितों के लिए यह बहुत ख़तरनाक स्थिति है।


मैं आज जहां भी जाता हूँ तो लोग जय भीम, जय भीम, जय जय भीम करते नजर आते हैं, लेकिन जब मैं उनका चरित्र देखता हूँ तो मुझे इन जय भीम बोलने वालों से कुछ भी सीखने की प्रेरणा नहीं मिलती। मैं इन लोगों से आज तक एक भी सकारात्मक सबक नहीं सीख पाया। 


उन्होंने आगे कहा कि, यह लोग हाथ में तम्बाकू रगड़ते हुए जय जय भीम करते रहते हैं। बीड़ी-सिगरेट फूँकते हुए जय भीम करते रहते हैं। यहां तक की शराब की दुकान में शराब की बोतल खरीदते वक्त भी यह जय भीम करते रहते हैं। हमारे लोग कौन सा आचार और कौन सी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं? इसलिए अब आप लोग ही मुझे बताइए कि मैं आपसे क्या शिक्षा ग्रहण करूँ? मैं आपसे कुछ सीखना चाहता हूँ, इसीलिए तीन हजार किलोमीटर दूर से चलकर यहां आपके पास आया हूँ। 


उन्होंने आगे कहा कि, आज भी हमारे लोग गुलामों का जीवन क्यों जी रहे हैं? वह आजतक जानवरों से बदतर जीवन क्यों जी रहे हैं? इसका कारण ब्राह्मण नहीं, बल्कि हमारे अपने लोग ही हैं।


हमारे लोग अपने गांवों और घरों में बाबासाहेब की मूर्ति और फोटो लगाकर ही संतुष्ट हो जाते हैं। जबकि मैंने इस गांव में कोई डॉक्टर, इंजीनियर, पायलेट, अच्छा अधिवक्ता और न्यायाधीश नहीं देखा, तो फिर आपके जय भीम, जय भीम करने का क्या औचित्य रह जाता है? आप तो बाबासाहेब का नाम लेने के भी योग्य नहीं हैं।


उन्होंने आगे कहा कि, मान्यवर कांशीराम साहब ने अपने समय में नारा दिया था, ""वोट हमारा, राज तुम्हारा - नहीं चलेगा, नहीं चलेगा।" अगर आप इस नारे को याद रखते तो शायद आपका कुछ भला हो जाता, लेकिन आज आप इस नारे को भी भूल गए हैं। आपका वोट आपका नहीं है, क्योंकि आप अपने दुश्मन को वोट देते हैं। एक तरफ आप भाजपा, कांग्रेस जैसी मनुवादी पार्टियों को वोट देकर उन्हें सत्ता में बैठाते हैं और दूसरी तरफ जय भीम, जय भीम का राग भी अलापते हैं। आप मान्यवर कांशीराम जी को भूल चुके हैं, इसीलिए आप ब्राह्मणवादी क्रूरता, हिंसा और अपमान का सामना कर रहे हैं। 


मैं मध्य प्रदेश के बीडीपी नेता श्री लाल सिंह सोलंकी जी का हृदय से धन्यवाद करना चाहता हूँ, क्योंकि जब मैं कल इन्दौर एयरपोर्ट में उतरा तो वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने एयरपोर्ट आकर मेरा स्वागत किया।


आप सभी मेरे भाई-बहन हैं। मैं आपको भाई-बहन क्यों कह रहा हूँ? इस भाई शब्द का मतलब कॉमरेड से कहीं बढ़कर है। भाई का मतलब है कि मेरी और आपकी रगों में एक ही खून बह रहा है। यह शब्द हमें आपस में जोड़ता है।


उन्होंने आगे कहा कि, आपका खून और मेरा खून एक ही मकसद के लिए लड़ रहा है। वह मकसद है आत्मसम्मान और गरिमा। मध्य प्रदेश इस देश का केंद्र बिंदु है। मैं यहां से तीन हजार किलोमीटर दूर कन्याकुमारी का हूँ। मेरा खून भी आत्मसम्मान और गरिमा के लिए लड़ रहा है। अगर आप यहां से तीन हजार किलोमीटर उत्तर की ओर जम्मू-कश्मीर जाएं तो वहां भी हमारे समाज के भाई निवास करते हैं। वह भी इसी ऊर्जा के साथ आत्मसम्मान और गरिमा के लिए लड़ रहे हैं। 


