*शिक्षित बहू ने खोली सास की आंखे*
एक गांव में पढ़ी-लिखी नवविवाहित बहू को लेकर उसकी सास मंदिर में दर्शन करवाने गई।
मंदिर के मुख्य द्वार पर पत्थर की एक गाय खड़ी थी। गाय को देखकर बहू ने सास से कहा:- मां जी, घर से बाल्टी ले आते तो गाय का दूध निकाल लेते।
सास ने कहा:- पगली यह गाय पत्थर की है, ये दूध नहीं देती।
थोड़ा आगे बढ़ने पर मंदिर के दरवाजे पर दो शेर बैठे देखकर बहू ने सास को एक तरफ खींचते हुए कहा:- मां जी, दूर रहो ये शेर हमें खा जायेंगे।
सास थोड़ा चिंतित होते हुए मन ही मन कहा, लगता है कि मेरे बेटे के भाग्य फूट गए। मेरी बहू तो पागल है।
सास ने समझाया:- बेटी यह शेर पत्थर का है इसलिए यह हमें नहीं खा सकता।
बहू ने सहमति में सिर्फ अपनी गर्दन हिलाई और सास के पीछे-पीछे मंदिर के अंदर घुस गई।
अंदर जाकर सास ने बहू से कहा:- बेटी यह देवी माता हैं, इनको प्रणाम करके तुम इनसे जो भी मनोकामना मांगोगी, ये उसे पूरी कर देंगी और जल्दी ही तुम्हारी गोद भर जायेगी।
बहू ने सास को जवाब दिया:- मां जी, जब पत्थर की गाय दूध नहीं दे सकती, पत्थर का शेर हमें खा नहीं सकता, तो यह पत्थर की मूर्ति हमें क्या देगी ? ये निर्जीव मूर्ति अपना दीपक खुद नहीं जला सकती, अपने वस्त्र स्वयं नहीं बदल सकती, अपने मंदिर का घंटा खुद नहीं बजा सकती, तो यह हमारी मनोकामना कैसे पूरी करेंगी ?
आप मेरी सजीव मां हैं, इसलिए मुझे अगर कुछ दे सकती हो तो आप दे सकती हैं।
सास को अब अपनी पढ़ी-लिखी बहू की बात समझ में आ चुकी थी। उसने बहू का हाथ पकड़ा और कहां चल बेटी घर चल, तूने मेरी आंखें खोल दी है।
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