आप देखिए कि बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर, मान्यवर कांशीराम साहब, थांथाई पेरियार, छत्रपति शाहूजी महाराज, महात्मा जोतिबा फुले, श्री नारायणा गुरु, बिरसा मुंडा, टंट्या मामा, कैप्टन जयपाल सिंह मुंडा आदि महापुरुषों ने इतना लम्बा संघर्ष क्यों किया? उन्होंने हमारे लिए समानता और भाईचारा प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने हमारे लिए स्वतंत्रता और न्याय की प्राप्ति के लिए संघर्ष किया।


अगर आप पांच सौ साल पहले का इतिहास देखें तो गुरु नामदेव, गुरु कबीर, गुरु रविदास, गुरु नानक, गुरु गोबिंद सिंह जी ने भी हमारी समानता के लिए संघर्ष किया। यह सभी गुरु, भगत एक समतावादी समाज की स्थापना करना चाहते थे। वे आए और चले गए, लेकिन उनका संघर्ष आज भी जारी है। हम और आप आज भी समतावादी समाज की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे हैं।


हमारा यह संघर्ष कोई आज, कल, परसों या एक साल पहले शुरू किया गया संघर्ष नहीं, बल्कि समानता का यह संघर्ष गुरु नामदेव के समय से आज तक चलता आ रहा है।


उन्होंने आगे कहा कि, दुनिया के किसी भी देश ने इस तरह का संघर्ष नहीं किया। दुनिया के किसी भी देश ने समानता के लिए इतना लम्बा संघर्ष नहीं किया। परन्तु हम आज तक समतावादी समाज की स्थापना के लिए संघर्ष क्यों कर रहे हैं?


हमारे लोग हजारों वर्षों से यह संघर्ष क्यों कर रहे हैं? हमारे लोग यह संघर्ष साम्राज्यवादी ब्राह्मणवाद के कारण कर रहे हैं। साम्राज्यवादी ब्राह्मणवाद ही हमारी समस्या का मूल जड़ है। इसके कारण ही हमारे लोगों ने बहुत कुछ सहा है और आज भी सह रहे हैं। 


हमारे भगत, गुरु और बहुजन द्रविड़ नेता बहुजन द्रविड़ समाज को इस ब्राह्मणवादी विचारधारा से हमेशा सतर्क रहने की सलाह देते रहे हैं। हमारे गुरुओं, भगतों ने इस साम्राज्यवादी ब्राह्मणवाद के खिलाफ संघर्ष किया और चले गए, लेकिन हम लोग आज भी इस साम्राज्यवादी ब्राह्मणवाद के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। क्यों? क्योंकि आप लोग अपने प्रति और अपने समाज के प्रति ईमानदार नहीं हैं।


उन्होंने आगे कहा कि, ब्राह्मणवादी ताकतों के दिमाग में सिर्फ एक ही विचार चलता है। वह देश के बहुसंख्यक लोगों को गुलाम और ब्राह्मणों की सर्वोच्चता बनाए रखना चाहते हैं।


उनके पास सिर्फ एक ही एजेंडा है, लेकिन आपके पास कई एजेंड़ा और कई भगवान हैं। आप लोग हमेशा अपने भगवान के चरणों में ही लेटे रहते हैं। आपके भगवान ही आज आपकी सबसे बड़ी समस्या बन गए हैं। आपका परिवार आपकी समस्या नहीं है, बल्कि आपके अपने भगवान ही आपकी मुख्य समस्या हैं। आपके यह भगवान आपको इस ब्राह्मणवादी गुलामी से मुक्ति नहीं दिला सकते। वह आपको कभी भी स्वतंत्र नहीं करा सकते।


उन्होंने आगे बताया कि, थांथाई पेरियार ने तमिलनाडु में तर्कसंगत आंदोलन की शुरुआत की थी। उन्होंने तमिल लोगों के बीच तर्कसंगत आंदोलन इसलिए शुरू किया ताकि लोग सोचना शुरू करें कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत है। दूसरा आंदोलन उन्होंने आत्मसम्मान के लिए शुरू किया था। इस तरह पेरियार के पास सिर्फ दो ही एजेंडा थे। तर्कसंगत और आत्मसम्मान।


आप अगर रोड़ तरफ कहीं पेशाब करते हैं, तो किसी न किसी व्यक्ति को कहते हैं कि पानी डाल दो भाई हाथ धोना है। लेकिन इधर उत्तर भारत में, जिसे हमारे लोग गौमूत्र क्षेत्र के नाम से सम्बोधित करते हैं। यहां एक तरफ लोग अपना पेशाब करने के बाद हाथ धोते हैं, लेकिन दूसरी तरफ गाय का पेशाब पीते हैं, उससे अपना मुँह धोते हैं। इसलिए मैं कहता हूँ कि आप लोग अब सोचना शुरू करो की क्या सही है और क्या गलत है?


उन्होंने आगे कहा कि, भारत स्थायी गुलामों का साम्राज्य है। जबकि भारत के अलावा ऐसी गुलामी की व्यवस्था के खिलाफ जिस भी देश में लोगों ने विद्रोह शुरू किया वहां 50, 60, 70 वर्षों के अंदर ही वह गुलामी से मुक्त होने में सफल रहे। उन्होंने उस गुलामी से स्वतंत्रता पा ली, लेकिन हमारे लोग इस गुलामी की व्यवस्था से मुक्त होने के लिए पिछले 2000 वर्षों से आजतक संघर्ष करते आ रहे हैं। हम आज तक मुक्त क्यों नहीं हुए? हमारे लोग पिछले दो हजार वर्षों से गुलाम क्यों हैं?


जब तक ब्राह्मणवाद इस देश पर राज करेगा, तब तक हमारे लोग इस ब्राह्मणवादी गुलामी की व्यवस्था से नहीं बच सकेंगे। किसी के पास भी इस गुलामी की व्यवस्था को बदलने का अधिकार नहीं है। इसीलिए वे लोग कहते हैं कि यह गुलामी की व्यवस्था सनातन है, क्योंकि इसे भगवान ने बनाई है। यह गुलामी की व्यवस्था स्थायी है। इस व्यवस्था को बदलने का किसी को अधिकार नहीं है। 


जब तक इस देश में सनातन धर्म का राज रहेगा तब तक गुलामी की यह व्यवस्था जारी रहेगी। जब तक यह व्यवस्था जारी रहेगी तब तक समानता और गरिमा के लिए संघर्ष भी जारी रहेगा।


आप लोग कहते हैं कि भारत का संविधान बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर ने बनाया है। हमारे संविधान ने इस देश में समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, न्याय और लोकतंत्र की गारंटी दी है।


ठीक है, हमारा संविधान हमें सबकी गारंटी देता है। लेकिन यह सनातन धर्म किसने बनाया? ब्राह्मण कहते हैं कि सनातन धर्म भगवान ने बनाया है। इसलिए इसमें कोई परिवर्तन नहीं हो सकता।


मैं आपसे एक सवाल पूछ रहा हूं कि भारत में संविधान का राज है या सनातन धर्म का राज? एक तरफ संविधान समानता की बात करता है, तो वहीं दूसरी तरफ सनातन धर्म आपकी समानता के खिलाफ खड़ा है। फिर भी आप लोग ही सनातन धर्म के ढोते हैं। आप लोग ही सनातन धर्म के सबसे बड़े सपोटर्स हैं। 


उन्होंने आगे कहा कि, मध्य प्रदेश में एससी/एसटी लोग बहुसंख्यक हैं। मुझे लगता है कि यहाँ करीब 45% जनसंख्या आपकी है, लेकिन आपने क्या किया है? आप लोगों ने सनातनियों को इस मध्य प्रदेश में राज करने के लिए चुना है।


एक तरफ आप संविधान बचाने का आंदोलन चलाते हैं और दूसरी तरफ संविधान विरोधी सनातनी लोगों को चुनकर सत्ता में लाते हैं, तो फिर आप ही बताइए की दोषी कौन है? दोषी आप लोग हैं। इसलिए आपको अपने लोगों और अपनी आगामी पीढ़ी के लिए बहुत सावधान होकर सोचने की जरूरत है।


उन्होंने आगे कहा कि, यह मिशन हमने या हमारी बहुजन द्रविड़ पार्टी ने शुरू नहीं किया। बल्कि यह मिशन गुरु नामदेव, गुरु कबीर, गुरु रविदास, गुरु नानक जी ने शुरू किया था। उनका यह मिशन अभी भी अपनी मंजिल की तलाश में है। हमारे गुरुओं का यह बेगमपुरा मिशन हम कब पूरा करेंगे?


हम सभी इस देश के मूलनिवासी हैं। यह हमारी भूमि है। यहां की खानें, जंगल, पहाड़ हमारे हैं। लेकिन हमारे जंगल, पहाड़ों को किसने कब्ज़ा रखा है। वह कौन लोग हैं जो हमारी भूमि को बर्बाद कर रहे हैं?


हम बहुसंख्यक लोग हैं। आप चाहे कश्मीर से कन्याकुमारी की ओर देखें या आसाम से गुजरात की ओर। पूरे देश में हमारे लोग निवास करते हैं, फिर भी इस देश में राज किसका है?


लोकतंत्र का सिद्धांत कहता है कि लोकतान्त्रिक व्यवस्था में बहुसंख्यक लोग राज करेंगे। इस देश में हम बहुसंख्यक लोग हैं, लेकिन देश में राज किसका है? मुट्ठीभर संख्याबल वाले लोग इस देश में राज कर रहे हैं, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? हम लोग ही उन्हें चुनकर अपने ऊपर अत्याचार करने की ताकत दे रहे हैं।


उन्होंने आगे कहा कि, जब से हमें यह फर्जी स्वतंत्रता मिली है, तब से ब्राह्मणवादी ताकतों ने हमारे दलित समुदाय में बहुत से चमचे नेता पैदा किए हैं।


आज से मैं उन चमचों को सैलून गुलाम कहूंगा। क्योंकि आप देखिए की दलित, आदिवासी प्रतिनिधि के नाम पर आज 131 सांसद संसद में बैठे हैं, लेकिन उनमें से एक भी सांसद आपकी समस्याओं पर बात नहीं करता। यह सैलून गुलाम आपको खुश करने के लिए नहीं, बल्कि भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी जैसी ब्राह्मणवादी पार्टियों को खुश करने के लिए काम करते हैं।


आप उन्हें मालिक के रूप में देखते हैं। लेकिन वह मालिक नहीं हैं, बल्कि उनका काम अपने मालिक को संतुष्ट करना है। इसलिए ये सैलून गुलाम अपना सारा समय कांग्रेस, बीजेपी, कम्युनिस्ट पार्टी जैसी मनुवादी पार्टियों को सजाने-सावरने में लगा देते हैं। वे आपके विकास, आपकी उन्नति के लिए काम नहीं करते। वह आपके बच्चों की शिक्षा के विषय में नहीं सोचते। वे सभी मनुवादी पार्टियों के पिछलग्गु बने घूमते हैं। 


वे कुछ नहीं हैं। वे अकेले हैं, लेकिन एक ख़ास उद्देश्य से ही कांग्रेस, भाजपा जैसे दल उन्हें आगे बढ़ाते हैं, क्योंकि वह उनके गुलाम हैं। इन गुलामों को चुनाव के समय समाज के बीच मालिक की तरह इसलिए पेश किया जाता है, ताकि समाज भ्रमित होकर इनकी बात मान ले और चुनाव जिता दे।


यह सब समाज के गद्दार लोग हैं। इसलिए हमें इन गद्दारों से एक निश्चित दूरी बनाकर रहना चाहिए। इनसे हमेशा सतर्क रहना चाहिए। इन्हें अपने गांव, कस्बे और जिले में भी नहीं घुसने देना चाहिए।


उन्होंने आगे कहा कि, आज हम यहां समाधान पर चिंतन करने के लिए इकठ्ठा हुए हैं। हमारे लोग जहां भी जाते हैं समस्याओं पर चर्चा करने के लिए बहुत उत्सुक नज़र आते हैं, लेकिन वह समाधान पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं होते। लेकिन मन्यावर कांशीराम साहब हमेशा हमारे लोगों की समस्याओं के समाधान के विषय में सोचते थे।


हमारे ज्यादातर लोग किसी न किसी सामाजिक मूवमेंट के साथ जुड़े होते हैं। अगर आप अपनी समस्या का तात्कालिक समाधान चाहते हैं तो आप सामाजिक मूवमेंट के माध्यम से वह समाधान प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन अगर आपको अपनी समस्या का दीर्घकालिक समाधान चाहिए तो आपको राजनीति में भाग लेना पड़ेगा। और यदि आप अपनी समस्या का स्थाई समाधान चाहते हैं तो आपको इस ब्राह्मणवादी संस्कृति को त्यागना पड़ेगा। आपको सांस्कृतिक परिवर्तन करना पड़ेगा। क्योंकि सांस्कृतिक परिवर्तन ही आपका स्थाई समाधान हैं।


आप देखिए की इस देश में दो राज्य कुछ अलग राज्य हैं। तमिलनाडु और पंजाब। पंजाब के लोग हमारे जैसा जीना पसंद नहीं करते। इसलिए उन्होंने बहुत पहले ही सांस्कृतिक परिवर्तन करके अपने लिए स्थाई समाधान तलाश लिया और खुशहाल जीवन जी रहे हैं। 


अब आप तमिलनाडु को देखिए, वहां भी सांस्कृतिक परिवर्तन हुआ है। वे लोग ब्राह्मणवादी विचारधारा के बिल्कुल खिलाफ हैं। पेरियार ने तमिलनाडु में तर्कसंगत मूवमेंट शुरू किया था। उनके इस तर्कसंगत मूवमेंट की वजह से आज तमिलनाडु कुछ हद तक सुरक्षित है और वहां भी आज हमारे लोग बहुत खुशहाल जीवन जी रहे हैं।


पंजाब और तमिलनाडु ने सांस्कृतिक परिवर्तन के माध्यम से समस्या का स्थाई समाधान खोजा और उसे अपनाया इसलिए आज वह दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर जीवन जी रहे हैं।


अंत में, मैं आपसे बस यही कहना चाहता हूँ कि हमें राजनीतिक परिवर्तन के लिए संघर्ष करना है। क्योंकि बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर ने कहा है कि, "राजनीतिक सत्ता मास्टर चाबी है, अगर यह राजनीतिक सत्ता आपके हाथों में होगी तो आप इससे सबकुछ बदल सकते हैं।" 


इसलिए हमें राजनीतिक परिवर्तन के लिए संघर्ष करना है और इसके साथ ही साथ चुपचाप हमें सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए भी समाज को तैयार करना है।


अगर हम राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तन यानी मीरी-पीरी को साथ लेकर चलते हैं तो गुरु रविदास का "बेगमपुरा खालसा राज" मिशन बहुत जल्द इस देश में फले-फूलेगा। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात को विराम देता हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद! वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फ़तेह।


तत्पश्चात उपस्थित बहुजन मिशनरियों को सरदार भजन सिंह जी द्वारा सिख इतिहास में लिखित "फूल जो लहू में खिले" पुस्तक का हिंदी संस्करण वितरित किया गया।


इसके बाद दिनांक 5 मई, 2025 को उज्जैन गेस्ट हॉउस में भी उज्जैन के कई बहुजन कार्यकर्ताओं ने मुलाक़ात कर पार्टी में शामिल होने की इच्छा जाहिर की। उन्हें भी फूल जो लहू में खिले पुस्तक भेंट की गई। धन्यवाद!

गुरुओं के समानता मिशन में...

उज्जैन से,

*बीबीसीआई न्यूज़, नई दिल्ली*


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